अब स्थानीय बोली में भी किसानों को प्राकृतिक खेती करना सिखाएगा एप, केंद्रीय कृषि विभाग ने किया लॉन्च

सोलन। हिमाचल प्रदेश के किसान अब स्थानीय बोली में प्राकृतिक खेती से संबंधित कोई भी जानकारी आसानी से हासिल कर पाएंगे। गत दिनों केंद्रीय कृषि विभाग ने अपूर्वा एआई एप लॉन्च किया है। प्रदेश के सभी जिलों में इन दिनों इस एप की जानकारी किसानों को दी जा रही है। साथ ही किसानों को एप से भी जोड़ा जा रहा है।
प्रदेश के दूरदराज क्षेत्रों के किसानों को प्राकृतिक खेती की जानकारी स्थानीय बोली में मिले, इसके लिए इन दिनों आतमा परियोजना के तहत खंडस्तर पर कार्य किया जा रहा है। आगामी दिनों में प्रदेश के सभी जिलों में स्थानीय बोली में किसानों को एप के माध्यम से प्राकृतिक खेती की जानकारी मिलेगी। प्राकृतिक खेती के आतमा परियोजना कार्यालय सोलन से मिली जानकारी के अनुसार, इस एप पर प्राकृतिक खेती की जानकारी उपलब्ध करवाने के लिए अभी किसानों के वायस सैंपल स्थानीय बोली में लिए जा रहे हैं।
आतमा परियोजना के निदेशक ने 12 फरवरी को किसानों के वायस सैंपल लेने के लिए पत्र जारी किया था। इसके बाद सोलन जिला के पांच खंडों में यह कार्य शुरू कर दिया है। प्रत्येक खंड में करीब 100 किसानों के वायस सैंपल लिए जाएंगे, जिन्हें केंद्र को भेजा जाएगा। इसके बाद एप कार्य करना शुरू कर देगा। हिंदी, अंग्रेजी के अलावा स्थानीय बोली में किसानों को प्राकृतिक खेती से संबंधित जानकारी आसानी से समझ आएगी। यह एप स्थानीय बोली में किसानों को प्राकृतिक खेती के लाभ की जानकारी भी देगा। किसान एप पर प्राकृतिक खेती के बारे में प्रश्न पूछेंगे तो उसे स्थानीय बोली में उत्तर मिलेगा।
देश में कृषि व बागवानी को तकनीकी रूप से विकसित करने के लिए अब आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का प्रयोग होगा। अपूर्वा एआई एप भी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का हिस्सा है। कृषि क्षेत्र में भी एआई की सहायता से कुछ नया किया जा सकता है। पौधो को कब कितनी खाद व पानी की आवश्यकता है, यह एआई की सहायता से संभव हो सकता है।
कृषि व बागवानी क्षेत्र में होगा आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का प्रयोग
आतमा परियोजना सोलन के प्रोजेक्ट डायरेक्टर वाईआर चौहान ने बताया कि तकनीक की सहायता से प्राकृतिक खेती को और आसान बनाया जा रहा है। अब किसान स्थानीय बोली में भी प्राकृतिक खेती की जानकारी हासिल कर सकते हैं। इसके लिए केंद्रीय कृषि विभाग ने एप बनाया है। इन दिनों इस एप पर किसानों के वायस सैंपल स्थानीय बोली में लिए जा रहे है। सोलन जिला में पांच सौ किसानों के वायस सैंपल लिए जाएंगे।