हाथियों को मारने का अधिकार मांग रहे वायनाड के लोग घरों में घुसकर अटैक कर रहे जंगली हाथी, हर दिन 11 हमले
47 साल के किसान पंचीइल अजीश सुबह 7 बजे टहलने निकले थे। तभी जंगल से निकलकर गांव में घुसे एक हाथी ने उन पर हमला कर दिया। जान बचाने के लिए अजीश एक घर में घुस गए, लेकिन हाथी ने गेट तोड़ दिया और अजीश को कुचलकर मार डाला। ये घटना वहीं लगे एक CCTV कैमरे में रिकॉर्ड हो गई।
सुबह के करीब 9:30 बजे थे। पुलपल्ली के रहने वाले पॉल वेल्लाचालिल जंगल में जानवरों की निगरानी के लिए निकले ही थे कि एक हाथी ने पीछे से हमला कर दिया। इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई। 50 साल के पॉल कुरुवा आइलैंड ईको टूरिज्म सेंटर में 12 साल से एनिमल वॉचर की नौकरी कर रहे थे। उनका काम जंगली जानवरों की निगरानी करना और लोगों को उनके अटैक से बचाने का था।
इडुक्की जिले के मुनार तहसील में 46 साल के सुरेश कुमार अपने ऑटो से जा रहे थे। जंगल से निकले एक हाथी ने उनके ऑटो में टक्कर मार दी। टक्कर से ऑटो पलट गया। तभी हाथी ने सुरेश को उठाकर जमीन पर पटक दिया। हाथी के जाने के बाद लोगों ने सुरेश को पास के हॉस्पिटल में एडमिट करवाया। वहां उनकी मौत हो गई।
ये सिर्फ तीन घटनाएं हैं, जो बीते एक महीने में हुई हैं। इनका असर ये हुआ कि जंगली जानवरों से सबसे ज्यादा प्रभावित केरल के वायनाड, कुन्नूर, पलक्कड़ और इडुक्की में लोगों ने घर से निकलना बंद कर दिया। सिर्फ वायनाड में बीते 10 साल में हाथियों के हमलों में 41 लोगों की जान गई है। इस जिले का करीब 37% एरिया जंगलों से घिरा है।
जंगली जानवरों के हमले रोकने के लिए बनी वायनाड एक्शन कमेटी के मुताबिक, 2022-23 में केरल में जंगली जानवरों के हमले के 8,873 मामले दर्ज हुए हैं। इनमें से 4,193 हाथियों ने किए थे, यानी हाथियों ने हर दिन 11 हमले किए हैं। इन हमलों में 98 लोग मारे गए, जिनमें से 27 मौतें हाथियों के हमले में हुई हैं।
हमला करने वाले ज्यादातर हाथी रेडियो कॉलर्ड हैं, यानी उनकी आसानी से निगरानी की जा सकती है। इसके बावजूद फॉरेस्ट डिपार्टमेंट लोगों को अलर्ट नहीं कर पाया। जंगली जानवरों के हमले में लगातार मौतों की वजह से लोगों ने प्रोटेस्ट शुरू कर दिया है।
20 फरवरी को ऐसे ही एक प्रदर्शन के बाद धारा-144 लगानी पड़ी थी। गुस्साई भीड़ को रोकने के लिए पुलिस ने लाठीचार्ज किया। स्थानीय सांसद राहुल गांधी भारत जोड़ो न्याय यात्रा बीच में ही छोड़ वायनाड पहुंच गए। हाथी क्यों हिंसक हो रहे हैं, लगातार बस्तियों में घुस रहे हैं और लोगों पर हमला कर रहे हैं, इस सवालों के साथ दैनिक भास्कर वायनाड पहुंचा। यहां पीड़ित परिवारों, सरकारी अफसरों और एक्सपर्ट्स से बात की। ये भी जाना कि हाथियों के डर के बीच यहां रोजमर्रा की जिंदगी कैसी है।
हाथी के हमले में पॉल की मौत, अब परिवार दोपहर बाद बाहर नहीं निकलता
पॉल वेल्लाचालिल का परिवार वायनाड से करीब 20 किमी दूर पुलपल्ली में रहता है। ये बस्ती घने जंगल के बीच है। पॉल के परिवार में पत्नी, बेटी, पिता, बहन और मां हैं। पॉल गांव के पास बने कुरवा टूरिज्म प्रोजेक्ट में फॉरेस्ट गार्ड थे। वे घर में अकेले कमाने वाले थे।