शासन ने प्रभावी की नजूल नीति, करा सकेंगे फ्रीहोल्ड
रुद्रपुर। नजूल पर काबिज लोगाें के लिए अच्छी खबर है। शासन ने दिसंबर 2023 को खत्म हुई नजूल नीति को लागू कर दिया है। शासन ने नजूल भूमि को फ्रीहोल्ड कराने पर नगर निकाय, जिपं और विकास प्राधिकरणों की ओर जमा की जाने वाली धनराशि को 30 फीसदी कम कर दिया है। आंकड़ों के अनुसार रुद्रपुर, रामनगर, हरिद्वार, देहरादून सहित कुछ अन्य जगहों पर 392 हेक्टेयर से अधिक नजूल भूमि है। नजूल की जमीन पर बड़ी संख्या में आबादी के साथ ही बाजार बसे हुए हैं। निकाय चुनावों में नजूल का मुद्दा बेहद प्रभावी रहता आया है। रामनगर, रुद्रपुर सहित अन्य जगहों पर नजूल पर काबिज होने की वजह से मेयर, पार्षद, सभासदों पर कार्यवाही भी हुई है। कई नेताओं के अरमान भी नजूल की वजह से पूरे नहीं हो सके थे। पूर्व की सरकारों ने नजूल भूमि को हल करने की कोशिश की लेकिन कई तकनीकी दिक्कतों के चलते नजूल का मुद्दा बरकरार रहा। धामी सरकार ने 11 दिसंबर 2021 को नजूल नीति को एक साल के लिए लागू किया था। इसके बाद नजूल नीति की अवधि को 10 दिसंबर 2023 तक बढ़ा दिया गया था। इसके बाद समय सीमा खत्म होने की वजह से नजूल नीति अप्रभावी हो गई थी। इसके चलते नजूल भूमि पर फ्रीहोल्ड और आवंटन प्रक्रिया पर रोक लग गई थी। मुख्यमंत्री के निर्देश पर नजूल नीति को प्रभावी किया गया है। अपर मुख्य सचिव ने सभी मंडलायुक्त, डीएम, विकास प्राधिकरणों के उपाध्यक्ष को इसका शासनादेश भी भेज दिया है। इसी नजूल नीति के चलते गरीबों को पट्टा आवंटन हो सका है। न
ई नजूल नीति में विकास प्राधिकरण, नगर पालिका, नगर पंचायत, जिला पंचायत के पक्ष में नजूल भूमि को फ्रीहोल्ड करने पर नियमानुसार प्रचलित सर्किल दर पर भूमि मूल्य निर्धारण का पांच फीसदी की धनराशि राज्य कोषागार में जमा कराई जा सकेगी। पहले यह धनराशि 35 फीसदी थी। यह भी कहा गया है कि नजूल भूमि प्रबंधन, व्यवस्थापन, एवं निस्तारण अधिनियम 2021 के प्रख्यापन के बाद उसके अंतर्गत नियमावली प्रख्यापित नहीं हो जाती, तब तक यह नजूल नीति प्रभावी रहेगी। डीएम उदयराज सिंह ने बताया कि नजूल नीति को प्रभावी किया जा चुका है। इसका आदेश भी पूर्व में प्राप्त हो चुका है