रिलेशनशिप-डेटिंग ऐप से बने पार्टनर पर भरोसा नहीं करतीं लड़कियां ऑनलाइन बने रिश्ते की वैलिडिटी कम, सामने से मिलने वाले भरोसेमंद
दो जोड़ियों की कल्पना करिए। मान लीजिए कि पहली जोड़ी किसी ऑनलाइन डेटिंग ऐप की मदद से बनी है और दूसरी फेस-टु-फेस मिलकर।
ऐसी स्थिति में दूसरी जोड़ी का रिश्ता ज्यादा बेहतर होगा। संभव है कि ऑनलाइन बनी जोड़ी में लड़की यह सोचे कि लड़का सिर्फ कैजुअल सेक्स या मौज-मस्ती के लिए रिश्ते का नाटक कर रहा है।
‘जर्नल ऑफ मोबाइल मीडिया एंड कम्युनिकेशन’ में छपी एक रिसर्च के मुताबिक ऑनलाइन बने रिश्ते को लड़कियां शक की निगाह से देखती हैं। ऐसे रिश्ते सामान्य रिश्ते के मुकाबले कमजोर साबित होते हैं
ऑनलाइन बने रिश्ते में सेटिस्फेक्शन कम, संदेह ज्यादा
ऑनलाइन और ऑफलाइन बने रिश्ते में फर्क जानने के लिए नीदरलैंड की रेडबॉड यूनिवर्सिटी ने 1000 अमेरिकी और ब्रिटिश युवाओं पर यह रिसर्च की। इसके लिए इन्हें 500-500 के दो ग्रुप्स में बांटा गया। पहले ग्रुप में वे लोग थे, जिन्होंने अपना पार्टनर डेटिंग ऐप के जरिए ढूंढा था।
जबकि बाकी को उनका प्यार स्कूल, कॉलेज, पार्क में या किसी दोस्त-यार की मदद से आमने-सामने मिला था।
दोनों ओर से आंकड़े जुटाने के बाद पाया गया कि ऑनलाइन बने रिश्ते में पार्टनर्स के बीच भरोसे की कमी होती है। साथ ही उनमें रिश्ते को लेकर रोडमैप या फ्यूचर प्लानिंग का भी अभाव देखा गया। ऐसे रिश्ते में दोनों पार्टनर्स एक-दूसरे पर संदेह कर रहे थे।
जबकि फेस-टु-फेस बने रिश्ते में ऊपर बताए गए निगेटिव लक्षण ऑनलाइन बने रिश्ते के मुकाबले काफी कम देखे गए।
रिसर्चर्स ने इसका निष्कर्ष यह निकाला कि ऑनलाइन बने रिश्ते कम भरोसेमंद होते हैं और कई मामलों में इमोशनल जरूरतों को पूरा कर पाने में नाकाम भी।
ऑनलाइन डेटिंग ऐप में जेंडर का फासला, ख्वाहिशें अलग
रेडबॉड यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने रिसर्च के दौरान यह भी पाया कि डेटिंग ऐप इस्तेमाल करने और इससे पार्टनर ढूंढने वाले लड़के और लड़कियों की सोच में काफी अंतर होता है।
डेटिंग ऐप इस्तेमाल करने वाले लड़कों में कैजुअल दोस्ती या फिर रिश्ते को एक्सप्लोर करने की आदत देखी गई। जबकि लड़कियां आमतौर पर सीरियस रिलेशनशिप के लिए डेटिंग ऐप का सहारा ले रही हैं।
ऐसे में जब दोनों पार्टनर मिले तो उनकी सोच में टकराव की स्थिति बनती है और रिश्ते में खटास आने की शुरुआत होती ह
रिश्ते में मिठास नहीं, फिर भी 34 करोड़ लोग डेटिंग ऐप पर
नई रिसर्च बताती है कि ऑनलाइन मैच मेकिंग रिश्ते गांठने का मुफीद जरिया नहीं है, क्योंकि यहां बने रिश्ते कम भरोसेमंद होते हैं और इससे दोनों पार्टनर्स की इमोशनल जरूरतें पूरी नहीं हो पाती हैं।
इनके मुकाबले फेस-टु-फेस मिलकर रिश्ते की बात चलाने वाले लोग ज्यादा खुश और संतुष्ट रहते हैं। उनका रिश्ता भी लंबा चलता है।
बावजूद इसके आजकल ऑनलाइन डेटिंग ऐप्स मैच मेकिंग का अहम जरिया बनकर उभरे हैं।
‘बिजनेस ऑफ ऐप्स’ के मुताबिक दुनिया भर में 33 करोड़ से ज्यादा लोग डेटिंग ऐप यूज कर रहे हैं। अपने देश में कोविड के बाद से डेटिंग ऐप यूज करने वालों की संख्या 3 गुना बढ़ गई है। इसमें से 70% लोग छोटे या मंझोले शहर से हैं।
इनमें से अधिकांश ऐप और वेबसाइट के लिए सब्सक्रिप्शन लेना पड़ता है। भारत में 500 रूपए महीने से लेकर 3 हजार रूपए महीने तक के सब्सक्रिप्शन प्लान वाले डेटिंग ऐप की सर्विस उपलब्ध है।
ब्रिटेन के ‘इंपीरियल कॉलेज बिजनेस स्कूल’ की रिसर्च बताती है कि 2035 तक आधे से अधिक रिश्ते ऑनलाइन डेटिंग से तय होंगे। जबकि 2037 में ब्रिटेन में पैदा होने वाले आधे से अधिक बच्चे ऐसे होंगे, जिनके पेरेंट्स ऑनलाइन मिले थे।
ऑनलाइन बने रिश्ते में तलाक की दर 6 गुना ज्यादा
ऑनलाइन बना रिश्ता कम भरोसेमंद होता है। भले ही वह शादी में क्यों न बदल जाए। यहां भी तलाक की आशंका अधिक होती है।
2021 में मैरिज फाउंडेशन ने 2 हजार शादीशुदा जोड़ों पर एक सर्वे किया। इसमें पाया गया कि ऑनलाइन मिले 12% पार्टनर्स शादी के शुरुआती 3 सालों में ही अलग हो जाते हैं। जबकि फेस-टु-फेस मिलकर डेटिंग करने और फिर घर बसाने वाली जोड़ियों का यह आंकड़ा सिर्फ 2% है। यानी ऑनलाइन मिले पार्टनर्स के पहले 3 साल में अलग होने की आशंका ऑफलाइन वालों के मुकाबले 6 गुना तक ज्यादा होती है।
रिसर्चर ने कहा, ऑनलाइन डेटिंग से पहले ठहरकर सोचने की जरूरत
इस रिसर्च को अंजाम देने वाले कम्युनिकेशन साइंटिस्ट डॉ. ए वैन स्टेकेलेनबर्ग अपनी रिपोर्ट में बताते हैं कि मौजूदा वक्त में ऑनलाइन डेटिंग पार्टनर ढूंढने का सबसे आसान प्लेटफॉर्म बनकर उभारा है। हालांकि, लोग इसके अंजाम के बारे में नहीं सोचते, वे सिर्फ प्रॉसेस और पार्टनर ढूंढने पर ही जोर देते हैं। जबकि, रिसर्च में इसकी मदद से बने रिश्ते कमतर साबित होते हैं।
ऐसे में किसी भी तरह की ऑनलाइन डेटिंग से पहले एक बार ठहरकर सोचने की जरूरत है। साथ ही डॉ. ए वैन स्टेकेलेनबर्ग इस दिशा में और रिसर्च की वकालत करते हैं।