आना दिल्ली था, पहुंच गए लाहौर पाकिस्तानी सेना के हेलिकॉप्टर में बैठे, 90 मिनट अफसरों की सांसें थमी रहीं
तारीख 25 दिसंबर 2015, लाहौर एयरपोर्ट को पाकिस्तान की सेना ने चारों तरफ से घेर रखा था। शाम 4 बजकर 52 मिनट पर भारतीय वायुसेना का एक विमान उतरा। मीडिया के कैमरे उस तरफ तेजी से मुड़ गए।
थोड़ी देर बाद भारत के सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल, तब के विदेश सचिव एस जयशंकर और कुछ अफसर विमान से उतरे। सबसे आखिर में 5 बजकर 4 मिनट पर PM नरेंद्र मोदी हाथ हिलाकर अभिवादन करते हुए विमान से बाहर निकले। नीचे पहले से मौजूद पाकिस्तानी PM नवाज शरीफ ने मोदी को गले लगाया और हंसते हुए कहा- ‘आखिरकार आप आ ही गए।’
यहीं PM मोदी को गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया। इसके बाद वे नवाज से बात करते हुए पैदल आगे बढ़ने लगे। कुछ ही कदमों की दूरी पर पाकिस्तानी सेना का एक हेलिकॉप्टर खड़ा था। मोदी उसी हेलिकॉप्टर में बैठ गए। उनके साथ नवाज शरीफ, अजित डोभाल और एस जयशंकर भी सवार हुए। इससे पहले भारत का कोई प्रधानमंत्री, पाकिस्तानी सेना के हेलिकॉप्टर में नहीं बैठा था।
5 बजकर 10 मिनट पर हेलिकॉप्टर ने जैसे ही उड़ान भरी, भारत की इंटेलिजेंस एजेंसियां और अधिकारी सकते में आ गए कि पाकिस्तान कोई साजिश तो नहीं करेगा, क्योंकि यह प्रोटोकॉल के खिलाफ था। आमतौर पर भारतीय प्रधानमंत्री दूसरे देश के हेलिकॉप्टर में नहीं बैठते।
2015 गुजरने वाला था। अफगानिस्तान में तालिबान फिर से मजबूत हो रहा था। उधर अमेरिका धीरे-धीरे अपने सैनिकों को अफगानिस्तान से वापस बुला रहा था। ऐसे में अफगानिस्तान सरकार को दुनिया से मदद की दरकार थी। चीन और पाकिस्तान इस मौके का फायदा उठाने के लिए उसे सपोर्ट कर रहे थे, ताकि वे अफगानिस्तान में अपना दबदबा बना सकें।
अफगानिस्तान, भारत के लिए कई मायनों में जरूरी है। भारत वहां पाकिस्तान का रसूख बढ़ने देना नहीं चाहता। साथ ही ईरान, अजरबैजान, तुर्कमेनिस्तान और उज्बेकिस्तान जैसे देशों में जाने का रास्ता भी अफगानिस्तान से होकर गुजरता है।
इसलिए भारत ने भी अफगानिस्तान के लिए मदद का खजाना खोल रखा था। तालिबान से लड़ने के लिए उसे तीन लड़ाकू विमान भी दिए थे।
इसी कड़ी में PM मोदी 2 दिनों की रूस यात्रा के बाद 25 दिसंबर की सुबह काबुल पहुंचे। वहां भारत की मदद से 900 करोड़ रुपए की लागत से बने नए संसद भवन का उद्घाटन किया और अपने भाषण में नाम लिए बिना पाकिस्तान पर खूब तंज कसा।
काबुल से दिल्ली आना था, अचानक ट्वीट किया और तीन घंटे बाद लाहौर उतर गए
तय कार्यक्रम के मुताबिक मोदी को काबुल से सीधे दिल्ली आना था। इसी बीच दोपहर ठीक 1.31 बजे उन्होंने ट्वीट किया- ‘मैं लाहौर में पाकिस्तान के PM नवाज शरीफ से मिलने वाला हूं।” यह खबर आग की तरह फैली। लोगों को यकीन ही नहीं हो रहा था कि यह सच है। 11 साल बाद भारत का कोई प्रधानमंत्री पाकिस्तान जा रहा था, वो भी अचानक।
भारत में नई भाजपा सरकार बने 19 महीने ही हुए थे और ये सरकार इंटरनेशनल पॉलिटिक्स में हाथ आजमा रही थी। प्रधानमंत्री मोदी 36 देशों का दौरा कर चुके थे। वे 5वीं बार नवाज शरीफ से मिल रहे थे।
उस दिन इस्लामाबाद में भारत के राजदूत टीसीए राघवन छुट्टी पर थे। वक्त की कमी के चलते वे प्रधानमंत्री के स्वागत के लिए इस्लामाबाद से लाहौर एयरपोर्ट नहीं पहुंच पाए। उन्हें सीधे नवाज शरीफ के घर के लिए निकलना पड़ा।
PM मोदी को लाहौर एयरपोर्ट से करीब 42 किलोमीटर दूर रायविंड स्थित नवाज शरीफ के घर जाना था। एयरपोर्ट से करीब 50 किलोमीटर दूर भारत के दुश्मन और मुंबई हमले के मास्टरमाइंड आतंकी हाफिज सईद का हेडक्वॉर्टर भी है। बाद में उसने मोदी के दौरे का विरोध भी किया था। उसने सोशल मीडिया पर वीडियो पोस्ट करते हुए कहा था- ‘मोदी ने कश्मीर पर कब्जा किया हुआ है। उसकी इतनी आवभगत नहीं होनी चाहिए थी। इससे पाकिस्तान के लोगों की भावनाएं आहत हुई हैं।’