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सेहतनामा- बच्चा खा रहा मिट्टी-बर्फ, हो सकता है PICA:क्या है यह दुर्लभ बीमारी, समय रहते इलाज न लेना जानलेवा हो सकता है

ब्रिटेन में 3 साल की विंटर नाम की एक लड़की दीवार का प्लास्टर खुरचकर खा रही है। वह सोफा खा रही है। हद तो तब हो गई जब उसने कांच के टुकड़े खाने के लिए एक फोटो फ्रेम को तोड़ दिया। उसकी मां जब विंटर को अस्पताल ले गईं तो पता चला कि विंटर एक दुर्लभ बीमारी से ग्रसित है। यह एक ईटिंग डिसऑर्डर है, जिसे PICA कहते हैं। इसमें लोग ऐसी चीजें खाने लगते हैं जो नॉन न्यूट्रिटिव और नॉन फूड आइटम्स हैं। आमतौर पर यह बीमारी छोटे बच्चों को होती है।

मेडिकल जर्नल नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन में प्रकाशित एक रिपोर्ट के मुताबिक करीब 12 फीसदी बच्चे कभी न कभी PICA से ग्रसित होते हैं। इनमें से ज्यादातर बच्चे ठीक हो जाते हैं, जबकि नजरअंदाज करने पर यह इतनी घातक है कि जान भी ले सकती है।

आज ‘सेहतनामा’ में जानेंगे कि क्या होता है PICA, साथ ही जानेंगे-

  • इस दुर्लभ बीमारी के क्या लक्षण हैं?
  • PICA क्यों और किसे होता है?
  • इसका क्या इलाज है?

क्या आपका बच्चा भी खाता है मिट्टी?

भारत में छोटे बच्चों का मिट्टी खाना और दीवार का प्लास्टर खुरचकर खाना आम मान लिया जाता है। ज्यादातर ये लक्षण सामान्य होते भी हैं। लेकिन दो साल से अधिक उम्र के बच्चे लंबे समय तक ऐसा कर रहे हैं तो इसे गंभीरता से लेने की जरूरत है। क्योंकि तब तक बच्चों का टेस्ट बड डेवलप हो चुका होता है। उन्हें लगभग हर चीज का स्वाद पता होता है, ऐसे में नॉन न्यूट्रिटिव चीजें खाना दुर्लभ बीमारी PICA के लक्षण हो सकते हैं।

प्रेग्नेंसी में भी हो सकता है PICA

छोटे बच्चों के अलावा गर्भवती महिलाओं में भी PICA देखने को मिला है। इस दौरान महिलाओं को ज्यादा से ज्यादा खाने का दिल करता है, वे कुछ भी खाने लगती हैं।

आमतौर पर चॉक या मिट्टी के बर्तनों के टुकड़े खाने लगती हैं। इसका उन्हें तो नुकसान होता ही है, इसका असर उनके गर्भ में पल रहे बच्चे की सेहत पर भी पड़ता है। इससे पहले कि इससे कोई गंभीर नुकसान हो, ऐसे लक्षण दिखने पर तुरंत डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए।

क्या होता है PICA?

PICA से पीड़ित व्यक्ति नियमित रूप से नॉन फूड आइटम्स खाने लगते हैं। अगर ऐसा एक महीने से ज्यादा समय तक हो रहा है तो डॉक्टर इसे PICA मानते हैं। इस दुर्लभ बीमारी से पीड़ित व्यक्ति कुछ भी खा सकता है। इसे ग्राफिक से समझिए-

इस दुर्लभ बीमारी का पता लगाने का कोई टेस्ट नहीं होता है। डॉक्टर इसके लिए पेशेंट के बर्ताव की हिस्ट्री और दूसरे कई फैक्टर्स पर गौर करते हैं।

  • अगर पेशेंट वयस्क या अधिक उम्र का है तो वह जिन नॉन फूड आइटम्स को खा रहा है, डॉक्टर के सामने सब कुछ बताने में ईमानदार होना होगा।
  • अगर यह स्थिति किसी बच्चे के साथ है तो उसके पेरेंट्स को बच्चे के साथ समय देकर सभी नॉन न्यूट्रिटिव फूड्स की एक लिस्ट बनानी चाहिए।
  • इससे डॉक्टर को यह समझने में आसानी होगी कि यह ईटिंग डिसऑर्डर किस लेवल तक पहुंच चुका है। साथ ही, इस बीच शरीर को हुए हुए संभावित नुकसान का पता लगाने के लिए टेस्ट हो सकेंगे।

क्या PICA का इलाज संभव है?

  • इसका इलाज संभव है, लेकिन यह ट्रीटमेंट जितनी जल्दी शुरू होता है। इससे निजात पाना उतना ही आसान होता है।
  • उदाहरण के लिए मान लीजिए अगर आपने पेंट खाया है और इससे पेट में इन्फेक्शन हुआ है तो डॉक्टर चीलेशन थैरेपी की सलाह दे सकता है। इसमें कुछ दवाएं दी जाती हैं, जिससे यह यूरिन के रास्ते बाहर निकल जाता है।
  • अगर डॉक्टर को आपके शरीर में पोषक तत्वों का असंतुलन दिख रहा है तो वह ट्रीटमेंट में विटामिन, आयरन या दूसरी दवाएं लिख सकता है। कुछ सप्लीमेंट्स लेने की सलाह दे सकता है।
  • अगर इसके पीछे की वजह कोई मनोवैज्ञानिक विकार है तो डॉक्टर आपको क्लिनिकल साइकोलॉजिस्ट से थैरेपी लेने को कह सकता है। कई मामलों में थैरेपी और दवाएं एक साथ दिए जा सकते हैं।
  • अगर पेशेंट में बीमारी की स्थिति ज्यादा गंभीर नहीं हुई है तो इसे सिर्फ मल्टी-विटामिन देकर भी ठीक किया जा सकता है।

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