Tue. Jun 17th, 2025

माइक्रोफाइनेंस दे रहा महिलाओं को आर्थिक व सामाजिक सशक्तीकरण प्राप्त करने का सुअवसर

नैनीताल। माइक्रोफाइनेंस ने ग्रामीण महिलाओं को उचित आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक सशक्तीकरण प्राप्त करने का एक उत्कृष्ट अवसर दिया है, जिससे परिवारों स्थिति बेहतर हुई है। यह बात कुमाऊं विश्वविद्यालय के वाणिज्य विभाग की ओर से आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी में उत्तराखंड राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष कुसुम कंडवाल ने कही। शुक्रवार को कुविवि के बुरांश सभागार में राष्ट्रीय संगोष्ठी का शुभारंभ मुख्य अतिथि कुसुम कंडवाल, विशिष्ट अतिथि निदेशक उच्च शिक्षा उत्तराखंड अंजू अग्रवाल, मुख्य वक्ता पूर्व निदेशक उच्च शिक्षा उत्तराखंड प्रो. सीडी सूंठा एवं निदेशक आईक्यूएसी प्रो. संतोष कुमार ने किया। कुसुम कंडवाल ने कहा कि बचत योजनाओं से जुड़ने और ऋण सुविधाओं का लाभ लेने से महिलाओं की उक्त क्षेत्र के हित में लिए जाने वाले निर्णय में सार्थक भागीदारी बढ़ेगी। साथ ही घरेलू आय के अनुत्पादक और हानिकारक गतिविधियों में अपव्यय पर भी रोक लग सकेगी। अंजू अग्रवाल ने कहा भारत का ह्रदय ग्रामीण क्षेत्रों में बसता है। वित्तीय समावेशन, महिला सशक्तीकरण और डिजिटल समावेशन लाकर माइक्रोफाइनेंस भारत को एक महाशक्ति के रूप में उभरने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। मुख्य वक्ता प्रो. सीडी सूंठा ने कहा कि माइक्रोफाइनेंस का मुख्य उद्देश्य है कम आय वाले ग्राहकों को वित्तीय सेवाएं उपलब्ध कराकर महिलाओं को सशक्त बनाना है। वरिष्ठ प्राध्यापक प्रो. संतोष कुमार ने कहा महिलाओं की कमाने की क्षमता बढ़ाकर माइक्रोफाइनेंस कंपनियों ने आर्थिक सशक्तीकरण का चक्र शुरू किया है, जो महिलाओं के लिए बहुपयोगी है। इससे पूर्व कार्यक्रम संयोजक व वाणिज्य विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. अतुल जोशी ने अतिथियों का स्वागत किया। इस मौके पर डॉ. विजय कुमार, परिसर निदेशक प्रो. नीता बोरा, प्रो. लता पांडेय, प्रो. चित्रा पांडे, प्रो. ललित तिवारी, प्रो. एमसी पांडेय, प्रो. सीएस जोशी, प्रो. पीएन तिवारी, डॉ. आरती पंत, डॉ. फ़कीर नेगी, डॉ. जीवन उपाध्याय, डॉ. विनोद जोशी, डॉ. ममता जोशी, डॉ. हिमानी जलाल, डॉ. पूजा जोशी, डॉ. तेज प्रकाश आदि मौजूद रहे। संवाद

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