विकासनगर उप जिला अस्पताल में फेको सर्जरी शुरू करने के लिए भेजी मशीन की डिमांड
मोतियाबिंद के लिए अधिकांश नेत्र रोग सर्जन फेको सर्जरी कर रहे हैं। इसमें टांके लगाने की जरूरत नहीं पड़ती है। मरीजों को सर्जरी के कुछ देर बाद ही छुुट्टी दे दी जाती है। उप जिला अस्पताल में भी यह सुविधा शुरू करने की पहल हुई है। फेको मशीन लिए स्वास्थ्य महानिदेशालय को डिमांड भेजी गई है। अगर मशीन मिल जाती है तो मरीजों को निजी अस्पताल में 35 से 40 हजार रुपये में मिलने वाली सर्जरी की सुविधा उप जिला अस्पताल में नि:शुल्क मिल पाएगी। उप जिला अस्पताल विकासनगर में हर माह 25 से 30 मरीजों के मोतियाबिंद के ऑपरेशन होते हैं। इसमें अधिकांश मरीज जनजातीय क्षेत्र जौनसार बावर और पछवादून के होते हैं। अस्पताल में सामान्य एसआईसीएस विधि से सर्जरी की जाती है। इसमें नेत्र सर्जन छह एमएम का चीरा लगाकर मरीज के लेंस को निकालते हैं। उसके बाद नया लेंस प्रत्यारोपित किया जाता है। इसमें ऑपरेशन के बाद मरीज को पूरी तरह से स्वस्थ होने में अधिक समय लगता है। उप जिला अस्पताल के नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. महेंद्र राय ने बताया कि फेको मशीन के लिए स्वास्थ्य महानिदेशालय को प्रस्ताव भेजा गया है। बताया कि फेको सर्जरी में मैनुअल सर्जरी के अपेक्षाकृत कम समय लगता है। मरीज को ऑपरेशन के कुछ घंटे बाद भी छुट्टी दे दी जाती है। इन दिनों अधिकांश नेत्र सर्जन फेको सर्जरी को ही प्राथमिकता देते हैं। निजी अस्पतालों में फेको सर्जरी का खर्च करीब 35 से 40 हजार के मध्य होता है। फेको मशीन की कीमत 35 से 40 लाख होती है।