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रिस्पना नदी किनारे से 30 जून तक हरहाल में हटाए अवैध बस्तियां

रिस्पना नदी के किनारे 27 अवैध बस्तियों के मामले में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल राहत देने के मूड में नहीं है। सोमवार को नगर निगम ने एनजीटी में फिर अपना पक्ष रखा। एनजीटी ने नगर निगम को हर हाल में 30 जून तक अवैध कब्जों को हटाने के आदेश दिए हैं। रिस्पना नदी के फ्लड जोन काे चिह्नीकरण करने के भी निर्देश दिए हैं। नगर निगम की ओर से रिस्पना नदी को लेकर पूर्व में बरती गई लापरवाही पर नाराजगी भी जताई है।
एनजीटी ने पूर्व में नगर निगम को रिस्पना नदी किनारे अवैध अतिक्रमण चिह्नित करने के आदेश दिए थे। नगर निगम ने टीमें बनाकर नदी किनारे सर्वे कर 27 बस्तियों में 525 मकानों को चिह्नित किया था। निगम ने इसकी रिपोर्ट एनजीटी में प्रस्तुत की। इस मामले में 13 मई को एनजीटी न्यायालय में सुनवाई हुई। नगर आयुक्त गौरव कुमार ने अपना पक्ष रखा। दोनों पक्षों की सुनवाई के बाद एनजीटी ने इस मामले में स्पष्ट कहा कि नगर निगम ने जिन अवैध बस्तियों को चिह्नित किया है उनको हर हाल में 30 जून तक हटाया जाए। एनजीटी ने नदी के फ्लड जोन के बारे में भी पूछा। निगम ने कहा कि यह मामला सिंचाई विभाग से जुड़ा है। एनजीटी ने फ्लड प्लेन जोन का चिह्नीकरण हर हाल में कराने को कहा। एनजीटी के सामने यह भी बात आई कि रिस्पना नदी में औद्योगिक इकाइयों का गंदा पानी डाला जा रहा है। जिस पर निगम से जवाब मांगा गया। एनजीटी ने इस मामले में नदी में डाले जा रहे गंदे पानी को रुकवाने के लिए पीसीबी और इसकी निगरानी करने के लिए निगम को कहा। फिलहाल एनजीटी ने अगली सुनवाई अब 24 जुलाई को होगी।

फ्लड प्लेन जोन नदी का वह हिस्सा है जिसमें नदी का पानी बहा है। इसमें 25 सालों से ज्यादा पुराना रिकॉर्ड देखा जाता है। जिसके बाद फ्लड प्लेन जोन निर्धारित किया जाता है। इसके लिए एक्ट भी बना है। फ्लड जोन चिह्नित होने के बाद इस क्षेत्र को रिजर्व कर दिया जाता है। इसमें किसी प्रकार की गतिविधि संचालित नहीं हो सकती। यदि रिस्पना नदी में फ्लड प्लेन जोन का चिह्नित हुआ तो कई अन्य बस्तियां भी अवैध अतिक्रमण के दायरे में आ सकती हैं।

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