पहाड़ में साहसिक, धार्मिक पर्यटन के लिए प्रतिवर्ष भारी तादाद में पर्यटक पहुंचते हैं। बर्फ की सफेद चादर से ढके पहाड़, हरी-भरी ऊंची-ऊंची चोटियां, यहां की हरियाली और ऐतिहासिक व पौराणिक मंदिरों की श्रृखलाएं देशी-विदेशी सैलानियों को अपनी ओर आकर्षित करती हैं।
यहां एक ओर मिलम, पिंडारी ग्लेशियर, सुंदरढूंगा घाटियों के साहसिक पर्यटन का रोमांच है, तो दूसरी ओर आस्था के प्रसिद्ध धाम जागेश्वर, बैजनाथ, बागनाथ, छोटा कैलाश है। यह धाम धार्मिक पर्यटन के लिए पहुंचने वाले पर्यटकों को चार धाम की कमी को पूरा करते हैं।
कौसानी, मुनस्यारी, अल्मोड़ा, रानीखेत, मानिला की खूबसूरत वादियां किसी सम्मोहन से कम नहीं है। यहां आने वाला बस यही बस जाने के लिए बेताब दिखाई देता है
पहाड़ में शीतकाल खत्म होते ही पर्यटन सीजन शुरू हो जाता है। मार्च से लेकर जून माह तक और सितंबर से नवंबर माह तक यहां पर्यटन अपने शबाब में रहता है। अब तो शीतकाल में भी मुनस्यारी आदि जगहों पर पर्यटन स्कीइंग के लिए पहुंचने लगे हैं।
जंगल की आग ने की पर्यटकों की रफ्तार धीमी
इस बार वनाग्नि ने मार्च से मई तक पर्यटकों की रफ्तार थोड़ी धीमी कर दी। पर्यटक पहाड़ की खूबसूरत वादियों को देखने के लिए पहुंचे। लेकिन वनाग्नि के बाद धुंध ने उनको निराश किया। बीते वर्षों की तुलना में 30 प्रतिशत कम पर्यटक पहुंचे। बारिश के बाद एक बार फिर पहाड़ की वादियां हरी-भरी होने लगी है
पर्यटक स्थल जहां पर्यटकों की होती है आवाजाही
- अल्मोड़ा : बिनसर अभ्यारण्य क्षेत्र, कसारदेवी, जागेश्वर, अल्मोड़ा, मानिला, रानीखेत, मार्चुला।
- बागेश्वर : कौसानी, बैजनाथ गरुड़, पिंडरी ग्लेशियर, सुंदरढूंगा घाटी।
- चम्पावत : चम्पावत, लोहाघाट, देवीधुरा, रीठासाहिब।
- पिथौरागढ़ : गंगोलीहाट, बेरीनाग, मुनस्यारी, मिलम, छोटा कैलाश धारचूला, पिथौरागढ़।
- जिला -होटल- होम स्टे
- पिथौरागढ़ -200 -450
- अल्मोड़ा -250 -500
- बागेश्वर -70 -58
- चम्पावत- 52 -150
नोट:- कुमाऊं के चार जिलों में करीब 30 हजार पर्यटकों के रहने की व्यवस्था है।