उत्तराखंड में भीषण गर्मी जारी, अब तक के सारे रिकॉर्ड तोड़ इतना पहुंचा पारा; बेहाल हुए लोग
मई का अंत आते-आते गर्मी ने अपना रौद्र रूप दिखाना शुरू कर दिया है। शुक्रवार को तराई में पारा पहली बार 44 डिग्री सेल्सियस को पार कर गया। इस दौरान शरीर को झुलसाती भीषण गर्मी से लोग हलकान रहे और पेड़ों के छांव की तलाश करते दिखे। जीबी पंत कृषि विवि के मौसम वैज्ञानिक डाॅ. आरके सिंह ने बताया कि शुक्रवार को अधिकतम तापमान जहां 44.1 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया, जो अब तक का अपने आप में रिकाॅर्ड है। वहीं न्यूनतम तापमान 26.0 डिग्री रहा। इस दौरान जहां 5.8 किमी प्रति घंटा के वेग से पश्चिम से दक्षिण दिशा में हवा चली, वहीं आर्द्रता का प्रतिशत 30 रहा। बताया कि वर्ष 1960 में विवि की स्थापना से लेकर अब तक तराई में अधिकतम पारा 43 डिग्री के आसपास दर्ज किया गया है। बताया कि अल नीनो प्रभाव के चलते इस बार तापमान सामान्य से दो-तीन डिग्री अधिक रहने का अनुमान था, जो कि सच साबित हो रहा है। अल नीनो की वजह से सर्दी भी कम पड़ी और अप्रैल-मई में अमूमन होने वाली बारिश बिल्कुल नहीं हुई है। जब बारिश नहीं होती है, तब जमीन सूर्य की किरणों (धूप) को अवशोषित करती है, जिससे मिट्टी की नमी समाप्त हो जाती है और तापमान में बढ़ोतरी दर्ज होती है। बताया कि गर्मी के मौसम में अमूमन पांच से आठ दिन चलने वाली लू इस बार अल नीनो प्रभाव के चलते 18-20 दिन तक चलेगी और लू के थपेड़े लोगों को घरों में दुबकने पर मजबूर कर देंगे। डाॅ. सिंह ने बताया कि आज (शनिवार को) तराई में तेज हवाओं के साथ हल्की (5-7 मिमी) बारिश के आसार बन रहे हैं। इससे लोगों को गर्मी से कुछ राहत मिल सकती है। इसके बाद फिर से गर्मी का प्रकोप शुरू होगा और जून में पारा 45 डिग्री के पार भी जा सकता है। इस दौरान कभी कभी बादलों की आवाजाही के बीच हवाओं की दिशा बदलने पर आंशिक बादल छाने की संभावना है। बताया कि जून से अल नीनो कमजोर पड़ेेगा और ला नीनो का प्रभाव शुरू हो जाएगा। इससे उत्तर भारत में मानसून समय से पहुंचेगा। साथ ही इस बार अच्छी बारिश और भीषण ठंड पड़ेगी कृषि महाविद्यालय में प्लांट पैथोलाॅजी के प्राध्यापक डाॅ. बिजेंद्र कुमार ने बताया कि अप्रैल-मई माह में बारिश नहीं होने से खरीफ और दलहन फसलों की बोआई में देरी होगी। देर से बोआई और पर्याप्त पानी नहीं मिलने से मिट्टी में नमी की मात्रा कम रहेगी, जिसके चलते उत्पादन प्रभावित होगा और उपज में कुछ कमी आएगी। वहीं भीषण गर्मी से मिट्टी में मौजूद शत्रु कीटों का नाश हो जाएगा। जिससे फसलों में अमूमन लगने वाली बीमारियों में कमी आएगी।