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चाणक्य नीति के अनुसार इंसान को कुछ पल की खुशी देते हैं ये 3 चीज, बाद में चुकानी पड़ती है इसकी कीमत

आचार्य चाणक्य को विष्णुगुप्त या फिर कौटिल्य के नाम से भी जाना जाता है जोकि प्राचीन भारतीय के महान आचार्य और विद्वान थे। उनका जन्म लगभग 350 से 400 ईसा पूर्व माना गया है। जिन्होंने अपनी शिक्षा गुरूकुल से प्राप्त की। वह मौर्य साम्राज्य के संस्थापक चंद्रगुप्त मौर्य के प्रमुख सलाहकार थे। बता दें कि नंद वंश के राजा घनानंद के शासनकाल में मगध राज्य भ्रष्टाचार और अत्याचार से पीड़ित था। चाणक्य ने इस अत्याचार को समाप्त करने और न्यायप्रिय शासन स्थापित करने का संकल्प लिया। उन्होंने युवा चंद्रगुप्त को प्रशिक्षित किया और उसे राजा बनाने की योजना बनाई। चाणक्य की कुशल रणनीति और बुद्धिमानी के कारण चंद्रगुप्त ने नंद वंश को पराजित किया और मौर्य साम्राज्य की स्थापना हुई। चाणक्य ने न केवल चंद्रगुप्त को मौर्य साम्राज्य की स्थापना में सहायता की, बल्कि उन्होंने ‘अर्थशास्त्र’, ‘चाणक्य नीति’, ‘कुटनीति’ नामक ग्रंथों की रचना भी की। उनकी नीतियों को अपनाने वाला हर एक व्यक्ति समाज के एक अच्छा और नेक इंसान बनकर उभरता है। तो चलिए आज के आर्टिकल में हम आपको चाणक्य नीति में बताई गई उन तीन चीजों के बारे में बताएंगे, जो आपको कुछ पलों की खुशी तो अवश्य दे सकते हैं, लेकिन भविष्य में आगे चलकर आपको इसकी बड़ी कीमत चुकानी पड़ेगी। आइए जानते हैं विस्तार से…

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