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इस युवक ने अपनी दिव्यांगता को बनाया हथियार और इस खेल में हासिल कर ली महारथ,आज पूरे विश्व में बना चुका है अपनी अलग पहचान

खेल के प्रति एक युवा में ऐसा जज्बा देखने को मिला कि उसने अपनी दिव्यांगता को ही हथियार बना लिया और उस खेल में महारत भी हासिल कर ली। इस युवा खिलाड़ी का नाम यश है जो आगरा के दयालबाग क्षेत्र का रहने वाला है। इस दिव्यांग खिलाड़ी ने उत्तर प्रदेश ही नहीं बल्कि देश को विश्व में गौरवान्वित करने का काम किया है। यश कुमार कैनोइंग के अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी है जिन्होंने पेरिस में होने वाले पैरालंपिक खेलों के लिए क्वालीफाई किया है और वह भारत का प्रतिनिधित्व करेंगे।

स्ट्रीट टाइम्स नाउ से बातचीत करते हुए यश कुमार ने बताया कि वह पढ़ाई कर रहे थे। वह दिव्यांग थे तो अपने आप को कमजोर महसूस करते थे लेकिन उनकी एक दोस्त ने ऐसा जज्बा और जुनून उनके अंदर पैदा कर दिया जिसके कारण वह आज विश्व पटेल पर अपनी अलग पहचान बना पाए हैं। यश कुमार ने बताया कि उनके दोस्त ने ही उन्हें कैनोइंग खेल के बारे में उसे जानकारी दी और बताया था कि दिव्यांग भी इस खेल को खेल सकते है। एक दो बार इस खेल को देखा तो रुचि बढ़ गई और फिर उसे ही अपना लक्ष्य बना लिया।

स्ट्रीट टाइम्स नाउ से बातचीत यश कुमार ने बताया कि अभी भी भारत में खेलों में बहुत गुंजाइश है, अगर प्रदेश और देश खिलाड़ियों को सरकारी सहयोग मिले वैश्विक पटल पर भारत का प्रतिनिधित्व और अधिक बढ़ सकता है। उन्होंने बताया कि देश में सिर्फ एकमात्र भोपाल ऐसा केंद्र है जहां पर कैनोइंग की ट्रेनिंग/ प्रशिक्षण दिया जाता है। उन्होंने केंद्र सरकार के साथ साथ प्रदेश सरकार से अपील की कि कैनोइंग के अन्य शहरों में भी केंद्र खोले जाएं, इससे उनके जैसे और खिलाड़ी अपनी दिव्यांगता को पीछे छोड़ते हुए प्रदेश ही नहीं अपने देश का गौरव बढ़ाएं।

स्ट्रीट टाइम्स नाउ को विशेष बातचीत में बताया कि उन्होंने 2019 से केनोइंग खेल के प्रशिक्षण लेने की शुरूआत की थी। वह तो वेट लिफ्टिंग में अपना भविष्य बनाना चाहते थे, लेकिन उनके प्रशिक्षकों ने वेट लिफ्टिंग में भविष्य बनाने के लिए मना कर दिया। इसके बाद उन्होंने कैनोइंग में अपना भविष्य देखा और भोपाल की तरफ कदम बढ़ाए। उन्होंने बताया कि देश में भोपाल ही अकेला ऐसा केंद्र है जहाँ पर कैनोइंग की ट्रेनिंग दी जाती है।

उन्होंने बताया कि वह अभी तक एशियाई चैंपियनशिप में प्रतिभा कर चुके हैं। एशियाई प्रतियोगिता में उन्होंने भारत के लिए चार पदक झटके हैं। उन्होंने थाईलैंड में कांस्य, उजबेकिस्तान में कांस्य और जापान में गोल्ड और सिल्वर प्राप्त किए हैं। इसके साथ ही 03 बार वर्ल्ड चैंपियनशिप खेली है, लेकिन वह देश को पदक नहीं दिला पाए। उन्होंने दो बार हंगरी में आयोजित वर्ल्ड चैंपियनशिप और एक बार जर्मनी में प्रतिभाग लिया है। उन्होंने बताया कि पेरिस में आयोजित किए जा रहे ओलंपिक खेलों में भी उन्होंने कोटा हासिल किया है। उनका पूरा प्रयास होगा कि वह पैरालंपिक में भारत के लिए पदक अर्चित करें। उन्होंने बताया कि बीते साल चीन के हुंजाऊ में आयोजित एशियाई खेलों में वह चौथे स्थान पर रहे। उन्होंने एशियाई खेलों से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी मुलाकात की थी। उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री लगातार हम जैसे खिलाड़ियों को प्रोत्साहित कर आगे बढ़ाने का काम कर रहे हैं, यही कारण है कि दिव्यांग खिलाड़ी भी वैश्विक पटल पर भारत के लिए पदक झटक रहे हैं।

कैनोइंग से बात करते हुए उन्होंने ओलंपिक खेलों में अच्छा प्रदर्शन करने की उम्मीद जताई है। उन्होंने स्ट्रीट टाइम्स नाउ से बातचीत के दौरान अपना दर्द भी रखा और कहा कि कैनोइंग में भोपाल ही एक ऐसा शहर है जहां पर एकमात्र प्रशिक्षण केंद्र है। उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से अपील की कि उत्तर प्रदेश में काम से कम एक केंद्र कैनोइंग के लिए आवश्यक खोलें। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी अपील की के भोपाल के साथ-साथ देश के अन्य शहरों में भी  कैनोइंग प्रशिक्षण के लिए केंद्र खोलने चाहिए।

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