सुनक ने किंग चार्ल्स को इस्तीफा सौंपा 200 साल में कंजर्वेटिव पार्टी की सबसे बड़ी हार, कीर स्टार्मर नए प्रधानमंत्री बनेंगे
ब्रिटेन में कंजर्वेटिव पार्टी की ऐतिहासिक हार के बाद भारतवंशी ऋषि सुनक ने इस्तीफा दे दिया है। बकिंघम पैलेस में किंग चार्ल्स ने उनका इस्तीफा स्वीकार किया। अब चुनाव में बहुमत हासिल करने वाली लेबर पार्टी के नेता कीर स्टार्मर प्रधानमंत्री बनेंगे। वे कुछ देर बाद किंग के न्योते पर बकिंघम पैलेस पहुंचेंगे।
ब्रिटेन की लेबर पार्टी ने 14 साल बाद सत्ता में वापसी की है। 5 जुलाई (शुक्रवार) को आए नतीजों में पार्टी ने बहुमत का आंकड़ा पार कर लिया है। उसे 650 में से अब तक 412 सीटें मिली हैं। 3 सीटों पर नतीजे आने बाकी हैं।
ब्रिटेन में सरकार बनाने के लिए 326 सीटों की जरूरत होती है। वहीं 2022 से कंजर्वेटिव पार्टी का नेतृत्व कर रहे ऋषि सुनक को अब तक सिर्फ 120 सीटें मिली हैं। यह कंजर्वेटिव पार्टी की पिछले 200 सालों में सबसे बड़ी हार है। सुनक ने हार स्वीकार कर पार्टी से माफी मांगी है। उन्होंने स्टार्मर को भी फोन कर जीत की बधाई दी।
न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक किंग चार्ल्स, नए प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर को काफी पसंद करते हैं। जलवायु परिवर्तन, अवैध प्रवासी, यूरोपीय यूनियन से संबंध जैसे मुद्दों पर दोनों के विचार मिलते-जुलते हैं।
शाही परिवार पर रिसर्च करने वाले इतिहासकार एड ओवेंस ने NYT से कहा कि कई सोशल ईश्यू पर किंग की लंबे समय से नजर रही है। स्टार्मर सरकार अब इन पर ध्यान देगी।
बकिंघम पैलेस से जुड़े कुछ लोगों ने बताया कि दोनों के बीच लंबे समय से अच्छे संबंध रहे हैं। साल 2014 में क्रिमिनल जस्टिस के लिए बढ़िया काम करने पर स्टार्मर को बकिंघम पैलेस की तरफ से ‘नाइटहुड’ की उपाधि भी दी गई थी।
भारत की तरह ही है ब्रिटेन का पॉलिटिकल सिस्टम
ब्रिटेन का राजनीतिक ढांचा काफी हद तक भारत से मिलता-जुलता है। यहां भी संसद के 2 सदन हैं। इन्हें हाउस ऑफ कॉमन्स और हॉउस ऑफ लॉर्ड्स कहा जाता है। ब्रिटेन के नागरिक आम चुनाव में हाउस ऑफ कॉमन्स (लोअर हाउस) के लिए सांसदों का चुनाव करते हैं।
जिस पार्टी को 50% से ज्यादा सीटें मिलती है, वह सरकार बनाती है। पार्टी के लीडर को देश का प्रधानमंत्री घोषित किया जाता है। ब्रिटेन की संसद में कुल 650 सीटें हैं। चुनाव जीतने के लिए पार्टियों को 326 का आंकड़ा पार करना होगा।
अगर किसी भी पार्टी को स्पष्ट बहुमत नहीं मिलता है तो वे बाकी छोटे दलों के साथ मिलकर गठबंधन की सरकार बना सकते हैं। वहीं हाउस ऑफ लॉर्ड्स (अपर हाउस) के सदस्यों का चुनाव नहीं होता, इन्हें प्रधानमंत्री की सिफारिश पर नियुक्त किया जाता है।
इसके सदस्यों की संख्या भी तय नहीं होती है। 20 जून 2024 तक ब्रिटेन के अपर हाउस में 784 सदस्य थे। ब्रिटेन में भारत की तरह वोटिंग से पहले बड़ी-बड़ी रैलियां नहीं होतीं। प्रत्याशी घर-घर जाकर कैंपेन चलाते हैं। इस दौरान वे मतदाता से सीधे उनकी समस्याओं और चुनावी मुद्दों पर बात करते हैं।
इसके अलावा प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार न्यूज चैनल्स को दिए इंटरव्यूज में अपना पक्ष रखते हैं। साथ ही वे वोटरों को साधने के लिए मंदिर भी जाते हैं और कई ईवेंट्स भी ऑर्गेनाइज करवाते हैं।