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रूस ने नेहरू को गिफ्ट की थी गाय अमेरिका से बचाने के लिए मिसाइलें भी भेजी; भारत-रूस दोस्ती का एल्बम

अब ऐसे वक्त में जब पश्चिमी देशों ने रूस को अलग-थलग कर दिया है, PM नरेंद्र मोदी रूस जा रहे हैं। भारत और रूस की ये दोस्ती 77 साल पहले तब शुरू हुई थी, जब आजाद भारत में पहले रूसी राजदूत ने पैर रखा था।

फिर ऐसा वक्त भी आया जब भारत को बचाने के लिए रूस ने अमेरिका और ब्रिटेन के खिलाफ अपने जंगी जहाज भेज दिए थे।

तस्वीर- 21 दिसंबर 1947 पहली बार भारत ने विजय लक्ष्मी पंडित को रूस (तब सोवियत संघ) का राजदूत बनाया। वहीं रूस ने किरिल नोविकोव को भारत राजदूत बनाकर दिल्ली भेजा। ये तस्वीर उसी वक्त की है, जब वे दिल्ली एयरपोर्ट पर अपनी पत्नी और बच्चों के साथ उतरे थे। यही वो दिन था, जब भारत-रूस के रिश्तों की अटूट नींव रखी गई थी। तस्वीर- 7 नवंबर 1951 इस साल दुनिया के मजदूरों की सबसे बड़ी रूसी क्रांति के 34 साल पूरे हो रहे थे। रूस में इस मौके पर भव्य आयोजन हुआ था। भारत के राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद को इसमें शामिल होने का निमंत्रण मिला।
न्योता लेकर खुद रूसी ऐंबैस्डर किरिल नोविकोव भारत के राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद के पास पहुंचे थे। ये तस्वीर उसी वक्त की है।

तस्वीर- 7 जून 1955 पंडित जवाहर लाल नेहरू बतौर PM पहली बार 1955 में सोवियत संघ के दौरे पर गए। इस दौरान मॉस्को में हवाई अड्डे पर उनका स्वागत उस वक्त के कम्युनिस्ट पार्टी के सचिव और रूस के सबसे बड़े नेता निकिता ख्रुश्चेव ने किया था।
हालांकि, ये जवाहरलाल नेहरू का पहला सोवियत दौरा नहीं था। वे 1927 में भी अपने पिता के साथ अक्टूबर क्रांति की 10वीं वर्षगांठ में हिस्सा लेने मॉस्को गए थे।  तस्वीर- 28 नवंबर 1955 भारत और रूस की दोस्ती गहराती जा रही थी। नेहरू की यात्रा के 5 महीने बाद पहली बार USSR मंत्रिपरिषद के अध्यक्ष निकोलाई बुल्गानिन और निकिता ख्रुश्चेव (CPSU सेंट्रल कमेटी के मुख्य सचिव) खुद भारत आ गए।
नई दिल्ली में बने हैदराबाद हाउस में दोनों नेताओं ने कई दिन बिताए थे। दोनों 3 हफ्ते की लंबी यात्रा पर भारत आए थे तस्वीर- नवंबर 2001 अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार केंद्र में थी। पुतिन एक बार फिर से भारत के दौरे पर थे। तब एक मीटिंग में वाजपेयी और पुतिन एक कुर्सी पर बैठे हुए हैं। इस मीटिंग के दौरान गुजरात के तत्कालीन CM नरेंद्र मोदी पीछे खड़े हैं। तब पुतिन को भी अंदाजा नहीं रहा होगा कि पीछे खड़े मोदी भविष्य में भारत के प्रधानमंत्री बनने वाले हैं। । ये दौरा इसलिए भी खास था कि शीतयुद्ध के शुरू होने के बाद पहली बार रूसी नेता ऐसे देश गए थे जो साम्यवादी नहीं था। ये तस्वीर उसी दौरे की है।

तस्वीर- 2007 सरकार भले बदल गई हो पर भारत को लेकर पुतिन के प्यार में कोई कमी नहीं आई। एक बार फिर पुतिन भारत आए और हिंदुस्तान को परमाणु ऊर्जा के लिए तकनीक और संसाधन देने का वादा किया।

इस तस्वीर में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और भारतीय प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह दिख रहे हैं।

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