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यह सीएम राइज स्कूल अवैध है; 14 अगस्त के बाद टूटेगा!

स्कूल शिक्षा विभाग ने लापरवाही का एक ऐसा नमूना पेश किया है जिसको। सुनकर आप भी हैरान रह जाएंगे मध्यप्रदेश शासन? की महत्वाकांक्षी सीएम राय स्कूल के निर्माण कार्य में ही बड़ी लापरवाही सामने आई है। स्कूल शिक्षा विभाग ने जिस निर्माण एजेंसी को एक सीएम राय स्कूल के निर्माण का काम दिया है उसने बिना नगर तथा ग्राम निवेश की अनुज्ञा। के ही निर्माण कार्य शुरू कर दिया।वो काफी निर्माण कार्य हो भी चुका है। अब नगर तथा ग्राम निवेश ग्वालियर के संयुक्त संचालक कृष्णकांत कुशवाहा ने सी एम राइज़ स्कूल के इस निर्माण को तोड़ने का नोटिस जारी कर दिया है। 29 करोड की लागत से बन रहे इस सीएम राइस स्कूल के अवैध निर्माण को अब यदि टी। एनसीपी द्वारा तोड़ा जाता है तो इस नुकसान का जिम्मेदार कौन होगा?

मामला मध्य प्रदेश के ग्वालियर जिले का है। जहां खेल गांव के ही समीप सीएम राइज कन्या ग्वालियर विद्यालय के नए भवन का निर्माण हो रहा है। स्कूल शिक्षा विभाग ने सी एम राइज स्कूल ये नवीन भवन के निर्माण का कार्य पुलिस हाउसिंग कॉर्पोरेशन। को दिया है यह निर्माण ग्राम स्वेज फार्म। की सर्वे नंबर 67, 68 व 69 की भूमि पर किया जा रहा है। लेकिन इस निर्माण कार्य के लिए न। ा तो स्कूल शिक्षा विभाग ने अनुमति ली और ना ही पुलिस हाउसिंग कॉरपोरेशन ने। यहाँ पर इस सीएम राइज स्कूल के 3 मंजिला भवन का निर्माण कार्य अब लगभग फाइनल स्टेज पर है जिसके बाद इस भवन के निर्माण कार्य को शुरू करने के लिए आवेदन टीएंडसीपी में किया गया है जबकि निर्माण पहले ही हो चुका है। टीएंडसीपी द्वारा दिए गए नोटिस में 35 जिनके अंदर निर्माण कार्य हटाने की बात कही गई है यह नोटिस 9 जुलाई को जारी किया गया है और इसकी समय सीमा 14 अगस्त को पूरी हो जाएगी। लेकिन अभी तक इसे सीएम राइस स्कूल के निर्माण को लेकर विभागों में समन्वय समाधान की कोई शुरुआत नहीं हुई है। आपको बता दें कि सीएम राइज़ स्कूल खेल गाँव का मामला टी एंड सीपी। के संज्ञान में तब आया जब निर्माण के बाद स्कूल की तरफ से डीएनसीपी की अनुमति के लिए ऑनलाइन आवेदन किया गया जिसे। टीएनसीपी द्वारा निरस्त कर कर कर कर।नोटिस जारी किया गया। यहां एक और बड़ा खुलासा यह हुआ है के पूरे प्रदेश में बंद रहे सीएम। राइस स्कूल इसी तरह से निर्माणाधीन है या निर्मित हो चुके हैं। किसी ने भी टीएन सीपी। से अनुमति नहीं ली है जबकि जिन जिलों में मास्टर प्लान लागू है। वहाँ टी एन सी पी कि अनुमति के बाद उनके मापदंडों के अनुसार ही निर्माण कार्य होना चाहिए।

नगर तथा ग्राम निवेश टीएन सीपी। की मानें तो इस स्कूल का निर्माण कार्य टीएन सीपी। के मापदंडों के हिसाब से भी नहीं हुआ है। इसके निर्माण में कई तरह की खामियां नज़र आ रही हैं। नियम अनुसार निर्माण से पहले टीएमसीपी को आवेदन किया जाता है। आवेदन के आधार पर विभाग की टीम निरीक्षण रिपोर्ट तैयार करती है तब अनुमति प्रदान करती है और कुछ खामियां होने पर उनके बदलाव की समीक्षा भी करती है। टीएनसीपी की अनुमति के बिना बंद रहे सीएम। राइज़ स्कूल के भवन का निर्माण जल्दी हुआ है। ऐसा भी नहीं है क्योंकि इसका निर्माण 2000। 23 में पूरा होना था लेकिन बजट में और अन्य स्वीकृतियों में देरी के चलते अब इसके निर्माण की सीमा जुलाई 2000। चौबीस कर दी गई है और यहाँ गौर करने वाली बात यह है के निर्माण पूर्ण करने की समय सीमा जुलाई दो हजार चौबीस है और इस निर्माण की सीमा तक भी इस सीएम राइस स्कूल के निर्माण की नगर तथा ग्राम निवेश की अनुमति नहीं ली गई। यहाँ एक बड़ा सवाल यह उठता है कि जब सरकारी विभाग ही मास्टर प्लान के अनुरूप अपने भवनों के निर्माण की अनुमति नहीं ले रहे हैं तो निजी बिल्डर और भवन निर्माताओं से यह अपेक्षा कैसे करे? कि वह भी शासन के नियम का पालन करें कि निर्माण से पहले टीएंडसीपी की अनुमति जरूर लें।

नगर तथा ग्राम निवेश की अनुमति के बिना बंद रहे अवैध सीएम। राइज़ स्कूल का निर्माण यह बताता है कि किस तरह शासन के विभिन्न विभागों में समन्वय की कमी है। यहां पर सीएम राइज स्कूल भी मध्य प्रदेश शासन का है। शिक्षा विभाग भी मध्य प्रदेश शासन का है। पुलिस हाउसिंग कॉरपोरेशन भी मध्य प्रदेश शासन का ही निर्माण विभाग है और नगर तथा ग्राम निवेश टी ऐंड सी पी भी शासन का ही विभाग है। अब यहाँ लापरवाही या कमी किसी भी विभाग की रही हो। सीएम राइज स्कूल मध्यप्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की महत्वाकांक्षी योजना रही है। उनका सपना था कि मध्य प्रदेश के गरीब बच्चों को भी सरकारी स्कूल में ही निःशुल्क और अच्छी गुणवत्ता की शिक्षा मिले। इस उद्देश्य से उन्होंने यह योजना शुरू की। पहले तो अधिकारियों की लापरवाही के चलते इस योजना के पूरे होने में ही कई सीएम राइज स्कूल भवनों के निर्माण में देरी हो रही है और अब बिना अनुमति के अवैध स्कूल का। निर्माण यह दर्शाता है ये यह गैर जिम्मेदार अधिकारी किस तरह शासन की योजना को पलीता लगाने में लगे हुए हैं।

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