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बाबा महाकाल की सवारी में बनेगा विश्व रिकॉर्ड, 1500 डमरू वादक भस्मआरती की धुन पर देंगे प्रस्तुति

मध्य प्रदेश में उज्जैन और उज्जैन में महाकालेश्वर भगवान का दर्शन विश्व के आईने में देखा जाता है और जो इंसान महाकालेश्वर के दर्शन कर ले उसे पल भर में यह महसूस हो जाता है कि, उसकी जिंदगी सफल हो गई। हम बात कर रहे हैं महाकालेश्वर भगवान के मंदिर उज्जैन में पहली बार मप्र सरकार के संस्कृति विभाग और स्थानीय डमरू वादक दल के कलाकारों ने मिलकर इतिहास रचने का निर्णय लिया है। उज्जैन के जिला कलेक्टर युवा आईएएस अधिकारी नीरज सिंह के अनुसार आज बाबा महाकाल की सवारी में 1500 डमरू वादक भस्म आरती की धुन पर प्रस्तुति देंगे और यह गिनीज बुक ऑफ वल्र्ड रिकार्ड से बड़ा विश्व रिकार्ड बन जाएगा। कलेक्टर उज्जैन ने बताया कि श्रावण- भादौ मास के तीसरे सोमवार 5 अगस्त को निकलने वाली बाबा महाकाल की सवारी में उत्साह, उमंग और भक्ति का दृश्य और अधिक विहंगम होगा। सवारी में 1500 डमरू वादक भस्म आरती की धुन पर डमरू वादन कर विश्व कीर्तिमान रचेंगे। भोपाल और उज्जैन के डमरु वादक के दल द्वारा महाकाल लोक के शक्तिपथ और सवारी में विशेष प्रस्तुति दी जाएगी। डमरू वादकों द्वारा महाकाल लोक के शक्तिपथ पर प्रात: 11 बजे विशेष प्रस्तुति दी जायेगी। जिला प्रशासन और महाकाल प्रबंध समिति द्वारा डमरू वादन के कार्यक्रम की समुचित तैयारियां सुनिश्चित की गई हैं। डमरू वादकों के दलों को महाकाल प्रबंध समिति की ओर से विशेष प्रशिक्षण दिया गया हैं। जिसकी रविवार को फाइनल रिहर्सल की गई। प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव की मंशानुरूप बाबा महाकाल की सवारी में उत्साह और आकर्षण को और अधिक बढ़ाने के क्रम में जनजातीय कलाकारों की प्रस्तुति, 350 जवानों के पुलिस बैंड की प्रस्तुति के बाद अब बाबा महाकाल की सवारी में डमरू वादन का गिनीज बुक ऑफ़ वल्र्ड रिकॉर्ड बनने जा रहा हैं। कलेक्टर नीरज सिंह के अनुसार तृतीय सोमवार को भगवान श्री महाकालेश्वर श्री चंद्रमौलेश्वर के रूप में पालकी में, हाथी पर श्री मनमहेश के रूप में व गरूड़ रथ पर श्री शिव-तांडव रूप में विराजित होकर अपनी प्रजा का हाल जानने नगर भ्रमण पर निकलेंगे। तैयारी को लेकर उज्जैन के अपर कलेक्टर अनुकूल जैन ने कहा कि जिला प्रशासन की कोशिश है डमरू वादकों के दल का महत्व भी महाकालेश्वर मंदिर के महत्व के साथ पूरे विश्व में लोकप्रियता के शिखर को छूने वाला है। उन्होंने कहा कि, इतिहास में यह पहला अवसर है जब स्थानीय डमरू वादकों का दल मप्र सरकार के संस्कृति विभाग द्वारा चयनित डमरू वादकों के दल के साथ भगवान महाकालेश्वर की पूजा में अद्भुत योगदान प्रदान करेगा। श्री महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति के प्रशासक एवं अपर कलेक्टर मृणाल मीना ने बताया कि, महाकालेश्वर भगवान की सवारी निकलने के पूर्व श्री महाकालेश्वर मंदिर के सभामंडप में भगवान चन्द्रमोलेश्वर का विधिवत पूजन-अर्चन होगा। उसके पश्चात भगवान चन्द्रमोलेश्वर पालकी में विराजित होकर नगर भ्रमण पर निकलेंगे। मंदिर के मुख्य द्वार पर सशस्त्र पुलिस बल के जवानों द्वारा पालकी में विराजित भगवान को सलामी दी जावेगी। भगवान महाकालेश्वर की सवारी का सजीव प्रसारण श्री महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति के फेसबुक पेज पर भी किया जाएगा। जनजातीय लोक कला एवं बोली विकास अकादमी मध्यप्रदेश संस्कृति परिषद के माध्यम से भगवान महाकालेश्वर की सवारी में जनजातीय कलाकारों का दल भी सहभागिता करेगा। 05 अगस्त को मध्यप्रदेश के निमाड अंचल के पारंपरिक लोकनृत्य काठी नृत्य दल श्री महाकालेश्वर भगवान की तीसरी सवारी में पालकी के आगे भजन मंडलियों के साथ अपनी प्रस्तुति देते हुए चलेगा। इस विशेष रिपोर्ट का लब्बोलुआब यह है कि, दुनिया भर में मप्र के उज्जैन नगर में चिरस्थाई भगवान महाकालेश्वर का मंदिर और उनके दर्शन को लेकर भविष्य में अब जितने भी आयोजन होंगे वे सबके सब सिंहस्थ 2028 तक विश्व रिकार्ड बनाने के योग्य होंगे ऐसा लिखा जाए तो चौंकिएगा मत।

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