मुख्यमंत्री निवास में मनाई गई कृष्ण जन्माष्टमी, बुलाने पर सब आए परन्तु शिवराज नहीं आए, कृष्ण के जीवन पर शोध को प्राथमिकता: मोहन यादव
मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कल मुख्यमंत्री निवास में उसी स्थान पर कृष्ण जन्माष्टमी का उत्सव मनाया जहां पर पिछले 17 साल तक पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान बाजे-गाजे, भजन-गीत के साथ देर रात तक जन्माष्टमी का उत्सव मनाते-मनाते थकते नहीं थे, लेकिन आज जब मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने उसी स्थान पर पहली बार सबको आमंत्रित करते हुए भगवान कृष्ण जन्माष्टमी पर्व हर्षोल्लास से मनाया तो सब चले आए परन्तु केन्द्रीय कृषि मंत्री शिवराज नहीं आए। उपस्थित जनसमुदायों गाहे-बगाहे कुछ समर्थक शिवराज को मुख्यमंत्री निवास में मिस कर रहे थे और कह रहे थे कि मामा होते यहां पर तो रात भर वृंदावन यहीं बसा होता। सच तो यह है कि, जन्माष्टमी के अवसर पर भगवान कृष्ण के प्रति समर्पित करने के साथ-साथ उनके उपदेशों का अनुशरण शिवराज के जमाने में जीरो था। इस दफे मुख्यमंत्री निवास में जन्माष्टमी का पर्व कुछ अलग अंदाज में मनाया गया जहां पर भाव समन्वय का था और उद्देश्य पूरे मप्र को कृष्ण भक्ति के साथ जोडऩे का था। इसी के चलते एक दर्जन मंत्री विश्वास सारंग, कृष्णा गौर से लेकर पैरों में प्लास्टर से लबरेज राकेश सिंह वहां पर मौजूद थे तो दूसरी ओर संगठन के अध्यक्ष विष्णुदत्त शर्मा, हितानंद शर्मा, पूर्व केन्द्रीय मंत्री सुरेश पचौरी, सांसदों में संध्या राय, विधायकों में रामेश्वर शर्मा की झलकियां देखी गईं। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने संस्कृति विभाग के प्रमुख सचिव शिवशेखर श़ुक्ला द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में खुल कर यह कहा कि, हम कृष्ण भक्त हैं, मप्र में उत्कृष्ट शिक्षा का स्तर इसलिए है क्योंकि भगवान कृष्ण ने उज्जैन में आकर अपने सुदामा मित्रों के साथ शिक्षा ग्रहण की थी जो इस भावना का प्रतीक है कि शोषित, पीडि़त जनता हमारी प्राथमिकता है। मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर कहा कि भगवान कृष्ण पर शोध करने वालों को हम फैलोशिप में प्राथमिकता देंगे। उल्लेखनीय है कि, मध्यप्रदेश में भगवान श्रीराम ने 11 वर्ष निवास किया, वहीं भगवान श्रीकृष्ण ने प्रदेश में आचार्य सांदिपनि आश्रम, उज्जैन में शिक्षा ग्रहण की। इस नाते मध्यप्रदेश गौरवशाली प्रदेश है। मध्यप्रदेश सरकार ने भारतीय समाज के इन दोनों प्रमुख आराध्यों की प्रदेश से जुड़ी स्मृतियों को चिरस्थाई बनाने के लिए उन स्थानों के विकास का निर्णय लिया है, जहां इन आराध्यों के चरण पड़े। इसके साथ ही भगवान श्रीकृष्ण के व्यक्तित्व एवं मध्यप्रदेश में शिक्षा प्राप्ति से जुड़े विभिन्न पक्षों पर शोध को भी प्रोत्साहित किया जाएगा। इस अवसर पर संस्कृति विभाग के प्रमुख सचिव शिव शेखर शुक्ला ने कहा कि प्रदेश में अनेक स्थानों पर श्रीकृष्ण पर्व सम्पन्न हुए। श्रीकृष्ण मंदिरों की स्वच्छता और सुंदरता से कार्यक्रमों के आयोजन अनूठे बने। आम नगारिकों ने कार्यक्रमों में उत्साह से भागीदारी की। इस विशेष रिपोर्ट का लब्बोलुआब यह है कि, मुख्यमंत्री निवास में 17 साल बाद कृष्ण जन्माष्टमी के अवसर पर पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की कमी का अहसास भाजपा के कई नेताओं ने दबी जुवान से किया, जबकि मामा शिवराज अपने 74 बंगले स्थित निवास पर जन्माष्टमी के पर्व में मग्न थे। आश्चर्य एवं चौकाने वाला डॉ. मोहन यादव का दृष्टिकोण कृष्ण भक्ति से ओत-प्रोत था जिसे अयोध्या, काशी के बाद अब मथुरा की शुरुआत मप्र से ही ऐसा स्पष्ट संकेत उनके भाषणों में मिल चुका है, यकीन कर लिया जाए तो चौंकिएगा मत।