संगीनों के साये में आते हैं भगवान के आभूषण, यह है दुनिया का सबसे महंगा शृंगार
ग्वालियर शहर में कृष्ण जन्माष्टमी के अवसर पर गोपाल जी मंदिर में भगवान श्रीकृष्ण और राधा रानी का विशेष श्रृंगार किया गया। इस वर्ष, मंदिर में 100 करोड़ रुपये के बेशकीमती आभूषणों से राधा-कृष्ण का शृंगार किया गया है, जिसमें हीरा, नीलम, पन्ना, माणिक और पुखराज जैसे अनमोल रत्न जड़े हुए हैं। यह अद्वितीय श्रृंगार देखने के लिए भक्तों का तांता लगा रहा, जिनमें विदेशी भक्त भी शामिल थे।
राधा-कृष्ण के इन बेशकीमती आभूषणों को साल भर बैंक के लॉकर में विशेष सुरक्षा में रखा जाता है। जन्माष्टमी के दिन इन्हें कड़ी पुलिस सुरक्षा के बीच बैंक के लॉकर से निकालकर मंदिर लाया जाता है। इस दौरान, मंदिर के अंदर और बाहर 100 से अधिक जवान तैनात किए जाते हैं, और पूरे मंदिर परिसर में एक सैकड़ा से अधिक सीसीटीवी कैमरे लगाए जाते हैं।
इन अनमोल आभूषणों में सोना-चांदी के साथ-साथ रत्नों का अद्भुत संगम देखा जा सकता है। माता राधा के सात लड़ी के हार में पन्ना, हीरे और माणिक जड़े हुए हैं, जबकि श्रीकृष्ण की बांसुरी सोने की है, जिस पर भी हीरे लगे हुए हैं। राधा और कृष्ण के मुकुट में हीरे, पन्ना और पदम जड़े हुए हैं। इन आभूषणों को देखकर ऐसा प्रतीत होता है जैसे आकाश में तारे चमक रहे हों।
गोपाल मंदिर का इतिहास और महत्व
गोपाल मंदिर की स्थापना 1921 में ग्वालियर रियासत के तत्कालीन शासक माधवराव सिंधिया प्रथम द्वारा की गई थी। मंदिर में राधा-कृष्ण की पूजा के लिए चांदी के बर्तन और रत्न जड़ित सोने के आभूषण विशेष रूप से तैयार करवाए गए थे। इनमें राधा-कृष्ण के लिए 55 पन्ना जड़ित सात लड़ी का हार, सोने की बांसुरी, सोने की नथ, जंजीर, और चांदी के पूजा के बर्तन शामिल हैं। हर साल जन्माष्टमी के अवसर पर, इन अनमोल आभूषणों से भगवान का विशेष श्रृंगार किया जाता है, जिसे देखने के लिए भक्त वर्ष भर इंतजार करते हैं।
आभूषणों का इतिहास
देश की आजादी से पहले तक भगवान राधा-कृष्ण नियमित रूप से इन आभूषणों को धारण करते थे। लेकिन आजादी के बाद से इन आभूषणों को बैंक के लॉकर में सुरक्षित रखवा दिया गया। नगर निगम की देखरेख में इन्हें हर जन्माष्टमी पर मंदिर में लाया जाता है और भगवान राधा-कृष्ण का विशेष श्रृंगार किया जाता है। तब से लेकर हर साल जन्माष्टमी पर यह परंपरा जारी है, जिसमें राधा-कृष्ण को इन अनमोल आभूषणों से सजाया जाता है।