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कहर बरपाएगा ‘असना’; 48 साल बाद आया साइक्लोन मचाएगा तबाही!

भारतीय मौसम विभाग (आईएमडी) ने कहा कि गुजरात में मूसलाधार बारिश और बाढ़ का कारण बना गहरा दबाव शुक्रवार को कच्छ के तट और पाकिस्तान के आस-पास के इलाकों में चक्रवात असना में बदल गया। 1976 के बाद अगस्त में अरब सागर में यह पहला चक्रवाती तूफान है। जिसे असना नाम पाकिस्तान ने दिया है।

1891 से 2023 के बीच अगस्त में सिर्फ तीन तूफान
आईएमडी के अनुसार, 1891 से 2023 के बीच अगस्त के दौरान अरब सागर में केवल तीन चक्रवाती तूफान आए (1976, 1964 और 1944 में)। 1976 का चक्रवात ओडिशा से शुरू हुआ, पश्चिम-उत्तर-पश्चिम की ओर बढ़ा, अरब सागर में प्रवेश किया, एक लूपिंग ट्रैक का अनुसरण किया और ओमान तट के पास उत्तर-पश्चिम अरब सागर में कमजोर पड़ गया। 1944 का चक्रवात अरब सागर में उभरने के बाद कमजोर पड़ने से पहले तेज हो गया था। 1964 में, दक्षिण गुजरात तट के पास एक और अल्पकालिक चक्रवात विकसित हुआ और तट के पास कमजोर पड़ गया।

अरब सागर पर बना गहरा दबाव बना असना
आईएमडी ने कहा कि कच्छ तट और पाकिस्तान के आस-पास के इलाकों और पूर्वोत्तर अरब सागर पर बना गहरा दबाव पिछले 6 घंटों के दौरान 6 किलोमीटर प्रति घंटे की गति से पश्चिम की ओर बढ़ा, चक्रवाती तूफान ‘असना’ में तब्दील हो गया और भुज (गुजरात) से 190 किलोमीटर पश्चिम-उत्तरपश्चिम में उसी क्षेत्र में 1130 बजे केंद्रित हो गया।

गुजरात में चार दिनों में 26 लोगों की मौत
मौसम विभाग ने कहा कि यह अगले दो दिनों में भारतीय तट से दूर पूर्वोत्तर अरब सागर के ऊपर पश्चिम-उत्तरपश्चिम की ओर बढ़ना जारी रखेगा। बता दें कि गुजरात में पिछले चार दिनों में बारिश से जुड़ी घटनाओं में 26 लोगों की जान चली गई है। राज्य में बाढ़ प्रभावित इलाकों से 18 हजार से अधिक लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है और लगभग 1,200 लोगों को बचाया गया है।

भारी बारिश से सबसे अधिक वडोदरा शहर हुआ प्रभावित
राज्य आपातकालीन संचालन केंद्र (एसईओसी) के अनुसार, कुछ मामलों में सुरक्षा बलों ने लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने के लिए हेलीकॉप्टरों का इस्तेमाल किया। हाल ही में हुई भारी बारिश से सबसे अधिक प्रभावित शहर वडोदरा में कुछ राहत मिली, क्योंकि विश्वामित्री नदी का जलस्तर सुबह 37 फीट से घटकर 32 फीट रह गया। हालांकि, कई निचले इलाकों में अभी भी बाढ़ का पानी भरा हुआ है। जबकि मंगलवार की सुबह भारी बारिश और अजवा बांध से पानी छोड़े जाने के बाद नदी का जलस्तर 25 फीट के खतरे के निशान को पार कर गया था।

पोर्ट ब्लेयर में कई टीमों ने किया मॉक ड्रिल
वहीं अंडमान और निकोबार द्वीप समूह पर प्राकृतिक आपदाओं से निपटने की तैयारियों की समीक्षा के लिए आज पोर्ट ब्लेयर में एनडीआरएफ, जिला प्रशासन, पुलिस और अग्निशमन और आपातकालीन सेवा विभाग की टीमों की तरफ से संयुक्त रूप से मॉक ड्रिल का आयोजन किया गया।

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