परिसीमन आयोग: नये कदम से मिल सकता है प्रशासनिक सुधार, कुछ चुनौतियाँ भी होंगी
भोपाल। मध्य प्रदेश की प्रशासनिक इकाइयों की सीमाओं के पुनर्निर्धारण के लिए नए परिसीमन आयोग का गठन किया गया है। यह कदम पुराने जिलों, संभागों, तहसीलों और विकासखंडों की सीमाओं को नए सिरे से निर्धारित करने के उद्देश्य से उठाया गया है। विशेषज्ञों का कहना है कि जब परिसीमन वैज्ञानिक और दबाव रहित आधार पर होगा, तभी इसका वास्तविक लाभ प्रदेश की जनता को मिलेगा। शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्र विकास विशेषज्ञ मनोज मीक ने सुझाव दिया कि प्रशासनिक मुख्यालयों की अधिकतम दूरी 50 किमी के दायरे में होनी चाहिए, ताकि ग्रामीण और आदिवासी क्षेत्रों के लोगों को प्रशासनिक सेवाओं तक आसान पहुँच मिल सके। इससे लोगों को व्यक्तिगत कामों के लिए भी दूर की यात्रा नहीं करनी पड़ेगी।
संभावित चुनौतियाँ…
2011 के जनगणना डेटा की पुरातनता एक बड़ी चुनौती है। सही और अद्यतन डेटा को एकत्रित करना और उसका विश्लेषण करना आवश्यक होगा।
नए परिसीमन के कारण कुछ क्षेत्रों में विरोध और विवाद उत्पन्न हो सकते हैं। इस विरोध को समझना और उसका समाधान करना भी एक चुनौती होगी।
प्रशासनिक इकाइयों के पुनर्गठन में कई पहलुओं का ध्यान रखना पड़ता है, जैसे क्षेत्रीय असमानता, संसाधनों का वितरण और स्थानीय जरूरतें।
जनसंख्या के आधार पर परिसीमन…
मध्य प्रदेश की 2011 की जनगणना के अनुसार जनसंख्या 7.27 करोड़ थी, जबकि 2023 के लिए अनुमानित जनसंख्या 8.77 करोड़ है। जनसंख्या घनत्व 236 व्यक्ति प्रति वर्ग किमी था, जो कि राष्ट्रीय औसत 382 से कम है। विशेषज्ञों का मानना है कि परिसीमन में जनसंख्या को एक महत्वपूर्ण आधार बनाना चाहिए, लेकिन 2011 के आंकड़े अब पुरातन हो चुके हैं। वर्तमान जनसंख्या डेटा का उपयोग करना आवश्यक होगा ताकि परिसीमन अधिक सटीक और न्यायपूर्ण हो सके।
परिसीमन आयोग की यह नई पहल प्रशासनिक सुधार और समग्र विकास की दिशा में महत्वपूर्ण कदम हो सकती है। हालांकि इसके फायदे स्पष्ट हैं, लेकिन यह भी जरूरी है कि इस प्रक्रिया को सही तरीके से लागू किया जाए और संभावित चुनौतियों का समाधान किया जाए। इसके लिए सभी पक्षों की सहमति और विशेषज्ञों की सलाह महत्वपूर्ण होगी।