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मुक्तिधाम में रखे अस्थिकलशों को आज भी है अपनों का इंतजार

हल्द्वानी। इन दिनों पितृ पक्ष चल रहा है। और लोग श्राद्ध अनुष्ठान के माध्यम से अपने पितरों को याद कर उनके मोक्ष की कामना कर रहे है। लेकिन शहर के मुक्तिधाम में आज भी कई ऐसे अस्थि कलक्ष पड़े हुये है। जो वर्षों से अपनों के आने की वाट जोह रहे ताकि उनके विसर्जन का लम्बा इंतजार समाप्त हो सके। मुक्तिधाम राजपुरा में रखे डेढ़ से दो दर्जन अस्थि कलश उन अभागों के है, जिन्हें उनके अपने बिसर्जन के नाम पर यहां रख गये लेकिन फिर कभी लौट कर नहीं आये। हल्द्वानी शहर में रानीबाग के चित्रशीला घाट व राजपुरा के मुक्तिधाम में प्रतिदिन कई शवों के अंतिम दाह संस्कार की क्रिया को अंजाम दिया जाता है। इस दौरान कई लोग अपने निजी कारणों के चलते अस्थि कलश को बिसर्जन करने के नाम पर यहां रख जाते है। राजपुरा के मुक्तिधाम में रखें करीब डेढ़ से दो दर्जन अस्थि कलश ऐसे ही लोगों के है, जो शव के दाह संस्कार के बाद उनके द्वारा यहां रखवाये गये पर उन में कुछ लोगों को छोड़ कर अन्य अस्थि कलशों को आज तक लेने नहीं आये। मुक्ति धाम में रखे ये दर्जनों अस्थि कलश वर्षोें से अपनों के आने की राह देख रहे है, लेकिन उनके बिसर्जन का इंतजार है कि खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है। पुराणों के अनुसार मान्यता है कि अस्थि बिसर्जन से मृतक की आत्मा को शान्ति मिलती है और उसे मोझ की प्राप्ति होती है। यहां मुक्तिधाम में रखे इन डेढ़ से दो दर्जन अस्थि कलशों के उपर जमी धुल की परते उनके लम्बे इंतजार को दर्शा रही है। जो दर्शाती है कि उनके अपने इन अस्थि कलशों को यहां रखवाने के बाद वापस नहीें लौटे है। मुक्तिधाम के संचालक भ्रदासन प्रसाद का इन अस्थि कलशों को लेकर कहना है कि जो अस्थियां बिसर्जन के इंतजार में यहां पड़ी रह जाती है ऐसे सभी अस्थियों का बिसर्जन समिति के माध्यम से किया जाता है।

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