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कैसे हुई थी माधवराव सिंधिया की मौत PM अटल समेत पूरी संसद पहुंची थी अंत्येष्ठि में

30 सितंबर, 2001 सुबह के लगभग नौ बजे थे. अचानक मोबाइल पर दिल्ली के नंबर का एक कॉल आया. उठाने पर आवाज आयी- महाराज बात करेंगे. उधर से खनकदार आवाज माधव राव सिंधिया की थी. उन्होंने बताया कि वे अभी थोड़ी देर बाद कानपुर के लिए निकलेंगे, इसलिए आज दोपहर में होने वाली हम लोगों की टेलीफोनिक मीटिंग अब शाम को लौटने के बाद ही होगी. दरअसल, सिंधिया परिवार 6 अक्टूबर की तैयारी में जुटा था. इस दिन तब के युवराज और आज के केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया को सामाजिक जीवन में प्रवेश कराने की औपचारिक तैयारी थी और इसके लिए सिंधिया राजघराने के संस्थापक महादजी सिंधिया की स्मृति में एक संभाग स्तरीय वृहद दौड़ का भव्य आयोजन होना था. उस मौके पर एक चार पेज का कलर परिशिष्ट प्रकाशित होना था जो अखबारों में भरकर घर-घर पहुंचाने की योजना थी और इसको तैयार करने वाली सम्पादकीय टीम का मैं भी हिस्सा था.

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