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विकृति की पराकाष्ठा के बाद होगा संस्कृति का उदयः शंकराचार्य स्वामी श्रीनिश्चलानंद सरस्वती

आगरा। सनातन संस्कृति में माता का स्थान पिता से भी उच्च बताया गया है। संस्कारों का बीज माता की लोरी से ही बालक में पड़ जाता था किंतु विडंबना है कि माताएं आज बालक को अपने संस्कार देने की जगह मोबाइल का ज्ञान दे दे रही हैं, जरा सा रोने पर हाथ में मोबाइल पकड़ा देती हैं। संस्कृति का पतन लगातार हो रहा है। वर्तमान परिवेश में समाज की मनोदशा पर यह कहना था ऋग्वेदीय पूर्वाम्नाय श्रीगोर्द्धनमठ जगन्नाथपुरी के पीठाधीश्वर अनन्त श्री विभूषित जगद्गुरु शंकाराचार्य स्वामी श्रीनिश्चलानंद सरस्वती महाराज का।
गुरुवार को शारदीय नवरात्र की प्रतिपदा पर निश्चलानंद महाराज तीन दिवसीय आगरा प्रवास के लिए 28, विभव नगर, सेक्टर 4 पहुंचे। प्रातः दर्शन के बाद निश्चलानंद महाराज ने प्रेसवार्ता को संबोधित किया और इसके बाद धर्मसभा में अनुयायियों को सनातन धर्म रक्षण पर अपने ज्ञान से अभिसंचित किया।
इस दौरान अपनी पीड़ा व्यक्त करते हुए कहा कि आज स्थिति मुगलों और ब्रिटिश दौर से भी खराब हो चुकी है। उस दौर में चार पीठाें के अलावा शंकराचार्य कभी नहीं हुए थे और आज स्थिति ये है कि गली− गली में शंकराचार्य का नाम रखकर लोग घूम रहे हैं। उन्होंने हिंदू राष्ट्र विषय पर कहा कि अमेरिका− पाकिस्तान में रहने वाले लोग कहते हैं कि उनके पूर्वज सनातनी हिंदू थे। उनके आग्रह को संज्ञान में लेकर ही तीन वर्ष पूर्व भारत को हिंदू राष्ट्र घाेषित करने की उनके द्वारा मांग की गयी थी।
योगी सरकार द्वारा दुकानों या प्रतिष्ठानों पर नाम आवश्यक करने की बात पर उन्होंने कहा कि जब नियत खराब हो जाएगी तो सख्ती तो करनी ही होगी। लोग पानी की टंकी में पेशाब कर रहे हैं, हलावाइ थूक लगाकर खाना बना रहे हैं। उन्होंने कहा कि विकृति की पराकाष्ठा के बाद सनातन संस्कृति का उदय होगा।
तिरुपति बालाजी में प्रसाद कांड पर कहा कि धर्मस्थलों को सरकारी अंकुश से मुक्त कर देना चाहिए। जहां शासन− प्रशासन का हस्तक्षेप होगा वहां शुद्धता, धर्म का ह्वास होगी ही। प्रमाणिक शंकराचार्य की देखरेख में ही धर्म स्थलों का संचालन होना चाहिए। आज सभी मठ शासन के अधीन है बस श्रीगोर्द्धनमठ जगन्नाथपुरी सरकार के हस्तक्षेप से दूर है।
हिंदुत्व के रक्षण पर स्वामी जी महाराज ने समाज को संदेश दिया कि किसी की प्रतिक्षा न करें। कानून या सरकार स्वयं आकर आपके बच्चों को संस्कारित नहीं करेंगे। स्वयं अपने स्तर से बच्चों और समाज में सनातन संस्कार के बीज रोपित करें।
स्वामी निश्चलानंद ने आगे कहा कि आज विवाह विच्छेद की संख्या भी अधिक इसलिए बढ़ गयी है क्योंकि आज लव मैरिज हो रही है। जो विवाह विधि पर आधारित होगा वो टूटेगा नहीं।
बागेश्वर धाम के धीरेंद्र शास्त्री के पास बढ़ रही भीड़ पर कहा कि जो लोग थूक का पानी पिलाते हैं, उनसे तो अच्छा धीरेंद्र शास्त्री काम कर रहे हैं। वो कम से कम लोगों को गलत जगह जाने से तो बचा रहे हैं।
दो दिन तक अनुयायी लेंगे ज्ञान गंगा का लाभ 
कार्यक्रम आयोजक युवराज सिंह परिहार ने बताया कि 4 अक्टूबर, दिन शुक्रवार को सुबह 11 बजे सेक्टर चार स्थित पार्क में दर्शन, दीक्षा होगी। इसके बाद साएं 5 बजे से गोष्ठी होगी। 5 अक्टूबर दिन शनिवार को महाराज का आगरा से वृंदावन के लिए प्रस्थान हो जाएगा। आयोजन के दौरान आदित्यवाहिनी संगठन के पदाधिकारी भी उपस्थित रहे।
145 वें जगद्गुरु शंकराचार्य हैं निश्चलानंद महाराज 
स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ऋग्वेदीय पूर्वाम्नाय श्रीगोर्द्धनमठ जगन्नाथपुरी के 145 वें पीठाधीश्वर अनन्त श्री विभूषित जगद्गुरु शंकाराचार्य हैं। स्वामी श्रीनिश्चलानंद सरस्वती महाराज यजुर्वेद के प्रखर ज्ञानी हैं। साथ ही गौरक्षा अभियान के लिए विशेष जानें जाते हैं। वर्तमान में पुरी शंकराचार्य सनातन धर्म के प्रचार− प्रसार एवं देश भर में सनातन संस्कृति के संरक्षण हेतु भारत भ्रमण पर निकले हुए हैं।

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