Thu. Nov 21st, 2024

जो जहां पर है ईमानदारी से काम करे, वरना बताएं सरकार कैसा सलूक करे

मध्यप्रदेश के नए मुख्य सचिव अनुराग जैन ने कार्यभार संभालने के 20 दिनों बाद यह स्पष्ट कर दिया है कि, गुड गवर्नेंस और डिलेवरी सिस्टम को मजबूत बनाने के लिए अंधाधुंध तबादलों पर उन्हें भरोसा नहीं है। वे कहते हैं – नौकरशाह या फिर पुलिस सेवा का बड़े से बड़ा अधिकारी यदि ईमानदारी से काम करे तो प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के विजनरी प्रोग्राम को जनता के हित में लागू किया जा सकता है और इसके परिणाम मध्यप्रदेश के भविष्य को संवारने के लिए हमेशा सार्थक ही रहेंगे। सूत्रों के अनुसार मुख्य सचिव अनुराग जैन और मुख्यमंत्री सचिवालय में पदस्थ अतिरिक्त मुख्य सचिव डॉ. राजेश राजौरा दोनों इस बात पर सहमत हैं कि, जिन नौकरशाहों के काम से सरकार की विजिबिलिटी स्थापित हो रही हो उन नौकरशाहों को हटाने की बजाय उनसे और ज्यादा काम लिया जाए। इसका मतलब स्पष्ट है कि, मप्र में फिलहाल कोई प्रशासनिक बड़ी सर्जरी नहीं होगी, लेकिन जनता से जुड़े सवालों का जहां पर भी हल बेहतर नहीं है उनसे यह जरूर कहा जाएगा कि, ईमानदारी से काम करें वरना बताएं कि उनके साथ सरकार कैसा सलूक करे। जहां तक सवाल है कोई भी मुख्य सचिव अपने भरोसेमंद नौकरशाहों की टीम को ही साथ लेकर क्यों चलता है, इस सवाल का उत्तर मप्र के मुख्यसचिव के पास कुछ इस तरह है ‘वे कहते हैं मप्र में उन्होंने सभी प्रकार की जिम्मेदारियों को निभाया है और वे जानते हैं कि कौन कितने पानी में है, इसलिए सरकार का सकारात्मक पहलू उजागर करने के लिए जरूरी नहीं कि, तबादलों की झड़ी लगा दी जाए।’ लेकिन कुछ तो नौकरशाह ऐसे हैं, कुछ तो पुलिस के बड़े अफसर ऐसे हैं जिन्हें काम करने में विश्वास कम, काम को लटकाने में और ऐरोगेंट बने रहने में तथा अपने से नीचे काम करने वाले कर्मियों को प्रताडि़त करने में गर्व महसूस होता है, ऐसे लोगों की जरूरत सरकार को नहीं है। परन्तु जब पगार पूरी दी जा रही है तो काम करना ही पड़ेगा और भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस के फार्मूले के साथ काम नहीं किया तो सजा भी मिलेगी। समझा जाता है कि, इस अवधारणा से ही मोहन सरकार की नई तबादला नीति एक सप्ताह के भीतर घोषित होने वाली है जिसमें तृतीय एवं चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों की सुविधाओं का और उनके लिए बेहतर वातावरण के अंतर्गत उनसे ईमानदारी से काम लेने की स्थिति का निर्माण किया जा रहा है। जहां तक सवाल है कलेक्टर, कमिश्नर और प्रमुख सचिवों से लेकर एसपी, डीआईजी, आईजी और अतिरिक्त पुलिस महानिदेशकों को तबादलों का तो इसमें संदेह नहीं कि, जनता से जुड़े कुछ विभागों में तथा संवेदनशील जिलों में परिवर्तन की जरूरत तो है। ऐसी स्थिति में सार्वजनिक वितरण प्रणाली, शिक्षा, स्वास्थ्य, खाद्य, सहकारिता, महिला बाल विकास, कृषि, पशुधन, आदिमजाति, पिछड़ा वर्ग कल्याण, सामाजिक न्याय तथा पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभागों में प्रमुख सचिवों के अथवा अतिरिक्त प्रमुख सचिवों के साथ-साथ विभागाध्यक्षों में यदि तबादले किये जाते हैं तो कोई आश्चर्यजनक परिवर्तन नहीं होगा, लेकिन साल छह महीने के भीतर रिटायर होने वाले कुछ बड़े नौकरशाहों को जिम्मेदारी अभी से दे दी जाए तो चौंकिएगा मत। इस विशेष संपादकीय का लब्बोलुआब यह है कि, अनुराग जैन मप्र के पहले ऐसे मुख्य सचिव हैं जिन्होंने प्रधानमंत्री मोदी के द्वारा घोषित भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस के फार्मूले को राजनीति, नौकरशाही और पुलिस तीनों में शक्ति से लागू करने के लिए मुख्यमंत्री को सहमत करने का साहस जुटा लिया है। इसलिए चौंकिएगा तब जब राजधानी भोपाल से लेकर इंदौर, जबलपुर और ग्वालियर जैसे मेट्रो शहरों में जिन नौकरशाहों ने आय से अधिक संपत्ति जुटाकर महलनुमा मकान बना लिए हैं उनकी किसी निष्पक्ष जांच ऐजेंसी को जांच सौप दी जाएगी और सेंट्रल विजिलेंस कमिश्नर को सूचित भी किया जाएगा। हालांकि अनुराग जैन की तासीर ऐसी नहीं है कि वे अपने सहपाठियों को परेशान करने में या उनका सीआर खराब करने में गर्व महसूस करें, लेकिन जब चेतावनियों के बाद भी बाज नहीं आएं तो फिर राम जानें क्या होगा, मतलब इंतजार करिए कल का…।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *