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साहित्यकार स्मृति शेष डॉ. श्याम सिंह ‘श्याम’ के कहानी संग्रह ‘पर्दे के पीछे’ का यूथ हॉस्टल में हुआ लोकार्पण

आगरा। संस्थान संगम मासिक पत्रिका के तत्वावधान में शनिवार को यूथ हॉस्टल में दिल्ली के साहित्यकार स्मृति शेष डॉ. श्याम सिंह श्याम के कहानी संग्रह ‘पर्दे के पीछे’ का लोकार्पण आगरा के वरिष्ठ साहित्यकारों द्वारा किया गया। कार्यक्रम संयोजक वरिष्ठ साहित्यकार और आरबीएस कॉलेज की पूर्व प्राचार्य डॉ. सुषमा सिंह ने कहा कि संग्रह की हर कहानी में कोई न कोई संदेश निहित है। हर कहानी यथार्थ की आँच में तपी हुई है।

समारोह की अध्यक्षता करते हुए वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. राजेंद्र मिलन ने कहा कि हमारे आसपास हर जगह कहानी मौजूद है, बस प्रेमचंद जैसी देखने वाली आँख चाहिए। डॉ. श्याम सिंह श्याम की कहानियों में वही प्रेमचंद वाली दृष्टि मौजूद है। उन्होंने जो देखा, जो भोगा, उसे कहानी में कह दिया। इन कहानियों में उनकी आत्मा और उनका जीवन बोलता है।मुख्य अतिथि उत्तर प्रदेश लेखिका मंच की अध्यक्ष श्रीमती शशि मल्होत्रा ने कहा कि इन कहानियों के माध्यम से वे हमेशा जीवित रहेंगे। उन्होंने इन प्रेरक कहानियों में समस्याओं को ही नहीं उकेरा, बल्कि उनका समाधान भी दिया है।

विशिष्ट अतिथि रमा वर्मा ‘श्याम’ के इस भावांजलि- गीत ने सबको भावुक कर दिया- “तुम लौट आओ तुमको तुम्हारे बुला रहे हैं..” इस दौरान डॉ. श्याम सिंह श्याम की धर्मपत्नी श्रीमती सरोज पाल अपने आँसू नहीं रोक सकीं। विशिष्ट अतिथि उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान द्वारा साहित्य भूषण से सम्मानित साहित्यकार सुशील सरित और दुर्ग विजय सिंह दीप ने भी लोकार्पित कृति की सराहना की।
सुधाकर पाल ने रचनाकार डॉ. श्याम सिंह श्याम का परिचय दिया। वरिष्ठ साहित्यकार अशोक बंसल ‘अश्रु’ ने भावपूर्ण संचालन किया। सुंदरम पाल ने आभार व्यक्त किया।

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