समाज सेवा के लिए मैंने डॉक्टरी की पढ़ाई छोड़ी, मित्रता भाव और इच्छाशक्ति बनाए रखें
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने विद्यार्थियों को अपने जीवन में मित्रता भाव बनाए रखने और दृढ़ इच्छाशक्ति से लक्ष्य की प्राप्ति करने की प्रेरणा दी। एलन शिक्षण संस्थान, कोटा के नए समउन्नत भवन में विद्यार्थियों से संवाद करते हुए मुख्यमंत्री ने अपने अनुभव साझा किए और जीवन में सफलता के मूल मंत्र बताए। मुख्यमंत्री ने विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कहा कि किसी भी पद पर रहें, मित्रता भाव हमेशा बनाए रखें। इसका उदाहरण उन्होंने श्रीकृष्ण और सुदामा की मित्रता से दिया, जिसमें जीवन के ऊंचे पद पर पहुंचने के बाद भी मित्रता की मिसाल बनी रही। उन्होंने कहा कि इच्छाशक्ति जितनी मजबूत होगी, लक्ष्य उतना ही आसान लगेगा। डॉ. यादव ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का उदाहरण देते हुए कहा कि किस तरह गुजरात के मुख्यमंत्री बनने से लेकर प्रधानमंत्री बनने तक उनका सफर दृढ़ इच्छाशक्ति और समर्पण का उदाहरण है।मुख्यमंत्री ने कहा कि मैंने अपने शैक्षणिक काल से ही अपना लक्ष्य समाज सेवा के रूप में निर्धारित किया था। वर्ष 1982 में मेरा चयन मेडिकल कॉलेज के लिए हो गया था, परंतु समाज सेवा के अपने लक्ष्य की प्राप्ति के लिए मैंने मेडिकल कॉलेज में प्रवेश न लेते हुए, बीएससी की उपाधि प्राप्त की। मैं यूनिवर्सिटी प्रेसिडेंट रहते हुए राजनीति में सक्रिय रह सका। उन्होंने कहा कि जीवन में सफलता के तीन मूल मंत्र हैं, जिन्हें विद्यार्थियों को आत्मसात करना चाहिए। पर्याप्त नींद लें, नियमित रूप से व्यायाम करें और प्राणायाम को अपने जीवन का हिस्सा बनाएं। उन्होंने बताया कि अपने लक्ष्य पर शुरू से ही ध्यान केन्द्रित रखना चाहिए।