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श्रीकृष्ण पाथेय न्यास के गठन की स्वीकृति, मध्यप्रदेश में मुख्यमंत्री ने नर्सों की नियुक्ति एवं सड़क मार्ग की स्वीकृति दी

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की अध्यक्षता में मंत्रि-परिषद की बैठक बुधवार शाम को मंत्रालय में हुई। जिसमें रामवन गमनपथ की तरह श्रीकृष्ण पाथेय न्यास का गठन कर दिया गया है। मंत्रि-परिषद द्वारा मध्यप्रदेश में भगवान श्रीकृष्ण से संबंधित स्थानों को तीर्थ के रूप में विकसित करने के उद्देश्य से मध्यप्रदेश लोक न्यास अधिनियिम 1951 के अंतर्गत ‘श्रीकृष्ण पाथेय न्यास’ का गठन किए जाने की स्वीकृति प्रदान की गयी। मंत्रिमंडल की बैठक में उपरोक्त महत्वपूर्ण फैसलों की जानकारी देते हुए उपमुख्यमंत्री राजेन्द्र शुक्ला ने मीडिया को बताया कि स्वीकृति अनुसार भगवान श्रीकृष्ण से संबंध क्षेत्रों का साहित्यिक व सांस्कृतिक संरक्षण और संवर्धन किया जायेगा। न्यास द्वारा भगवान श्रीकृष्ण के मंदिरों एवं संरचनाओं का प्रबंधन, सांदिपनि गुरुकुल की स्थापना के लिए परामर्श, सुझाव, श्रीकृष्ण पाथेय के स्थानों का सामाजिक, आर्थिक तथा पर्यटन की दृष्टि से विकास, पुस्तकालय, संग्रहालय की स्थापना आदि गतिविधियों का क्रियान्वयन किया जा सकेगा। उपमुख्यमंत्री ने बताया कि मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में गठित न्यास में कुल 28 सदस्य होंगे। इसमें 23 पदेन न्यासी सदस्य तथा 5 ख्याति प्राप्त विद्वत सदस्य, अशासकीय न्यासी सदस्य के रूप में नामांकित होंगे। अशासकीय न्यासी सदस्यों का कार्यकाल अधिकतम 3 वर्ष होगा। ‘श्रीकृष्ण पाथेय न्यास’ का मुख्यालय भोपाल होगा। इसके लिये 6 पद सृजित किये जायेंगे। श्रीकृष्ण पाथेय न्यास अपने उद्देश्य की पूर्ति के लिये शासन अथवा अन्य स्त्रोतों से अनुदान एवं दान प्राप्त कर सकता है। न्यास के संचालन एवं उद्देश्यों की प्राप्ति के लिये शोध-सर्वेक्षण एवं विकास कार्य के लिये आवश्यकतानुसार विशेषज्ञ समितियों का गठन किया जा सकेगा। न्यास के लिए श्रीकृष्ण पाथेय न्यास विलेख तैयार किया जायेगा। विलेख मे न्यास के अधिकार, कार्यकारी समिति, सदस्यों, कार्यकारी समिति के अधिकार, न्यासी सचिव के अधिकार, मुख्य कार्यपालक अधिकारी के अधिकार, न्यास के लेखे एवं अंकेक्षण एवं न्यास के कार्यक्षेत्र एवं सीमा से संबंधित विषयों का विस्तारपूर्वक वर्णन होगा। श्रीकृष्ण पाथेय न्यास के उद्देश्यों में मध्यप्रदेश में भगवान श्रीकृष्ण के चरण जहाँ-जहाँ पड़े उन स्थानों को तीर्थ के रुप में विकसित तथा संरक्षित करना और हमारी सामाजिक संस्कृति की गौरवशाली परम्परा के महत्व को समझने के लिए सम्बन्धित क्षेत्रों का प्रलेखन (डाक्युमेंटेशन), अभिलेखन (रिकॉर्डिंग), छायांकन, फिल्मांकन तथा चित्राकंन आदि करना शामिल है। इस समाचार विश्लेषण का लब्बोलुआब यह है कि मप्र की धरती उज्जैन में जहां भगवान कृष्ण और सखा सुदामा ने उज्जैन के सांदी आश्रम में शिक्षा प्राप्त की है, उस संदर्भ को आने वाली नई पीढ़ी के लिए डॉ. मोहन सरकार ने रेखांकित करने का फैसला कर लिया है और इसलिए श्रीकृष्ण पाथेय ट्रस्ट का गठन किया गया ऐसा माना जाये तो चौंकिएगा मत और चौंकिएगा तब जब मप्र के 55 जिलों में हर ग्राम पंचायत और हर नगरपालिका के वार्डों में कृष्ण प्रणामी मंदिर की स्थापना के लिए मोहन सरकार का बजट विधानसभा में प्रस्तुत हो जाये।

देश में नए उद्योगों और निवेश संवर्धन प्रयासों से सवा तीन लाख से अधिक लोगों को मिलेगा रोजगार:
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा है कि प्रदेश में उद्योग और निवेश संवर्धन प्रयासों से बड़ी संख्या (सवा तीन लाख) में लोगों को रोजगार मिलेगा। वर्ष 2024 में प्रदेश के विभिन्न संभागों में हुई रीजनल इंडस्ट्री कॉन्क्लेव और देश के कई नगरों में हुए इंटरैक्टिव सेशन के फलस्वरुप उद्योगों के विकास का वातावरण बना है। प्रदेश में करीब 2 लाख 75 हजार करोड़ रुपए का निवेश आ रहा है। प्रदेश में वर्ष 2025 उद्योग वर्ष होगा। इस नाते इस वर्ष प्रदेश में संपन्न औद्योगिक विकास गतिविधियों का विशेष महत्व रहा।

चयनित 209 स्टॉफ नर्सों को नियुक्ति दिये जाने की स्वीकृति:
मंत्रि-परिषद द्वारा प्रोफेशनल एग्जामिनेशन बोर्ड, भोपाल (वर्तमान में मध्यप्रदेश कर्मचारी चयन मंडल) द्वारा 27 जनवरी, 2022 को घोषित परीक्षा परिणाम के आधार पर स्टॉफ नर्स के पद पर चयनित 209 अभ्यार्थियों को विभाग के अधीन संचालित चिकित्सा महाविद्यालयों में वर्तमान में उपलब्ध रिक्त पदों पर नियुक्ति दिये जाने के प्रस्ताव पर स्वीकृति प्रदान की गई है।

उज्जैन में इंगोरिया-उन्हेल सड़क मार्ग की स्वीकृति:
मंत्रि-परिषद ने उज्जैन जिला अंतर्गत इंगोरिया-उन्हेल (लंबाई 23.71 कि.मी.) 2-लेन मय पेव्हड शोल्डर सड़क निर्माण कार्य की स्वीकृति दी है। यह सड़क 23.71 कि.मी. लंबी होगी एवं 127 करोड़ 63 लाख रूपये की लागत से म.प्र. सड़क विकास निगम के माध्यम से विकसित की जायेगी।

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