गृहमंत्री का संकेत मुख्यमंत्री की पसंद से ही लंदन में तय होगा नए डीजीपी का नाम
मध्यप्रदेश के पुलिस महानिदेशक डॉ. सुधीर सक्सेना 30 नवंबर को सेवा निविृत्त हो जाएंगे और उनके एक्सटेंशन की अब कोई संभावना नहीं है। इस लिहाज से मप्र में नया पुलिस महानिदेशक 30 नवंबर के पहले तय हो जाएगा। सूत्रों के अनुसार मप्र के मुख्य सचिव का चयन प्रधानमंत्री सचिवालय ने किया था और यह लिखने में संकोच नहीं है कि, अब नए पुलिस महानिदेशक का चयन भी गृहमंत्री अमित शाह की सलाह पर प्रधानमंत्री सचिवालय नई दिल्ली में अपनी मुहर लगाएगा लेकिन नए पुलिस महानिदेशक के मामले में गृहमंत्री अमित शाह ने जो फार्मूला बताया है वह चौंकाने वाला है। सूत्रों के अनुसार गृहमंत्री अमित शाह ने स्पष्ट रूप से यह संकेत दिया है कि मप्र का नया पुलिस महानिदेशक वही होगा जिसे मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव चाहें। मतलब प्रधानमंत्री सचिवालय और मप्र के मुख्यमंत्री में समझ 100 प्रतिशत स्थापित हो गयी है, यह भाजपा की राजनीति में पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के लिए चौंकाने वाला मामला है क्योंकि शिवराज कभी नहीं चाहते थे कि, डॉ. मोहन यादव की कैमिस्ट्री प्रधानमंत्री सचिवालय से अच्छी रहे। इसी अवधारणा के चलते मप्र सरकार ने भले ही केन्द्र सरकार को उन सभी वरिष्ठ आईपीएस अधिकारियों का नाम भेज दिया है जो पुलिस महानिदेशक पद के समकक्ष पदोन्नत हो चुके हैं। ऐसी स्थिति में केन्द्र मुख्यमंत्री डॉ. यादव के पास पहुंच गया है। इसलिए इंतजार कीजिए मप्र का नया पुलिस महानिदेशक अब मध्यप्रदेश में नहीं लंदन में तय होगा। और जब डॉ. मोहन यादव अपनी लंदन यात्रा से वापस लौटेंगे तो इसमें आश्चर्यजनक ऐसा भी हो सकता है कि नए डीजीपी मुख्यमंत्री का स्वागत करने एयरपोर्ट पहुंचें। अब सवाल उठता है कि, जिन 9 आईपीएस अधिकारियों का पैनल बनाकर राज्य सरकार ने कार्मिक विभाग भारत सरकार को भेजा है उसमें किस बैच का आईपीएस अधिकारी चुना जाएगा मामला लंदन में ही तय होगा। लेकिन वरीयता को प्राथमिकता देने की परंपरा के अनुसार तथा कम से कम 2 वर्ष तक डीजीपी के पद पर जिम्मेदारी निभाने की स्थिति में रहने का समय देखते हुए जिनका भी चयन होना है उनमें 1989 बैच के अजय शर्मा और 1988 बैच के कैलाश मकवाना का नाम संघ लोक सेवा आयोग के नियमों के अंतर्गत सबसे पहले विचार मंथन में है इसलिए अब नए डीजीपी का चयन डॉ. मोहन यादव की पसंद से यदि होता है तो फार्मूला भी नया होगा इसके अंतर्गत वरीयता, योग्यता, दक्षता और मुख्यमंत्री की अपनी प्राथमिकता इन चार प्राथमिकताओं में जो फिट होगा वहीं लंदन के डिनर टेबिल में हिट होगा। इस विश्ेाष रिपोर्ट का लब्बोलुआब यह है कि, मप्र का नया पुलिस महानिदेशक भले ही प्रधानमंत्री सचिवालय की मुहर से बनेगा लेकिन उसकी पसंद और सहमति मुख्यमंत्री डॉ. यादव की प्राथमिकता के आधार पर ही होगी और यदि मुख्यमंत्री नए डीजीपी का नाम 24 नवंबर को लंदन पहुंचने के बाद तय करें तो चौंकिएगा मत।