Wed. Mar 12th, 2025

एक दिन CM पद संभालना है, तीन साल पहले हो गया था आभास :मोहन

भले ही एक साल पहले मध्य प्रदेश में मुख्यमंत्री मोहन यादव के नाम की घोषणा ने कइयों को चौंका दिया हो, मोहन यादव कहते हैं कि उनको तीन साल पहले ही इसका आभास हो गया था। उनके मंत्रिमंडल में मौजूद धाकड़ नेताओं से सामंजस्य के सवाल पर भी वे दिलचस्प जवाब देते हैं। एक अख़बार के डिजिटल से की बातचीत में मुख़्यमंत्रो ने यह कहा …

जब आपके नाम की पर्ची निकली, उस वक्त आपको पता था या नहीं?

बहुत पुरानी बात हो गई… उस दिन पता था ऐसा तो नहीं कह सकता, लेकिन मुझे तीन साल पहले भी पता था कि मुझे आज नहीं तो कल यहां आना है। यह आभास ही था। हमारे यहां पार्टी की ये विशेषता है कि जब हम काम करते हैं तो हमारे काम को देखने वाले बहुत अच्छे लोग हैं। वो गंभीर विचार वाले लोग होते हैं तो कार्यकर्ताओं की क्षमता-योग्यता देखते रहते हैं। मैं 25 वर्षों से नीचे से निकल आया हूं। मैं वेस्टर्न रेलवे बोर्ड मेंबर रहा। मैं दूरसंचार विभाग में रहा। जब आप शिक्षा मंत्री या मंत्री बनते हैं तो स्वाभाविक बात है कि आगे की नेमप्लेट ही तो हटना है। क्या बड़ी बात है। मंत्री की जगह मुख्यमंत्री रख दिया, उससे क्या फर्क पड़ता है। ऐसा मैं काम करने की अवस्था से बता रहा हूं। मेरे मन की अवस्था में नहीं है। मैं आपको प्रारब्ध और कर्मवाद का अच्छा उदाहरण देता हूं। कर्मवाद यह है कि हम काम कर रहे हैंं अच्छे से, लेकिन अगर वह आपके भाग्य में नहीं है तो वो नहीं हो सकता।

मंत्रिमंडल के ऐसे सहयोगियों के साथ काम करना, जो खुद भी मुख्यमंत्री बनने के प्रबल दावेदार थे, कितना चुनौतीपूर्ण रहता है?
ये भाजपा की खासियत है। संघ में सरसंघचालक भी अगर शाखा में हैं तो वह भी शाखा चलाने को ही प्रणाम करते हैं। यह व्यवस्था का सवाल है। परिवार भाव के साथ जो कप्तान बन जाता है, टीम उसके साथ आगे बढ़ती है। क्रिकेट की भाषा में अगर धोनी को कप्तान बनाया गया तो सचिन ने उनके साथ क्रिकेट खेला। ये खेल भवना का परिचय है। मेरा काम कराने का तरीका यह है कि मैं अपने मंत्रिमंडल के सदस्यों को पूरा फ्री हैंड देता हूं, ताकि वे अच्छे से जनता के लिए काम कर सकें। मुख्यमंत्री का काम तो यही है।

– पीएम मोदी को देखिए। उनके मंत्रिमंडल में चार-चार यादव मंत्री हैं। मुझे मुख्यमंत्री बनाना अलग बात है। भूपेंद्र यादव, अन्नपूर्णा देवी, गुड़गांव के सांसद… अगर आप चार मंत्री एक समाज को दे रहे हैं तो समाज तो सब देखता है। पार्लियामेंट्री बोर्ड में नौ लोग हैं, उसमें भी दो यादव हैं। जितना हमारे समाज को भाजपा दे रही है, उतना तो कोई नहीं दे रहा।
उपचुनाव में विजयपुर नहीं जीत पाए, बुधनी में अंतर कम हुआ? इस पर क्या कहेंगे?
– कुल तीन सीटों पर उपचुनाव हुए। भाजपा ने अपनी बुधनी सीट अपने पास ही रखी। कांग्रेस के पास उपचुनाव से पहले दो सीटें थीं, उनके पास एक ही रह गई। वे अमरवाड़ा हार गए, विजयपुर उनके पास ही रह गई। अब बताइए नुकसान उनका हुआ या हमारा? कांग्रेस अब जो भी नरेटिव बनाए, ये उनकी समस्या है। पिछली बार के मुकाबले इस बार उन्हें एक बटा पांच वोट भी नहीं मिले। ये उनके लिए सोचने का विषय है।
मध्य प्रदेश सरकार के एक साल पूरा होने पर आप कैसा महसूस कर रहे हैं। अब तक की एक सबसे बड़ी उपलब्धि क्या है?
– मैं मूलत: संघ का स्वयंसेवक हूं। हमारी ट्रेनिंग ही ऐसी होती है कि अपने काम से कभी संतुष्टि मत रखो। काम से संतुष्टि करोगे तो ठहराव आ जाएगा। लक्ष्य बड़े रखो। लगातार काम करो। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इसका सबसे बड़ा उदाहरण हैं। मैं भाजपा का कार्यकर्ता हूं। कार्यकर्ता के तौर पर मैं कहूंगा कि करने के लिए जितना किया, वह कम नहीं है, लेकिन उससे संतोष करेंगे तो रुकाव आ जाएगा। फिर भी बड़े काम की बात करें तो मैं इस बात को गर्व से कह सकता हूं कि हमारे प्रदेश में पहली बार नदी जुड़ाव अभियान के दो बड़े प्रोजेक्ट को एक साथ एक साल के अंदर मंजूर करा कर पीएम मोदी की कल्पना को साकार करने का काम किया गया है। केन बेतवा नदी जोड़ो अभियान पर हमने काम किया है। पार्वती काली सिंध चंबल योजना पर हमने काम किया। एक योजना उत्तर प्रदेश के साथ है तो दूसरी राजस्थान के साथ। इसके साथ-साथ राज्य के अंदर भी हमने ऐसे काम किए हैं, इसमें इंदौर की कान्ह नदी शामिल है। इन योजनाओं के जरिए पूरे बुंदेलखंड और चंबल से लेकर मालवा के किसानों के जीवन को बदलने का काम किया जा रहा है। आरटीओ के टोल बैरियर को हमने खत्म किया है। जिलों में परिसीमन लागू कर उनकी सीमाओं को बदलने का काम हम कर रहे हैं। 55 पीएम एक्सीलेंस कॉलेज हमने खोले हैं। पहले कभी भी सरकारी कॉलेज लाने-ले जाने के लिए बच्चों को सरकारी बसें उपलब्ध नहीं कराई गईं। अब हम एक रुपये प्रतिदिन पर बच्चों को कॉलेज पहुंचा रहे हैं। साइबर तहसील पर भी हमने काम किया। पहले जिन कामों के लिए लोगों की चप्पलें घिस जाती थीं, अब वह काम आसानी से हो जा रहे हैं।

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