मध्यप्रदेश के निजी विश्वविद्यालयों में अब कोई फर्जीवाड़ा नहीं कर सकेगा, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की नई शिक्षा नीति से युवाओं का भविष्य उज्जवल: विष्णुदत्त शर्मा
मध्यप्रदेश भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष एवं खजुराहो सांसद विष्णुदत्त शर्मा के कद और पद बढऩे के सकेंत हैं क्योंकि प्रधानमंत्री नरेन्द मोदी ने नई शिक्षा नीति के उद्देश्य को भारत के 80 करोड़ युवाओं के बीच में सार्थक बनाने के लिए देश भर के जिन 10 सांसदों को चुना हैं उसमें विष्णुदत्त शर्मा नम्बर 1 पर हैं कल सांसद का सत्र छोड़कर अचानक मध्यप्रदेश भवन में मध्यप्रदेश को कवर करने वाले सभी महत्वपूर्ण पत्रकारों को आमंत्रित करते हुए विष्णुदत्त शर्मा ने प्रेसवार्ता की जिसका आयोजन मप्र भाजपा के मीडिया प्रभाग के अध्यक्ष आशीष अग्रवाल ने बड़ी खूबसूरती से किया। यूं कहा जाए कि मप्र के पत्रकारों का महत्व बिना जनसंपर्क कार्यालय के सहयोग से संगठन स्तर पर जिस तरह आशीष अग्रवाल ने प्रेसवार्ता को संचालित किया वह नई दिल्ली में एक बड़ी पहचान के रूप में स्थापित हो गया है। इसी प्रेसवार्ता में कल सांसद विष्णुदत्त शर्मा ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की नई शिक्षा नीति का बखान करते हेतु बताया कि 10 वर्षों में नई शिक्षा नीति की वजह से हम देश में शिक्षा के क्षेत्र में गुणवत्ता आधारित और रोजगारमूलक शिक्षा के लिए कितने कारगर साबित हुए हैं। उन्होंने विश्वविद्यालयों के जो आंकड़े दिए वे चौंकाने वाले हैं, लेकिन उनका यह दावा कि अब शिक्षा के क्षेत्र में उन निजी विश्वविद्यालयों पर ताला लग जाएगा जो फर्जी डिग्रियां बांटते हंै। बता दें कि कल विष्णुदत्त शर्मा ने खास पत्रकारों से चर्चा करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने नई शिक्षा नीति को लागू किया है, जबकि कांग्रेस ने शिक्षा में तुष्टिकरण करते हुए वामपंथीकरण किया था। प्रधानमंत्री मोदी की सरकार ने नई शिक्षा नीति लागू कर शिक्षा का भारतीयकरण किया। विष्णुदत्त शर्मा ने कहा कि देश में लंबे समय से मातृभाषा में शिक्षा की आवश्यकता महसूस की जा रही थी। नई शिक्षा नीति में तीन भाषाओं का सिद्धांत रखा गया है, जो विद्यार्थी को हिंदी, अंग्रेजी के अलावा अपनी मातृभाषा में शिक्षा प्राप्त करने का अवसर प्रदान करता है। नई शिक्षा नीति तकनीकी और डिजिटल नवाचारों का उपयोग करते हुए शिक्षा को समय के अनुकूल और विश्व स्तर पर प्रतीस्पर्धी बनाना है। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष शर्मा ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार के सत्ता में आने और नई शिक्षा नीति लागू होने के बाद से देश के शैक्षणिक क्षेत्र में बहुआयामी विकास हो रहा है। वर्ष 2014-15 में देश में कुल 51,534 उच्च शिक्षण संस्थान थे, जो 2022-23 तक 58,643 हो गए। इस तरह इन संस्थानों की संख्या में 13.8 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। विश्वविद्यालयों की संख्या में 59.6 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जो 760 से बढ़कर 1,213 हो गए हैं। कॉलेजों की संख्या में 21.1 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जो 38,498 से बढ़कर 46,624 हो चुके हैं। श्री शर्मा ने कहा कि उच्च शिक्षण संस्थान में कुल फैकल्टी सदस्यों की संख्या में 12.9 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, जो 2022-23 में 16.64 लाख तक पहुंच गई। विशेष रूप से, महिला फैकल्टी सदस्यों की संख्या में 29.1 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जो समावेशी शैक्षिक कार्यबल को रेखांकित करती है। नई नीति के लागू होने के बाद से छात्रों के कुल नामांकन में भी वृद्धि हुई है। 2014-15 के शैक्षिक वर्ष में नामांकन 3.42 करोड़ थे, जो 2022-23 में बढ़कर 4.46 करोड़ हो गये। इसमें 30.5 प्रतिशत की वृद्धि हुई। वहीं, इस अवधि में महिला नामांकन में भी 38.4 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जो 1.57 करोड़ से 2.18 करोड़ तक पहुंच गया। नई शिक्षा नीति लागू होने के बाद से देश के शिक्षा जगत में हुए विकास की धमक वैश्विक स्तर पर भी सुनाई दे रही है। क्यूएस वल्र्ड रैंकिंग में भारतीय उच्च शिक्षण संस्थानों की संख्या 2014 में 9 थी, जो 2025 में बढ़कर 46 हो गई है। इनमें 7 केंद्रीय विश्वविद्यालय, 11 आईआईटी और 1 एनआईटी शामिल हैं। उच्च शिक्षा के लिए बजट जो वर्ष 2013-14 में 26,750 करोड़ रुपये था वो 2024-25 में बढ़कर 42,300 करोड़ रुपये हो गया है। इसमें 78 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। स्कूल शिक्षा और साक्षरता के लिए वर्ष 2024-25 में 73498 करोड़ रुपये का बजट रखा गया है, वह अब तक का सर्वाधिक बजट है। इसमें वर्ष 2013-14 की तुलना में 19.5 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष शर्मा ने कहा कि नई शिक्षा नीति के लागू होने के बाद से शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ी है और इसकी पहुंच समाज के अधिकांश लोगों तक हो गई है। गरीब, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़े वर्ग के छात्रों को भी सामान और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिल सके, इसकी व्यवस्था नई शिक्षा नीति में की गई है। इसमें बेटियों के लिए, दिव्यांग भाई- बहनों के लिए और यहां तक कि थर्ड जेंडर वर्ग के लिए भी अलग से व्यवस्था की गई है। उन्होंने बताया कि नई शिक्षा नीति शिक्षा को रोजगार के साथ जोड़ती है ताकि, विद्यार्थियों को आवश्यक कौशल और ज्ञान मिल सके। उन्होंने बताया कि नई नीति में मल्टीपल एंट्री और एक्जिट के विकल्प रखे गए हैं, जिससे विश्विद्यालय के छात्र अपने लिए उपयुक्त विकल्प चुन सकते हैं। इस नीति के अंतर्गत कोई भी छात्र अब 1 साल में सर्टिफिकेट, 2 साल में डिप्लोमा और 3 साल में डिग्री प्राप्त कर सकता है। उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति में खेल आधारित शिक्षा को प्राथमिकता दी गई है। इस विशेष रिपोर्ट का लब्बोलुआब यह है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जिन 10 सांसदों का चयन किया है उनमें भाजपा प्रदेश अध्यक्ष व सांसद विष्णुदत्त शर्मा का नंबर वन है। ऐसे में विष्णुदत्त शर्मा केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल किए जाएं तो चौंकिएगा मत।