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भोपाल, इंदौर, ग्वालियर में रियल एस्टेट कारोबारियों के 52 ठिकानों पर छापे, तीन करोड़ नकद जब्त

भोपाल में आयकर विभाग की टीम ने त्रिशूल कंस्ट्रक्शन कंपनी के मालिक राजेश शर्मा के ठिकानों पर बुधवार सुबह छापमारी की। शर्मा का नाम प्रदेश के एक पूर्व मंत्री और पूर्व मुख्य सचिव से जुड़ा है। आईटी की टीम ने भोपाल में 49, इंदौर में दो और ग्वालियर में एक जगह सर्च की। आयकर विभाग को राजेश शर्मा के 10 लॉकर्स की जानकारी मिली है, जिनमें भारी मात्रा में ज्वेलरी और अन्य मूल्यवान सामग्री पाई गई है। विभाग ने ज्वेलरी की वैल्यूएशन अभी तक नहीं की है। इसके अलावा टीम ने दस्तावेज, कंप्यूटर डेटा, मोबाइल फोन और हार्ड डिस्क भी जब्त किए हैं। भोपाल के विभिन्न इलाकों जैसे नीलबड़, एमपी नगर, कस्तूरबा नगर, होशंगाबाद रोड और 10 नंबर मार्केट में छापेमारी जारी है। इंदौर में त्रिशूल कंस्ट्रक्शन के आदित्य गर्ग और ग्वालियर में रामवीर सिकरवार के ठिकानों पर भी छापे मारे गए। सिकरवार के पास पांच एकड़ जमीन खरीदने के दस्तावेज भी मिले हैं। इससे पहले उनके खिलाफ ईडी भी कार्रवाई कर चुका है। आयकर विभाग के अधिकारियों ने बताया कि जिन बिल्डरों के यहां छापेमारी की गई है, वे जमीन की खरीद-फरोख्त और होटल सेक्टर में निवेश करते हैं। जांच में कुछ दस्तावेज मिले हैं, जो दर्शाते हैं कि कैश ट्रांजेक्शंस में गड़बड़ी की गई है। इससे करोड़ों रुपये की टैक्स चोरी की संभावना जताई जा रही है।

राजेश शर्मा, त्रिशूल कंस्ट्रक्शन के मालिक हैं, खनन और कंस्ट्रक्शन उद्योग से जुड़े बड़े कारोबारी हैं। वे कई सालों से भोपाल और आसपास के क्षेत्रों में क्रशर संचालन और खदानों के ठेके लेते आए हैं। शर्मा की भाजपा के कई नेताओं से करीबी रिश्ते हैं। इसमें पूर्व मंत्री रामपाल का नाम भी शामिल है। ऐसा बताया जा रहा है कि इन संबंधों के चलते ही उनकी कंपनी को रायसेन में सीएम राइज स्कूलों के कंस्ट्रक्शन का ठेका मिला था।

मध्य प्रदेश विधानसभा में उप नेता प्रतिपक्ष हेमंत कटारे ने कहा कि मैंने इस बात को सदन के पटल पर रखा। स्पीकर से कहा कि आपसे नौ महीने से आग्रह कर रहा था, बार-बार कह रहा था कि यहां भ्रष्टाचार है। सेवानिवृत्त हो चुके पूर्व मुख्य सचिव भी भ्रष्टाचार में शामिल हैं। उन्होंने अरबों रुपये की बेनामी संपत्ति अर्जित की। न जाने क्यों संरक्षण दिया जा रहा था। उन्होंने कहा कि आज आईटी ने रेड मारी है और अगर बिना दबाव के जांच हो जाती है, तो बड़ा घोटाला निकलकर सामने आएगा। इन बिल्डरों को नेताओं का संरक्षण है।

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