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गान मनीषी तानसेन की जन्मस्थली में बहे मीठे-मीठे सुरों ने कराया मखमली अहसास

ग्वालियर  गान महर्षित तानसेन की जन्मस्थली बेहट में भारतीय शास्त्रीय संगीत के क्षेत्र में प्रतिष्ठित तानसेन संगीत समारोह के 100वे महोत्सव की नौंवी संगीत सभा में बहे सुर मखमली अहसास करा गए। संगीत कलाकारों ने ऐसा झूमके गाया-बजाया कि रसिक सुध-बुध खो बैठे। इस साल के तानसेन समारोह के तहत यह सभा बेहट में गुरुवार को भगवान भोले के मंदिर और झिलमिल नदी के समीप स्थित ध्रुपद केन्द्र के मुक्ताकाश मंच पर सजी। यह वही जगह थी जहाँ संगीत सम्राट तानसेन का बचपन संगीत साधना और बकरियाँ चराते हुए बीता था। लोक धारणा है कि तानसेन की तान से ही निर्जन में बना भगवान शिव का मंदिर तिरछा हो गया था। यह भी किंवदंती है कि 10 वर्षीय बेजुबान बालक तन्ना उर्फ तनसुख भगवान भोले का वरदान पाकर संगीत सम्राट तानसेन बन गया।
सौंदर्य से भरपूर सुबह में प्रकृति के बीच यह संगीत सभा सुनकारों के लिए अनूठा अनुभव था। पहाड़ों से घिरे इस अप्रतिम स्थान पर प्रदेश एवं देश के संगीतज्ञों ने अपनी स्वरांजली तानसेन को अर्पित की।संगीत की नगरी ग्वालियर में स्थित होटल तानसेन रेसीडेंसी से शुरू होकर सुर सम्राट तानसेन की जन्मस्थली बेहट तक बाइक रैली निकली। इस रैली का संयोजन मध्यप्रदेश पर्यटन निगम ने किया, जबकि नेतृत्व अल्टीमेट वॉरियर्स बाइकर ग्रुप ने किया। जोश और उत्साह से भरे जांबाज 20 बाइकर्स ने ग्वालियर से बेहट तक तानसेन समारोह एवं संगीत का परचम लहराया। बुलन्द आवाज वाली बाइक्स ने इस अनुपम प्रयोग में चार चांद लगा दिए। दीप प्रज्ज्वलन पश्चात बेहट की संगीत सभा का शुभारम्भ हुआ। सर्वप्रथम मंच पर उपस्थित हुए ध्रुपद केंद्र, बेहट के शिष्य। केन्द्र के सहायक गुरु अनुज प्रताप सिंह के मार्गदर्शन में उन्होंने राग भैरव में अपना ध्रुपद प्रस्तुत किया। इसमें सूलताल में निबद्ध बंदिश शिव आदि मद अंत…. प्रस्तुत की। अगली प्रस्तुति में ग्वालियर के अनूप मोघे, वैशाली मोघे का ख्याल गायन हुआ। उन्होंने राग नट भैरव से गायन का शुभारंभ किया। इस राग में उन्होंने दो बंदिशें पेश की। एक ताल में निबद्ध विलंबित बंदिश के बोल थे ‘गुरु बिन ज्ञान कहां से पाऊं’ जबकि तीन ताल में मध्यलय की बंदिश के बोल थे ‘यह सिंगार नटराज राज को’। 
अगले क्रम में दिल्ली से पधारी डॉ. अदिति शर्मा का ध्रुपद गायन भी इस सभा में हुआ। उन्होंने राग विलासखानी तोड़ी से अपने गायन का प्रारंभ किया। आलाप, जोड़ से शुरू करके उन्होंने चौताल की बंदिश ‘आनंद भयो नगर’ की प्रस्तुति दी। सभा का समापन ग्वालियर के युवा कलाकार दीपांशु शर्मा के सितार वादन से हुआ। दीपांशु ने राग किरवानी में तीन गतें पेश की। संगीत सभा का बीज निगम के पूर्व अध्यक्ष महेन्द्र सिंह यादव, संचालक संस्कृति विभाग एनपी नामदेव, एसडीएम सूर्यकांत त्रिपाठी, एसडीओपी संतोष पटेल आनंद लेने पहुँचे थे। सभा का संचालन अशोक आनंद ने किया। 

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