Wed. Jan 8th, 2025

अमृत वर्षा ने बढ़ाई यूरिया की डिमांड, विक्रय केन्द्र के बाहर किसानों की लग रही लम्बी कतार

शादिक खान, पन्ना  गत दिनों जिले में हुई बारिश को रबी फसलों के लिए अमृत वर्षा माना जा रहा है। सही समय पर आवश्यकता अनुसार पर्याप्त बारिश होने से कल तक अन्नदाता किसानों के चेहरे ख़ुशी से खिल रहे थे लेकिन अब वह निराश और मायूस नजर आ रहे हैं। किसानों की ख़ुशी को यूरिया क़िल्लत की नजर लग गई है। बारिश होने के बाद जहां यूरिया की डिमांड अचानक से कई गुना बढ़ गई है वहीं मांग के अनुरूप यूरिया न मिलने किसान खासे परेशान है। यह स्थिति तब है जब जिले में यूरिया समेत अन्य रासायनिक उर्वरक पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध होने का दावा किया जा रहा है। हालांकि आंचलिक क्षेत्रों से जिस तरह की तस्वीरें निकल कर सामने आ रहीं है वह सरकारी दावों पर कई सवाल खड़े करती हैं।
अजयगढ़ विकासखंड मुख्यालय में स्थित प्राथमिक विपणन सहकारी समिति मर्यादित अजयगढ़ के बाहर अंचल के किसानों की लम्बी कतार लग रही है। यूरिया खरीदने के लिए सुबह-सुबह कड़ाके की सर्दी में ही किसान अजयगढ़ पहुँच जाते हैं। विपणन समिति के बाहर कई घंटे लाइन में लगने और नकद राशि देने के बाद भी किसानों को मांग के अनुसार यूरिया नहीं मिल पा रही है। ऐसे ही एक कृषक बाबूलाल गुप्ता निवासी सिमराकला ने बताया कि उनकी प्राथमिक कृषि साख सहकारी समिति में बड़े दाने की यूरिया उपलब्ध है जोकि खेत में डालने पर घुलने में काफी समय लेती है। इसलिए वह अजयगढ़ स्थिति विपणन समिति से नकद में छोटे दाने की जल्दी घुलने वाली यूरिया लेने गए थे, लेकिन अब वहां भी छोटे दाने की यूरिया (रासायनिक उर्वरक) समाप्त हो चुकी है। कृषक बाबूलाल ने बताया कि शुक्रवार एवं शनिवार लगातार दो दिन तक भटकने के बाद भी उसे छोटे दाने का यूरिया नहीं मिला। मजबूरी में उन्हें बड़े दाने वाली यूरिया लेनी पड़ी।
अजयगढ़ क्षेत्र के ग्राम थरकेपुरवा निवासी 4 एकड़ कृषि भूमि के कृषक शिवनाथ यादव, ग्राम माधौगंज निवासी 6 एकड़ भूमि के किसान अनिल गुप्ता ने यूरिया की किल्लत पर नाराजगी जाहिर की है। दोनों ने बताया, पिछले दिनों प्रकृति की मेहरबानी के चलते अच्छी बारिश होने से फसल सिंचाई पर होने वाला खर्च और श्रम बच गया। अमृत वर्षा से फसल उत्पादन में भी पर्याप्त वृद्धि होने की पूरी उम्मीद थी लेकिन समय पर मांग अनुसार अपेक्षित यूरिया न मिलने से उत्पादन में वृद्धि की उम्मीदें अब धूमिल पड़ती दिख रहीं है। नकद राशि देने के बाद भी छोटे दाने वाली यूरिया मांग के मुताबिक़ न मिल पाने से किसान परेशान है।

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