बता दें कि हर्षा भोपाल की रहने वाली हैं. पिता नौकरी छोड़ चुके हैं, जबकि मां बुटीक चलाती हैं. वैसे तो हर्षा ने करियर की शुरुआत मॉडलिंग और एंकरिंग से की थी. पांच सालों तक हर्षा ने अपना प्रोफेशन जारी रखा. 2 साल पहले उनका रूझान आध्यात्म की ओर बढ़ा, जिसके बाद हर्षा अक्सर उत्तराखंड की धार्मिक यात्राओं पर जाती थीं. इसी दौरान उन्हें निरंजनी अखाड़ा के साधुओं की संगत मिली और वह आचार्य महामंडलेश्वर की शिष्या बन गईं.
हर्षा ने अपने इंस्टाग्राम प्रोफाइल पर खुद को सोशल एक्टिविस्ट और इंफ्लूएंसर बताया है. उन्होंने एक इंटरव्यू में कहा कि जीवन में काफी कुछ मिलने के बाद एक खालीपन होता है. यह आपको बताता है कि यह सब सच नहीं है, जिसको पाने के लिए इतनी मेहनत की थी. तब आप शांति की तलाश में आध्यात्म की तरफ आते हैं.
हर्षा रिछारिया कहती हैं कि दो साल पहले सुकून की तलाश में उनका झुकाव आध्यात्म की ओर बढ़ा. उन्हें काम छोड़कर आध्यात्म का रास्ता चुना था. हर्षा ने यह भी बताया कि पारिवारिक स्थिति के कारण उन्होंने 2015 में नौकरी शुरू की थी.
बता दें कि हर्षा को उन्हें मॉडलिंग में करियर बनाने का सुझाव दिया, जिसके बाद हर्षा एक एंकर बनीं. उन्हें भोपाल में मॉडलिंग के भी कई कॉन्ट्रेक्ट भी मिले. बीते दो साल से उन्होंने मॉडलिंग और एंकरिंग का काम छोड़ दिया और उत्तराखंड में ही रहने लगी.