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मोदी है तो मुमकिन, मोहन है तो यकीन वाइब्रेंट इंडिया में वाइब्रेंट मध्यप्रदेश का योगदान, आज पुणे में मोदी विजन और मोहन के मिशन का होगा प्रस्तुतिकरण

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में वाइब्रेन्ट इंडिया अब आसमान की ऊंचाइयों को छूने लगा है जिसमें पूंजीनिवेश की ईमानदार कोशिशें बेरोजगारी तथा महंगाई को दूर करने के समेकित रास्तों का निर्माण हो चुका है। शर्त है भारतीय जनता पार्टी शासित जितने भी राज्य हैं वे सबके सब मोदी के वाइब्रेंट इंडिया के साथ जुड़कर मिशन मोड पर काम करें। इसी अवधारणा के चलते मप्र में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी विजन को मप्र सरकार का मिशन बना लिया है, ऐसा लिखा जाए तो अतिश्योक्ति नहीं होगी। मतलब मोदी है तो मुमकिन और मोहन है तो यकीन कीजिए वाइब्रेंट इंडिया के लिए यदि सबसे बड़ा योगदान किसी राज्य द्वारा किया जाएगा तो उसमें मोहन सरकार का नाम सबसे अव्वल होगा। डॉ. यादव ने पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की 16 वर्षों तक इंदौर में पारंपरिक रूप से आयोजित किए जाने वाले ग्लोबल इंवेस्टर्स मीट की अवधारणा को खारिज करते हुए यह बताने की कोशिश की है कि ग्लोबल इंवेस्टर्स मीट मप्र के उद्योगपतियों और बेरोजगारों की भूमिका के बिना सफल नहीं हो सकती। इसी के चलते उन्होंने सबसे पहले रीजनल इंडस्ट्री कान्क्लेव के कांसेप्ट को कंषीब्ड (गर्भधारण) किया। यह लिखने में संकोच नहीं है कि 9 महीने के अंदर 8 रीजनल इंडस्ट्री कान्क्लेव के माध्यम से मप्र को वाइब्रेंट मप्र बनाने में मुख्यमंत्री ने अहम भूमिका निभाई, लेकिन इसकी सफलता के पीछे सबसे बड़ा कारण यह रहा है कि, सामूहिक नेतृत्व को प्राथमिकता के आधार पर लागू किया गया। यूं कहा जाए कि मुख्य सचिव अनुराग जैन से लेकर उनकी टीम के सारे महत्वपूर्ण किरदारों को काम पर लगा दिया। ये वही किरदार हैं जो शिवराज सरकार में कामयाब नहीं हुए, लेकिन अब मनु श्रीवास्तव, नीरज मंडलोई, संजय दुबे, संजय शुक्ला, राघवेन्द्र सिंह, संदीप यादव, भरत यादव, डॉ. सुदाम खाड़े, टी. इलैया राजा, अविनाश लवानिया, चंद्रमौली शुक्ला, अंशुल गुप्ता सबको मुख्य सचिव ने वाइबें्रट बना दिया है और इसी का परिणाम देखने आज देश के जाने-माने उद्योगपतियों का वन-टू-वन मुख्यमंत्री के साथ पुणे में आयोजन को रेखांकित किया जाएगा। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने मध्यप्रदेश को निवेश-अनुकूल नीतियों, उत्कृष्ट बुनियादी ढाँचे और कुशल मानव संसाधन के माध्यम से निवेश का प्रमुख केंद्र बनाने का लक्ष्य रखा है। अब तक राज्य को 4 लाख करोड़ से अधिक के निवेश प्रस्ताव प्राप्त हुए हैं। राज्य के विभिन्न क्षेत्रों में निवेश को प्रोत्साहित करने के लिए यह सत्र महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। इससे पहले मुंबई, कोलकाता, बेंगलुरु, और कोयंबटूर में इंटरेक्टिव सेशन आयोजित किए जा चुके हैं, जो निवेशकों के साथ मजबूत संवाद स्थापित करने में सफल रहे हैं। यह प्रयास प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की उपस्थिति में 24 और 25 फरवरी में भोपाल में होने वाली ‘ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट’ की तैयारियों का हिस्सा है। देश-विदेश के निवेशकों में काफ़ी उत्साह है। मध्यप्रदेश, अपने प्राकृतिक सौंदर्य, धार्मिक स्थलों और विश्वस्तरीय बुनियादी ढाँचे के साथ, निवेशकों के लिए एक आकर्षक गंतव्य के रूप में उभर रहा है। पुणे में इंटरेक्टिव सेशन में उद्योग जगत की कई जानी-मानी हस्तियां शामिल होंगी। किर्लोस्कर ब्रदर्स लिमिटेड के चेयरमैन संजय किर्लोस्कर विशेष अतिथि होंगे, जबकि पिनेकल इंडस्ट्रीज के चेयरमैन सुधीर मेहता नेटवर्किंग डिनर की मेजबानी करेंगे। फोर्स मोटर्स के चेयरमैन डॉ. अभय फिरोदिया और ब्रिजस्टोन इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के मैनेजिंग डायरेक्टर हिरोशी योशिजाना भी इस सत्र में अपने अनुभव और सुझाव साझा करेंगे। सत्र में मध्यप्रदेश में फिनटेक, आईटी, आईटीईएस, एग्रीटेक, खाद्य प्रसंस्करण, फार्मा, स्वास्थ्य सेवाओं, ऑटोमोबाइल, इलेक्ट्रिक वाहन, कौशल विकास और पर्यटन जैसे क्षेत्रों में निवेश की अपार संभावनाओं पर चर्चा की जाएगी। इस विशेष रिपोर्ट का लब्बोलुआब यह है कि, प्रधानमंत्री मोदी के वाइब्रेंट इंडिया के विजन को वाइबे्रंट मप्र ने मुख्यमंत्री डॉ. यादव के नेतृत्व में शिखर पर पहुंचाने की कोशिश कामयाब होती दिखाई दे रही है ऐसा माना जाए तो चौंकिएगा मत।

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