रामलला प्राण प्रतिष्ठा वर्षगाँठ 22 जनवरी भारत की सांस्कृतिक आजादी का पर्व : पवैया
ग्वालियर । 22 जनवरी भारत में सांस्कृतिक स्वतंत्रता का महापर्व है, यह एक ही तिथि देश में 500 सालों के पतन- उत्थान, विध्वंस तथा निर्माण की संपूर्ण गाथा है । यह उद्ग़ार राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा की पहली वर्षगाँठ पर अयोध्या आंदोलन के शीर्ष नेता जयभान सिंह पवैया ने व्यक्त किए ।
आज सेवापथ परिसर में आयोजित दीपोत्सव व रामलला की महाआरती के मौके पर उपस्थित राम भक्तों की संबोधित करते हुए श्री पवैया ने कहा कि जिस राम मंदिर के लिये हजारों युवाओं ने जीवन दांव पर लगाया, सैकड़ों कारसेवक बलिदान हुए उनके जीवन में 22 जनबरी स्वप्न साकार होने का उत्सव है । सांस्कृतिक आजादी के बिना राजनीतिक स्वतंत्रता भी अधूरी ही थी । उन्होंने कहा कि भावी पीढ़ी को इस बलिदानी व अंतिम विजय के इतिहास से प्रेरणा लेना चाहिए । इस अवसर पर महामंडलेश्वर महंत रामदासजी महाराज दंदरौआ सरकार ने ग्वालियर चंबल के राम भक्तों के संघर्ष की सराहना की व कहा कि श्री राम भारत की आत्मा हैं । स्वामी संतोषानंदजी महाराज ने कहा कि वे धन्य हैं जिन्हें कारसेवा में राम काज का अवसर मिला । महंत राम भजन दास जी महाराज ने भी आशीर्वचन प्रदान किए ।