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महाकुंभ भगदड़-12 रिपोर्टर्स की आंखों देखी लाशों के बीच अपनों की तलाश, जमीन पर तड़पते लोग; पुलिसकर्मी CPR देते रहे

महाकुंभ कवरेज के लिए दैनिक भास्कर के 12 रिपोर्टर प्रयागराज में तैनात हैं। कुंभ का सबसे बड़ा अमृत स्नान मौनी अमावस्या है। हमारी टीम कवरेज के लिए अलर्ट थी। रात के करीब 2 बजे थे। अचानक एक के बाद एक एंबुलेंस की आवाजें आने लगीं। संगम तट पर मची भगदड़ के बाद मेले में बनाए गए केंद्रीय अस्पताल की स्थिति भयावह थी।

दैनिक भास्कर के 12 से अधिक रिपोर्टर महाकुंभ का महाकवरेज कर रहे हैं। भगदड़ की सूचना के बाद सभी घटनास्थल, गंगा घाट, अखाड़े, केंद्रीय अस्पताल और स्वरूपरानी अस्पताल पहुंचे। सबसे पहले भास्कर रिपोर्टर सचिन गुप्ता, विकास श्रीवास्तव और सृष्टि अस्पताल पहुंचे। भगदड़ में घायल और मृतक के परिजन से बात की।

कुंभ में आधी रात को क्या और कैसे हुआ, जानिए भास्कर रिपोर्टर्स की आंखों-देखी…

1. भास्कर रिपोर्टर सृष्टि मिश्रा

मैं करीब ढाई बजे सेक्टर-2 में सेंट्रल हॉस्पिटल पहुंची। यहां बहुत सारी एंबुलेंस एक साथ आ रही थीं। संगम घाट से घायलों को लाया जा रहा था। कई श्रद्धालु गंभीर रूप से चोटिल थे। खून बह रहा था। कई लोग बेहोश पड़े थे। स्ट्रेचर पर लोगों को अंदर ले जाया जा रहा था। 10 से ज्यादा डेड बॉडी मेरी आंखों के सामने लाई गईं, जिन्हें फर्श पर रखा गया।

मौके पर अफरा-तफरी का माहौल था। नर्स और डॉक्टर एक्टिव थे। जिन्हें फर्स्ट एड की जरूरत थी, उनका प्राथमिक इलाज किया जा रहा था। कुछ लोगों को इमरजेंसी में ले जाने की जरूरत पड़ी। बाद में देखा कि इमरजेंसी एग्जिट से बहुत-सारी डेड बॉडी को एक-एक कर वहां से बाहर निकाल दिया गया।

बाहर पुलिस बल तैनात था। किसी को अंदर जाने की परमिशन नहीं थी। पब्लिक और मीडिया को अंदर नहीं जाने दिया गया। मैंने पुलिस से रिक्वेस्ट की कि मैं अपने परिजन को ढूंढ रही हूं, फिर किसी तरह मैं अंदर गई।

अंदर जाकर देखा कि घायल जैसे ही थोड़े नॉर्मल होते, उनका इलाज कर बेड खाली कराया जा रहा था। डॉक्टरों का कहना था कि घबराहट में किसी का ब्लड प्रेशर बढ़ा-घटा तो उसकी मौत नहीं हो जाएगी। गंभीर मरीजों के लिए बेड खाली कराया जा रहा था। घायलों में महिलाएं, बुजुर्ग और बच्चे थे

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