भिंड कलेक्टर पर हुई फायरिंग की कहानी है कुछ और
एक तरफ बीजेपी दिन रात ईमानदार सरकार देने के दावे करती है तो दूसरी तरफ उन्ही की सरकार में बड़े अधिकारी पर तमाम तरह के गंभीर आरोप उनके ही विधायक लगाने से नही चूक रहे हैं।
भिंड जिले के कलेक्टर संजीव श्रीवास्तव इन दिनों एक रेत माफियाँ से कथित तौर पर नजदीकी को लेकर जनप्रतिनिधि,जनता और विपक्ष के निशाने पर हैं।
उनकी निरंकुशता तथा भू और खनिज माफिया से मिलीभगत से डॉ मोहन यादव सरकार और बीजेपी की छवि जनता में बुरी तरह से प्रभावित हो रही हैं।कलेक्टर की कार्यशैली को देखते हुए ऐसा लगता है कि मोहन यादव सरकार ने भिंड जिले को मनमानी तरीके से चलाने के लिए संजीव श्रीवास्तव के उपर छोड़ दिया है।
मालूम हो कि कलेक्टर पर भाजपा विधायक नरेंद्र सिंह कुशवाह ने बीते विधान सभा सत्र के दौरान लिखित रूप से भू माफिया से मिली भगत के आरोप लिखित रूप में लगाए थे।
आरोप था कि भिंड जिले के मौ कस्बा के मौ नगर की लगभग 5 बीघा चरनोई भूमि की है,जिसे कलेक्टर संजीव श्रीवास्तव और गोहद एसडीएम पराग जैन ने निजी घोषित कर दिया था।बताया जाता है कि जिस भू माफिया मनोज जैन के पक्ष में चरनोई भूमि को निजी घोषित किया गया है वह एसडीएम पराग जैन का रिस्तेदार था!
मामले की गंभीरता को देखते हुए भिंड सदर से बीजेपी विधायक नरेंद्र सिंह कुशवाह ने मुख्य सचिव विधानसभा को सम्बोधित पत्र में लिखा कि भिण्ड जिले में राजस्व विभाग के अधिकारियों द्वारा कलेक्टर एवं अनुविभागीय अधिकारियों के संरक्षण में करोड़ों रूपये की शासकीय भूमि को निजी नाम से हस्तांतरित की जाकर अवैध प्लॉटिंग कर बेचा जा रहा है। महत्वपूर्ण प्रकरण मौ तहसील के ग्राम मौ के पटवारी हल्का क्रमांक 83 में सर्वे क्रमांक 4147 की समस्त भूमि शासकीय थी जिसकी पुष्टि स्वयं तहसीलदार मौ के द्वारा अपने पारित आदेश से की गई थी तथा उल्लेखित भूमि का अमल भी शासकीय भूमि के रूप में राजस्व अभिलेख में किया गया था। कलेक्टर भिण्ड द्वारा प्रमोद जैन से आवेदन मंगाकर उस शासकीय भूमि को निजी भूमि में बदलने के लिए प्रकरण निगरानी में लेकर अनुविभागीय अधिकारी राजस्व गोहद श्री पराग जैन को जांच हेतु प्रेषित किया एवं बगैर तथ्यों को जांचकर अनुविभागीय अधिकारी द्वारा उक्त सभी शासकीय भूमि को प्रमोद जैन के नाम से की जाकर राजस्व अभिलेख में दर्ज करा दिया तथा उक्त भूमि पर आवासीय प्लॉट काटे जाकर करोड़ों रूपये का अवैध लेनदेन किया गया।
भिण्ड जिले में जिला प्रशासन के संरक्षण में विगत दो वर्षों में ऐसे अनेको शासकीय भूमि को निजी खातों में बदलकर संगठित तरीके से अवैध लेन-देन किया गया, जिसके कारण भिण्ड जिले में कृषकों में गहन असंतोष व्याप्त है।
विधायक ने आगे लिखा था कि लोक महत्व के इस विषय पर अविलंब चर्चा करायी जाय तथा भिण्ड जिले के मौ कस्बे में की गई सरकारी जमीन की हेराफेरी को रोकने और दोषियों के विरुद्ध कार्यवाही जाए।
बता दें कि जिस चरनोई भूमि को निजी घोषित किया गया है वह वर्ष 2019 तक खसरे में चरनोई दर्ज थी।
जिसे तहसीलदार ने सुनवाई के दौरान शासकीय माना था लेकिन कलेक्टर ने उक्त भूमि को निजी घोषित कर मनमाने तरीके से तहसीलदार/पीठासीन अधिकारी के खिलाफ FIR के लिए ऑर्डर शीट पर आदेश भी कर दिया था।
लगभग दस करोड़ की वर्तमान मूल्य वाली जमीन भू माफिया को दिये जाने से राजनैतिक एवं प्रशासनिक हलकों में कलेक्टर की भूमिका पर सवाल उठ रहे हैं।
वहीं बीते दिनों रौन थाना क्षेत्र में कलेक्टर पर रेत माफिया द्वारा की गई फायरिंगा होने का मामला जो शुरू से ही संदेह के घेरे में था,इस मामले में विधानसभा में उप नेता प्रतिपक्ष हेमन्त कटारे ने कलेक्टर पर दतिया की रेत कंपनी से मिली भगत के आरोप लगाए हैं।
प्रेस वार्ता में श्री कटारे ने कहा कि
कलेक्टर पर हुए पथराव से जिले की छवि खराब हुई है कलेक्टर जिले में कानून व्यवस्था बिगाड़ने का काम कर रहे है।
कलेक्टर को कार्यवाही करना है तो पुलिस व खनिज टीम को विश्वास में लेकर काम करना चाहिए। उन्होंने आगे कहा कि कुख्यात अपराधी और रेत माफिया सुभाष बाबा से कलेक्टर के रिश्ते की उच्चस्तरीय जांच की जानी चाहिए।श्री कटारे ने
कलेक्टर एवं सुभाष मिश्रा के एक साथ सड़कों पर रेत की गाड़ियां पकड़ते हुए फोटो जारी कर कहा कि कलेक्टर के नाम पर आरोपी अड़ींबाजी करता है और उसका रुतबा ऐसा है कि उसने सरेआम वाहन पर फायरिंग कर राहगीर की गाड़ी भी क्षतिग्रस्त कर डाली है।
उल्लेखनीय है विगत दिनों ऊमरी थाना क्षेत्र में रेत से भरा – ट्रेक्टर-ट्रॉली छुड़ाने के लिए माफियाओं द्वारा किए गए हमले के मामले में नया मोड़ आया – है। इस मामले में कलेक्टर संजीव श्रीवास्तव द्वारा घटना के संबंध में दी गई जानकारी,खनिज निरीक्षक संजय धाकड़ के उस आवेदन से इत्तेफाक नहीं रख रही,जो खनिज निरीक्षक ने एफआईआर कराने ऊमरी थाने में दिया था। खनिज निरीक्षक के आवेदन पर पुलिस ने घटना वाले दिन ही 6 अज्ञात पर मामला दर्ज कर लिया था, लेकिन इस प्रकरण में नया मोड़ तब आया, जब कलेक्टर के द्वारा घटना वाले दिन दी गई जानकारी और खनिज निरीक्षक के आवेदन में भिन्नता नजर आई। इस मामले में शुरूआत से ही प्रशासन सत्यता छुपाने में जुटा हुआ है।
घटना वाले दिन 31 जनवरी को सूचना आई थी कि रात्रि में बिना पुलिस सहयोग के प्रायवेट गाड़ी से कार्रवाई करने पहुंचे कलेक्टर पर हमला हो गया है। उसके बाद दोपहर होते होते कलेक्टर मीडिया के सामने आए और अपने ऊपर हमला होने की बात से इंकार किया। उन्होंने खनिज टीम पर पथराव होने की जानकारी दी थी। इधर खनिज टीम से संपर्क करने का प्रयास किया गया,लेकिन घटना वाले दिन से आज तक खनिज टीम मीडिया से दूरी बनाए हुए है।
कलेक्टर के बयान और खनिज निरीक्षक के आवेदन में भिन्नता साफ़ तौर पर है।
इस घटना के बाद कलेक्टर ने जानकारी दी थी कि रात्रि में रूर की पुलिया से ऊमरी के बीच उन्होंने रेत से भरा ट्रेक्टर ट्रॉली पकड़ा था और खनिज टीम को सूचना देकर ट्रेक्टर खनिज टीम के सुपुर्द कर चले आए। जबकि खनिज निरीक्षक ने पुलिस को दिए आवेदन में कलेक्टर के द्वारा नहीं, बल्कि स्वयं व अपनी टीम के द्वारा ट्रेक्टर ट्रॉली पकड़ने का जिक्र किया है। उन्होंने कलेक्टर के मौके पर होने व न होने का कोई उल्लेख नहीं किया है। इसी तरह कलेक्टर ने अपने बयान में स्वयं पर हमला न होने की बात कहते हुए माफियाओं द्वारा खनिज टीम पर पथराव करने की जानकारी दी थी। उन्होंने पुलिस द्वारा माफियाओं को खदेड़ने की बात भी कही।लेकिन खनिज निरीक्षक ने अपने आवदेन में पुलिस का कोई उल्लेख नहीं किया और हमलावरों को खनिज विभाग के कर्मियों द्वारा खदेड़ना बताया है।