सौरभ की कोर्ट में पेशी,ED की पूछताछ में बड़े खुलासे – कोर्ट ने 14 दिन के लिए भेजा जेल
परिवहन विभाग के पूर्व आरक्षक सौरभ शर्मा काली कमाई का धनकुबेर तो बन गया, लेकिन ऐसा बनने के लिए उसे मध्यप्रदेश के तत्कालीन परिवहन अधिकारियों का पूरा सहयोग मिलता रहा है। परिवहन चेकपोस्टों से होने वाली अवैध कमाई को सौरभ शर्मा अपने राजदारों के साथ विभाग के अधिकारियों को भी पहुंचाता था।बता दें कि यह पूरा लेनदेन नकदी में होता था, इसलिए इसका हिसाब न तो सौरभ और उसके करीबियों के बैंक खातों से मिला है न ही परिवहन विभाग के अधिकारियों के बैंक ट्रांजेक्शन में मिलेगा। यह खुलासा ईडी की जांच में हुआ है। ईडी की पूछताछ में खुलासा हुआ है कि सौरभ शातिराना तरीके से नकदी में लेनदेन करता, ताकि पैसों के लेनदेन के दस्तावेजीकरण से बचा रह सके। नकदी का हिसाब वह अपनी डायरियों में करता था। लोकायुक्त पुलिस की छापेमारी के दौरान जब्त की गई एक डायरी में भी इसका खुलासा हुआ है।जांच एजेंसियों की मानें तो सौरभ के ठिकानों से एक नहीं कई डायरियां बरामद हुई हैं, जिसमें परिवहन चेक पोस्टों से होने वाली वसूली का हिसाब, नेताओं-अधिकारियों के बीच बांटी गई राशि का हिसाब के साथ हर महीने फिक्स राशि जाने वाले परिवहन अधिकारियों व कुछ चुनिंदा नेताओं व राजनीतिक संरक्षण के लिए टोकन मनी के रूप में जाने वाली राशि का पूरा अलग-अलग ब्यौरा है।
हालांकि ईडी और अन्य जांच एजेंसियां किसी भी नाम का खुलासा नहीं कर रही हैं कि किन नेताओं-अधिकारियों को सौरभ अब तक नकदी पैसा पहुंचा चुका है। सोमवार को रिमांड अवधि समाप्त होने पर ईडी की टीम ने सौरभ शर्मा, शरद जायसवाल और चेतन सिंह गौर को भोपाल की विशेष अदालत में पेश किया, जहां से तीनों को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भोपाल केंद्रीय जेल भेज दिया गया है।
नकदी पाने वालों को नोटिस जारी कर सकती है लोकायुक्त पुलिस
लोकायुक्त पुलिस ने जांच में कई ऐसे नामों को चिन्हित किया है, जिन्हें सौरभ शर्मा प्रति माह एक निश्चित राशि परिवहन विभाग के अधिकारियों और कुछ नेताओं को देता था। लोकायुक्त छापे में जब्त हुई डायरी में भी पूरे लेनदेन का ब्यौरा भी है। लोकायुक्त पुलिस जांच के बाद अब सौरभ शर्मा की डायरी में दर्ज नामों को नोटिस जारी कर पूछताछ की तैयारी में है। हालांकि लोकायुक्त पुलिस अब तक सौरभ से जुड़े हुए दर्जन भर लोगों से पूछताछ कर चुकी है।
अवैध कमाई का बड़ा हिस्सा सोने में निवेश किया
ईडी सौरभ शर्मा और उसके सहयोगी चेतन व पार्टनर शरद से मनी लॉन्ड्रिंग केस में पूछताछ कर चुकी है। पूछताछ में सौरभ ने अफसर के समक्ष कई खुलासे किए हैं। उसने छापे में मिली डायरी में दर्ज कई नाम की पुष्टि की है, जो उसका साथ दे रहे थे। वह मनी लॉन्ड्रिंग के जरिए भ्रष्टाचार की रकम को प्रॉपर्टी और गोल्ड में निवेश करवाते थे। इसके अलावा सौरभ ने ग्वालियर के कारोबारी सहित 4 रिश्तेदारों के नाम भी गिनाए हैं, जिनके संरक्षण में वह काली कमाई खपा रहा था।
बन गया सबसे बड़ा राजदार
सौरभ शर्मा और उसका राजदार शरद जायसवाल पहले दोनों एक साथ प्रापर्टी डीलिंग का कार्य करते थे। दोनों का परिचय सौरभ शर्मा के जबलपुर निवासी साले रोहित तिवारी ने कराई थी। 2014-15 में भोपाल की एक फर्म ने जबलपुर में कॉलोनी बनाई थी, इसमें शरद जायसवाल ने कई प्लॉट बिकवाए थे। यहीं से शरद, सौरभ के संपर्क में आया और उसका विश्वसनीय हो गया। 2015-16 में सौरभ ने भोपाल की प्रॉपर्टी डीलिंग फर्म से किनारा किया।
इसी समय वह परिवहन विभाग में आरक्षक बना था। नौकरी के बाद उसने चूना भट्टी में फगीटो रेस्टोरेंट शुरू किया। शरद की मदद से सौरभ ने भोपाल, इंदौर में कई संपत्तियां खरीदीं। 2011 में शरद जायसवाल भोपाल के दस नंबर मार्केट स्थित एक फर्म में बतौर टीम लीडर जॉब करता था। यह फर्म बिल्डर्स की प्रॉपर्टी बिकवाने का काम करती थी।
इसमें 50 से अधिक कर्मचारी थे। शरद 10 ब्रोकर्स की टीम का लीडर था। इस समय वह 6 नंबर स्थित एक साधारण फ्लैट में परिजन के साथ रहता था। रोहित ने शरद को इंटीरियर डिजाइनिंग से लेकर भवन निर्माण के कई बड़े काम दिलाए। रोहित ने ही सौरभ के अरेरा कॉलोनी स्थित बंगले के रिनोवेशन का काम शरद को सौंपा। यहीं से शरद और सौरभ के रिश्ते की शुरुआत हुई।
क्या है पूरा मामला
दरअसल, परिवहन विभाग के पूर्व आरक्षक सौरभ शर्मा और उसके राजदार व बिजनेस पार्टनर चेतन सिंह गौर और शरद जायसवाल के ठिकानों पर लोकायुक्त पुलिस ने 18 दिसंबर को छापा मारा था। छापे की कार्रवाई 19 दिसंबर को भी की गई। 19-20 दिसंबर की दरमियानी देर रात मेंडोरा के जंगल में एक फार्महाउस में लावारिस हालत में खड़ी इनोवा के अंदर 54 किलोग्राम सोना और 10 करोड़ से अधिक की नकदी आयकर विभाग ने बरामद की थी।
जिस इनोवा से यह सोना और नकदी बरामद हुई है, वह चेतन सिंह गौर के नाम रजिस्टर्ड है और उसका उपयोग सौरभ शर्मा द्वारा किया जा रहा था। इसके बाद 27 दिसंबर को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने सौरभ शर्मा और उसके बिजनेस पार्टनर के ठिकानों पर छापा मारा था। ईडी की छापेमारी में सौरभ के ठिकानों से 6 करोड़ की एफडी, 23 करोड़ की संपत्ति सहित कुल 33 करोड़ की संपत्ति मिली थी। ईडी को जमीन से जुड़े दस्तावेज, रजिस्ट्रियां और कुछ कंपनियों के दस्तावेज सहित बैंक खातों की जानकारी भी हाथ लगी थी।
41 दिन की फरारी के बाद सौरभ शर्मा की कोर्ट में सरेंडर करते समय गिरफ्तारी हुई थी। इसके बाद चेतन और शरद को भी लोकायुक्त ने गिरफ्तार कर रिमांड पर लिया था। ईडी ने तीनों से जेल में अलग-अलग पूछताछ करने के बाद तीनों को रिमांड पर लेकर पूछताछ कर रही है। आज तीनों की रिमांड अवधि समाप्त होने के बाद न्यायिक हिरातस में जेल भेज दिया गया है।