दूसरे बार की शिकायत की, खुद पर भी लगा बैठे सील, प्रतिद्वंद्विता की दिलचस्प कहानी
देहरादून में जिन 02 बार/पब को जिला प्रशासन की टीम ने सील किया था, उसमें अब आपसी प्रतिद्वंद्विता की दिलचस्प कहानी भी सामने आ रही है। कहते हैं जो दूसरों के लिए गड्ढा खोदता है, वह खुद उसमें गिर जाता है। इसका ताजा उदाहरण दो बारों की प्रतिद्वंद्विता में देखने को मिला। जिला प्रशासन की कार्रवाई में कहीं कोई खोट नहीं था, क्योंकि उन्हें तो जहां की शिकायत मिली थी, वहीं टीम छापा मारने भी पहुंची। टीम ने आधी रात के आसपास छापा मारा और बार को सील भी कर दिया। लेकिन, तभी कुछ ऐसा हुआ कि एक और बार लपेटे में आ गया। लगे हाथों प्रशासन की टीम ने उसे भी सील कर दिया।
बताया जा रहा है कि पहले बार की शिकायत करने में इस बार के संचालकों का हाथ भी रहा है। यही कारण है कि जब पहले बार पर प्रशासन की टीम कार्रवाई कर रही थी, तब बगल वाला बार फुल मस्ती में था। वहां तो आधी रात के बाद भी शराब और नाच-गाना चरम पर था। शायद इसके संचालक तब खुश भी हो रहे होंगे कि आज तो कट्टर प्रतिस्पर्धा वाला पड़ोसी बार कई दिनों के लिए बंद हो जाएगा।
यह खुशी इसलिए भी थी कि पड़ोस के ग्राहक टूटकर उनके ही पास तो आएंगे। लेकिन, प्रशासन की टीम ने उनकी उस खुशी को पलभर में ही काफूर कर दिया। उनके यहां प्रशासन की टीम घुसी तो बार प्रबंधकों को मानो काटो तो खून नहीं। आनन-फानन में विधायक और अन्य प्रभावशाली लोगों ने अफसरों को कॉल लगाई। लेकिन, प्रशासन की टीम टस से मस नहीं हुई। हालांकि, प्रशासन को यह पता नहीं था कि शिकायत के पीछे इसी बार का हाथ है। नहीं तो शायद पहले इसी बार का मुहूर्त निकाल दिया जाता।
खैर, शिकायत के क्रम में प्रशासन की टीम अपनी कार्रवाई पूरी कर चुकी थी। टीम का नेतृत्व कर रहे साहब अपनी कार में बैठकर जाने ही वाले थे कि तभी वहां सील किए गए बार के कुछ ग्राहक और अन्य लोग आ गए। उन्होंने बगल के बार की तरफ टीम का ध्यान दिलाया। इसको लेकर हल्की तनातनी भी हुई। फिर साहब गुस्से में कार से उतरे और टीम के साथ धड़धड़ाते हुए बगल वाले बार में घुस गए। बस इस तरह दूसरे के लिए खोदे गए गड्ढे की आगे की कहानी पूरी हो जाती है।
राजनीती की हनक पहले भी दिखा चुका यह बार
जब इस प्रतिष्ठान के पास बार के रूप में शराब पिलाने का लाइसेंस नहीं था, तब इसकी भी शिकायत प्रशासन को मिली थी। तब प्रशासन के अधिकारियों ने यहां छापा मारा था। उस दौरान छापा मारने गए अधिकारियों पर बार प्रतिष्ठान प्रबंधन ने भारी दबाव बनाया था। इसके बाद बार का लाइसेंस लेने में भी राजनीती का खूब रौब दिखाया गया।