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31 मार्च को बंद हो जाएंगे ग्वालियर चंबल संभाग के 8 जिलों के 846 स्कूल्स, जानिए क्या हैं मामला

ग्वालियर चंबल संभाग के 8 जिलों के 846 प्राइवेट स्कूलों पर तलवार लटक रही है. आगामी शिक्षण सत्र से ये बंद हो सकते हैं. बड़ी बात यह है कि लगभग बंद होने के कगार पर खड़े संभाग के 846 स्कूलों ने अभी तक अपने स्कूल की मान्यता नवीनीकरण के लिए आवेदन तक नहीं किया है. मान्यता रद्द होने से बंद होने वाले स्क्लूों में ग्वालियर के 171 स्कूल भी शामिल हैं.

घाटीगांव के सारथी स्कूल में पढ़ने वाले 200 बच्चे और 20 का स्टाफ का क्या होगा?

घाटीगांव में सारथी नाम से 2 स्कूल है, दोनों में 200 बच्चे और 20 का स्टाफ हैं. गांव में में स्कूल होने से ऱजिस्टर्ड किरायानामा नहीं बन पा रहा है. सरकार उनकी परेशानी समझने को तैयार नहीं है. स्कूल बंद हुआ छात्रों की पढ़ाई बाधित होगी और अभिभावको की परेशानी बढ़ेंगी.

जागृति नगर के दो स्कूलों ने नए नियमों में खर्च बढ़ने से आवेदन ही नहीं किया

जागृति नगर में जागृति पब्लिक स्कूल 1992 से संचालित है. इसमें वर्तमान में 75 छात्र हैं. रजिस्टर्ड किरायानामा नहीं बनने के कारण स्कूल संचालक आवेदन नहीं कर पा रहे हैं. कमोबेश यही हाल, द्रोणाचार्य स्कूल का है, जहां स्कूल संचालको द्वारा कुल 80 छात्रों को फ्री में शिक्षा दिया जाता है. नए नियमों में खर्च बढ़ने से आवेदन नहीं किया.

ऐसे समझें परेशानी

  • मान्यता के अभाव में आरटीई मे भर्ती छात्रों को नहीं मिलेगी, फ्री शिक्षा स्कूल बंद हुए तो आरटीई के छात्रों को फीस देकर पढ़ना होगा
  • इस वर्ष जिले में 2018 बच्चों का आरटीई मे एडमिशन हुआ हैं, स्कूलों की मान्यता रद्द होने पर उन्हें फीस, ड्रेस, पुस्तकें आदि का खर्चा खुद वहन करना होगा.
  • ग्वालियर संभाग के 3 जिले के 200 स्कूल बंद होने पर 20000 छात्रों को दूसरे स्कूलों में एडमिशन लेना होगा, जिससे उन्हें मोटी फीस देने होगी.
  • गांव के स्कूल ज्यादा संकट में आएंगे, जिनके स्कूल का निर्माण पट्टे की जमीन पर हुआ हैं. स्कूल बंद होने से इनमें कार्यरत हजारों का स्टॉफ अचानक से बेरोजगार हो जाएगा.

‘कई साल पहले से चल रहे हैं, उन्हें नए नियमों के दायरे से बाहर रखना चाहिए’

प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन के अध्यक्ष राजकरण सिंह भदौरिया ने मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए कहना हैं कि, हमारा संगठन नए नियमों का विरोध कर रहा है, लेकिन कोई सुनने को तैयार  नहीं है. उन्होंने कहा कि, जो स्कूल कई साल पहले से चल रहे हैं, उन्हें नए नियमों के दायरे से बाहर रखना चाहिए.

स्कूलों की मान्यता रद्द होने से RTE छात्रों को सबसे अधिक दिक्क़त होगी

वहीं, डीपीसी रविन्द्र सिंह तोमर का कहना हैं कि लेट फीस के साथ आवेदन करने की तारीख़ भी अब निकल चुकी हैं. उन्होंने कहा कि स्कूलों की मान्यता रद्द होने से बच्चों के स्कूल ड्राप की समस्या तो नहीं आएगी. बंद स्कूलों के स्टूडेंट निकटवर्ती स्कूल में प्रवेश ले सकेंगे, लेकिन RTE छात्रों के साथ दिक्क़त होगी, क्योंकि इनका ट्रांसफर नहीं होता हैं.

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