Tue. May 6th, 2025

मुख्यमंत्री की मंशा फास्ट वर्क, लेकिन अधिकारी सुस्त

मध्यप्रदेश में भाजपा का यह लगातार पांचवां टर्म है। इस टर्म में निवर्तमान मुख्यमंत्री शिवराज सिंह सत्ता की कमान नहीं सम्हाल रहे है। बल्कि युवा जोश और काम करने में भरोसा रखने वाले संवेदनशील डा. मोहन यादव मुख्यमंत्री है। डा. यादव के नेतृत्व में सरकार ने कई नये कामों को जल्द ही अमलीजामा पहनाया है। वहीं इंदौर की मील के मजदूरों के बकाया के मामले को भी मुख्यमंत्री ने तत्परता से निपटाया है। अब वह ग्वालियर की जेसी मिल के श्रमिकों की देनदारियां को जल्द पूरा करने का वादा भी कर चुके है। हालांकि मुख्यमंत्री अपनी पूरी ईमानदारी और मेहनत से मध्यप्रदेश को विकसित और औद्योगिक मध्यप्रदेश बनाने में लगे है। लेकिन उनकी मेहनत को अधिकारियों की लापरवाही और अनदेखी की वजह से कई कामों में पिछड़ापन आया है। परंतु मुख्यमंत्री अब ऐसे सुस्त और लापरवाह अधिकारियों पर नजर रखकर उनके पर कतरने की तैयारी में है। 
मध्यप्रदेश को अगर हम यूं कहे कि यह अब भाजपा का गढ़ बन चुका है तो इसमे कोई गुरेज नहीं होगा। लगातार 15 साल सत्ता में रहने के बाद भाजपा को मामूली अंतर से हराकर कांग्रेस की सरकार बनी थी। परंतु यह कांग्रेस सरकार मात्र 15 माह में ढह गई और पुनः शिवराज सिंह के नेतृत्व में भाजपा सरकार बनी और इसके बाद हुये आम चुनावों में फिर भाजपा ने बंपर जीत हासिल कर पांचवीं दफा सरकार बनाई। लेकिन इस बार मध्यप्रदेश को डा. मोहन यादव के रूप में नया मुख्यमंत्री मिला है। सरकार को लगभग डेढ़ माह पूरा हो चुका है और मुख्यमंत्री यादव ने प्रदेश की जनता के सामने विकसित मध्यप्रदेश की तस्वीर भी पेश की है। मुख्यमंत्री लगातार मध्यप्रदेश में इन्वेस्ट को लेकर भी सक्रिय है और उनका मानना है कि मध्यप्रदेश में जितने उद्योग आयेंगे उससे मध्यप्रदेश के लोगों को जहां रोजगार मिलेगा, वहीं विश्व पटल पर मध्यप्रदेश की एक अनूठी पहचान होगी। मुख्यमंत्री इसको लेकर ज्यादा संवेदनशील है और लगातार देश से लेकर विदेश के दौरे कर निवेश को प्रोत्साहन कर रहे है। उनकी मेहनत का फल दिखने भी लगा है। कई उद्योगपतियों ने मध्यप्रदेश में निवेश की रूचि भी दिखाई है, लेकिन अधिकारियों की सुस्त और लापरवाह रवैया कभी भी सरकार को शर्मिंदगी का एहसास करा देता है। कई दफा मुख्यमंत्री ने उघोगों को प्रोत्साहन देने के लिये निर्देश दिये है। लेकिन अधिकारी समझो तानाशाही रवैया अपनाकर कई दफा उघोगपतियों और कारिंदों को या तो समय नहीं देते है या उनके विचारों और प्रोत्साहन देने की बात को सुनकर अनसुना कर देते है। इससे प्रदेश में कुछ हद तक निवेश को लेकर बने वातावरण में एक ढीलापन सा हाल में दिखा है। जबकि मुख्यमंत्री लगातार मध्यप्रदेश खुशहाल और औद्योगिक क्षेत्र बने इसके लिये कड़ी मेहनत कर रहे हैं। उन्होंने उद्योेग मित्र जैसा प्रोग्राम भी पेश किया है। वहीं मुख्यमंत्री डा. यादव ने शपथ लेते ही इंदौर मिल की देनदारियों को निपटाने जैसा बड़ा कदम भी उठाया था, वहीं अब ग्वालियर की जेसी मिल की देनदारियों को भी जल्द निपटाने का वादा कर चुके है। उनकी पूर्व श्रमिकों के साथ इसको लेकर बैठक भी हो चुकी है। बस अधिकारी जितनी तत्परता दिखायेंगे यह काम भी निपट सकता है। 

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