Wed. May 21st, 2025

राजीव गांधी की अंतिम यात्रा बनी ऐतिहासिक क्षण, 64 देशों के प्रतिनिधियों ने दी श्रद्धांजलि

नई दिल्ली। भारत रत्न और पूर्व प्रधानमंत्री श्री राजीव गांधी की अंतिम यात्रा भारतीय राजनीति और अंतरराष्ट्रीय कूटनीति के इतिहास में एक ऐतिहासिक क्षण बन गई। 21 मई को उनकी पुण्यतिथि पर जब देश उन्हें याद कर रहा है, तो वह दृश्य पुनः आंखों के सामने जीवंत हो उठता है, जब दिल्ली की सड़कों पर जनसैलाब उमड़ पड़ा था और विश्व भर के नेता उन्हें अंतिम विदाई देने पहुंचे थे।

राजीव गांधी जी की अंत्येष्टि में दुनिया के 64 देशों से उच्चस्तरीय प्रतिनिधि शामिल हुए थे, जिनमें 20 राष्ट्राध्यक्ष थे। इंग्लैंड से प्रिंस चार्ल्स, संयुक्त राष्ट्र संघ के महासचिव, फिलिस्तीन के नेता यासिर अराफ़ात, और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के साथ-साथ उनकी राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी बेनज़ीर भुट्टो भी मौजूद थीं।

अमेरिका के हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव्स में दो मिनट का मौन रखकर उन्हें श्रद्धांजलि दी गई, वहीं तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति जार्ज डब्ल्यू बुश ने राजीव गांधी के साथ अपने संबंधों को याद करते हुए गहरी संवेदना व्यक्त की।

राजीव गांधी की शव यात्रा लुटियन्स दिल्ली से होते हुए आईटीओ के मार्ग से गुज़री। इस मार्ग पर लाखों लोग अपने प्रिय नेता को अंतिम बार देखने के लिए खड़े थे। झुलसाती गर्मी में भी शोक में डूबी दिल्ली शांत और संयमित होकर सड़कों पर खड़ी रही। यह वही मार्ग था, जिससे महात्मा गांधी, पं. नेहरू, इंदिरा गांधी और संजय गांधी की शव यात्राएं भी गुज़री थीं।

लोगों की श्रद्धा का आलम यह था कि सैकड़ों लोग अपने घरों से घी लेकर अंत्येष्टि स्थल पर पहुंचे और हज़ारों ने अपने सिर मुंडवाए। ऐसे दृश्य विरले ही किसी नेता के अंतिम संस्कार में देखने को मिलते हैं।

राजीव गांधी केवल एक राजनेता नहीं थे, वे एक दृष्टा थे, जिन्होंने भारत को 21वीं सदी के सपनों से जोड़ा। आज उनकी पुण्यतिथि पर हम उन्हें नमन करते हैं और उनकी अमर स्मृति को शत-शत श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *