Sat. May 31st, 2025

प्रधानमंत्री का सबसे बड़ा एजेंडा रानी अहिल्याबाई की कार्यप्रणाली देश में करेंगे लागू, मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव और विष्णुदेव साय मिशन में चल पड़े सबसे आगे, महिला सशक्तिकरण तो होगा ही, भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस पर उठाए जाएंगे कारगर कदम

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पश्चिम बंगाल की ममता सरकार में भ्रष्टाचार और आतताई को समाप्त करने के लिए मप्र में मालवा-निमाड़ की प्रख्यात रानी अहिल्याबाई होल्कर के शासन काल में जिस साफ सुधरे और न्यायप्रिय प्रशासन की कार्यप्रणाली को अपनाया गया था उसे वे पूरे देश में लागू करने जा रहे हैं। प्रधानमंत्री के द्वारा मानवीयता के प्रति संवेदना की यह पराकाष्ठा ही समझी जाएगी जिसमें उन्होंने पश्चिम बंगाल और मणिपुर में महिलाओं के साथ किए गए अत्याचार को समाप्त करने के लिए पूरी भाजपा सरकार को देश में रानी अहिल्याबाई होल्कर के शासन के अनुरूप काम करने के एजेंडे पर लगा दिया है। प्रधानमंत्री सचिवालय के सूत्रों के अनुसार प्रधानमंत्री मोदी ने अपने इस मिशन को कामयाबी तक पहुंचाने के लिए जिन दो भाजपा शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों को चुना है उसमें मप्र के सर्वाधिक पढ़े-लिखे मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव और दूसरी ओर छग के निष्काम वाले आदिवासी मुख्यमंत्री विष्णदेव साय शामिल हैं। यह लिखने में अतिश्योक्ति नहीं है कि, प्रधानमंत्री कार्यालय दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों की रानी अहिल्याबाई होल्कर के शासन के प्रति निष्ठा और जागरूकता को लेकर प्रधानमंत्री सचिवालय की मानीटरिंग सिस्टम में इन्हें 100 में से 100 नंबर दिए जा रहे हैं और इसी का परिणाम है कि मप्र में 31 मई को प्रधानमंत्री अपने एजेंडे के साथ अहिल्याबाई होल्कर के शासन की प्रणाली को सबसे पहले मप्र में लागू करने के लिए 2 लाख महिला जनप्रतिनिधियों के समक्ष महिला सशक्तिकरण की दिशा में ऐसा संकल्प लेने जा रहे हैं जो इतिहास के पन्नों में हमेशा-हमेशा के लिए स्वर्ण अक्षरों में दर्ज होने वाला है। बता दें कि इसी अवधारणा के चलते डॉ. यादव ने पिछले एक महीने से लगातार अहिल्याबाई होल्कर के कार्यकाल में विजनरी फैसलों को अपनी सरकार का इनसाइकोपीडिया बना लिया है और इसका प्रदर्शन कल 31 मई 2025 को जब प्रधानमंत्री मप्र की राजधानी भोपाल आएंगे तब पूरा देश डॉ. यादव की भावभीनी और विक्रमादित्य के पुरुषार्थ से चलाए जा रहे अभियान को महसूस करेगा। उल्लेखनीय है कि, इसी श्रृंखला में महिला सशक्तिकरण के क्षेत्र में आज पूरे देश में डॉ मोहन यादव ने नई मिसाल कायम करने का फैसला कर लिया है। यह लिखना गलत नहीं होगा कि, मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने प्रधानमंत्री मोदी के निर्देश पर अपनी दृढ़ इच्छाशक्ति और संकल्प को आम जनमानस में लागू करते हुए महिलाओं के मप्र में 4, 42000 स्व-सहायता समूहों में से 2 लाख आत्मनिर्भर लखपति दीदियों को प्रधानमंत्री मोदी के समक्ष प्रस्तुत करने का निर्णय कर लिया है जिसे आप कल 31 मई को भोपाल में खुली आंखों से जंबूरी मैदान में देख सकेंगे। प्रधानमंत्री ने मुख्यमंत्री डॉ. यादव से कहा है कि पूरे देश को यह समझना होगा महिलाओं के स्व सहायता समूहों की ताकत क्या है और इस सवाल का उत्तर देते हुए मुख्यमंत्री डॉ. यादव कहते हैे- आत्मनिर्भर महिलाओं की स्व-सहायता हमारी ग्रामीण अर्थव्यवस्था की रीढ़ की हड्डी है जिसे और मजबूत बनाने की जरूरत है और इस दिशा में मप्र सबसे आगे है। यह प्रमाण कल देखने को सबको मिलेगा। वहीं दूसरी ओर छग के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने रानी अहिल्याबाई के शासन काल को प्रजा के कल्याण का और न्याय का स्वर्णयुग बताया है। प्रधानमंत्री सचिवालय को मिली सूचना के आधार पर सूत्रों का कहना है कि, भाजपा शासित राज्यों में विष्णुदेव साय पहले ऐसे आदिवासी मुख्यमंत्री हैं जिन्हें प्रधानमंत्री मोदी ने मुख्यमंत्री डॉ. यादव के साथ-साथ अपने इस मिशन में जोड़ लिया है। लेकिन उनकी शर्त यही है कि, भाजपा की सरकारों में महिलाओं को लेकर निरंकुशता संपूर्ण रूप से समाप्त हो जानी चाहिए। हो सकता है प्रधानमंत्री कल भोपाल के जंबूरी मैदान में रानी अहिल्याबाई के शासन में महिलाओं की सुरक्षा के प्रति जो कर्मठता थी उसे पूरे देश में लागू करने का फैसला सुना दें तो आश्चर्यजनक कोई भी घटना नहीं होगी बल्कि यह किसी प्रधानमंत्री के लिए महिलाओं की सुरक्षा को लेकर पहला ऐतिहासिक फैसला होगा। यह लिखने में संकोच नहीं होगा कि मप्र और छग दोनों राज्यों में महिलाओं की सुरक्षा, स्वास्थ्य, शिक्षा और कुपोषण की समाप्ति को लेकर जितनी नीतियां बनाई गई हैं उन्हीं नीतियों को अब प्रधानमंत्री मोदी अपना कबच प्रदान करने जा रहे हंै ऐसा माना जाए तो चौंकिएगा मत। लेकिन चौंकिएगा तब जब मप्र और छग में कुछ मंत्रियों और नौकरशाहों के खिलाफ भ्रष्टाचार की जिन शिकायतों से प्रधानमंत्री सचिवालय क्षुब्ध है उनके खिलाफ ठोस कार्यवाही के लिए दोनों मुख्यमंत्रियों को प्रधानमंत्री सार्वजनिक रूप से निर्देश देने में कोई संकोच नहीं करेंगे।

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