अहिल्याबाई होलकर की एक आम स्त्री से जन कल्याण के लिए समर्पित रानी बनने की कहानी
आज रानी अहिल्याबाई होलकर का 300वां जन्मोत्सव है और इस अवसर पर मध्यप्रदेश में एक उत्सव जैसा माहौल देखने को मिल रहा है। अहिल्या भाई की 300 बी जयंती मनाने के लिए मप्र शासन ने प्रदेश स्तर पर बडे प्रयास किए हैं साथ ही भोपाल में एक विशाल कार्यक्रम का। आयोजित किया गया है और यह पूरा कार्यक्रम अहिल्या बाई। के जीवन को केंद्रित रखकर आयोजित किया जा रहा है। अहल्या बाई होलकर एक रानी बनने के बाद जन। कार्यों के लिए समर्पित रही उनके जीवन से शिक्षा लेने के लिए और उनसे प्रेरणा लेकर ही जन। कार्य में आगे बढ़ने के लिए और साथ ही महिला सशक्तिकरण में उनके उदाहरण से सीख लेने के लिए आज पूरे मध्य प्रदेश में उत्सव का माहौल है। आइये जानते हैं कौन है रानी अहिल्याबाई होलकर…
देवी अहिल्या की आज 300 वीं जयंती है। देश का मौजूदा शासन तंत्र इसे इसे पूर्ण श्रद्धाभाव और उत्साह के साथ मना रहा है। इससे पता चलता है कि कैसे महाराष्ट्र के एक छोटे से गांव की बेटी जीवन के तमाम चुनौतियों का सामना करते इंदौर के होलकर राजवंश की महारानी बनी, फिर भी उसने अपनी सादगी, सेवा और समर्पण की छवि को नहीं छोड़ा तथा अपनी रियासत में इंसानों के बीच भेदभाव को कोई जगह नहीं दी। 300 साल बाद भी आज देवी अहिल्या को इन्हीं बातों के लिए स्मरण किया जा रहा है और सदियों तक याद किया जाता रहेगा। और आज रानी अहिल्या बाई होलकर को याद कर महिला सशक्तिकरण के क्षेत्र में एक बड़ा प्रयास किया जा रहा है।
अहिल्या बाई का जन्म एक साधारण परिवार में महाराष्ट्र के अहमदनगर (अब अहिल्या नगर) जिले के जामखेड़ तालुका के ग्राम चौंडी में 1725 में हुआ था। अहिल्याबाई के पिता का नाम मनकोजी शिंदे और माता क नाम सुशीला बाई था। उनका जन्म एक साधारण परिवार में हुआ था। लेकिन उनके अंदर विलक्षण प्रतिभा थी। जिसे देखकर होल्कर वंश के प्रमुख मल्हार राव होल्कर ने उन्हेंउन्हऔरपने परिवार की बहू बनाने का प्रस्ताव अहिल्या बाई के पिता के समक्ष रखा। मल्हार राव के पुत्र खंडेराव से उनका विवाह हुआ था। अहिल्या बाई की दो संतान थीं। बेटा मालेराव और बेटी मुक्ताबाई।