मध्य प्रदेश पुलिस भर्ती में फर्जी कांस्टेबल, आधार और फिंगर प्रिंट भी नकली, देशभर में फैला है जाल
भोपाल मध्य प्रदेश में पुलिस भर्ती के दौरान सॉल्वर गैंग ने फर्जीवाड़ा मुक्त सभी इंतजामों को धत्ता बता दिया. इनके तरीके ने पुलिस के सिस्टम को भी मात दे दिया. मध्य प्रदेश पुलिस कांस्टेबल भर्ती 2023 में तकनीक, आधार और पैसे का इस्तेमाल कर असली उम्मीदवारों की जगह सॉल्वर परीक्षा में बैठे और पकड़े भी नहीं गए. इसमें से तो कई वर्दी पहनने ही वाले थे, लेकिन उससे पहले ही राज खुल गया.
ग्वालियर, मुरैना, श्योपुर, गुना, शिवपुरी, राजगढ़, शहडोल, अलीराजपुर और इंदौर तक फैला ये जाल, आधार आईडी में हेरफेर कर असली उम्मीदवारों की जगह नकली परीक्षार्थियों (सॉल्वर) को परीक्षा में बैठाया गया.
इस प्रक्रिया को एक नहीं, कई बार दो-तीन बार दोहराया गया और जब नियुक्ति का वक्त आया, तब जाकर ये आधार रैकेट पकड़ा गया.
2013 के व्यापम घोटाले में भी सॉल्वर बैठाए गए थे, लेकिन अब खेल और भी तकनीकी हो गया है. आधार अपडेट का ग़लत इस्तेमाल, बायोमेट्रिक्स की हेराफेरी, और आधार केंद्रों की मिलीभगत — इस बार पूरा ऑपरेशन कहीं ज्यादा संगठित और विस्तार वाला निकला. एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि अब तक कुल 19 एफआईआर दर्ज की जा चुकी हैं. ग्वालियर, मुरैना, श्योपुर, शिवपुरी जैसे जिलों में गहन जांच चल रही है.
ग्वालियर-चंबल के कई प्रभावशाली लोग इस रैकेट के मास्टरमाइंड निकले. ये लोग उम्मीदवारों से 10-15 लाख रुपये लेते, जिसमें से 4-5 लाख सॉल्वर को जाते. आधार केंद्रों से मिलीभगत थी. भितरवार (ग्वालियर), मुरैना और श्योपुर जैसे इलाकों के चुनिंदा केंद्र इस धंधे का अड्डा बन गए थे. 19 एफआईआर दर्ज, 12 गिरफ्तारी — सॉल्वर, लाभार्थी और आधार केंद्र संचालक, 20+ उम्मीदवार चिन्हित — नकली तरीके से भर्ती की कोशिश करते पकड़े गए. 100+ मामलों में शक की सुई — जांच में तेजी के साथ खुलासे और बढ़ सकते हैं.