Fri. Jun 6th, 2025

मुख्यमंत्री को अंधेरे में रखकर मुख्य सचिव आपने यह ठीक नहीं किया, नियम विरूद्ध काम करने पर भी उमा माहेश्वरी को बचा लिया, बदनामी तो तब हुई जब नियम से बंधे SEIAA अध्यक्ष को किया टारगेट

मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के बारे में मुख्य सचिव 1989 बेंच के वरिष्ठ आईएएस अधिकारी अनुराग जैन को अपना परसेप्शन बदलना होगा, मुख्यमंत्री भारतीय जनता पार्टी शासित सभी राज्यों में मप्र के ऐसे मुख्यमंत्री हैं जो सर्वाधिक पढ़े- लिखे हैं और तनाव में कभी भी काम नहीं करते हैं। यूं कहा जाए कि, डॉ. मोहन यादव हर नौकरशाह से चाहे वह कितना भी वरिष्ठ हो या फिर कितना भी कनिष्ठ हो जब भी मिलेंगे मुस्कुराते हुए ही मिलते हैं लेकिन उनकी समझ और गंभीरता को जरा जान लीजिए- उन्हें कोई आसानी से बेबकूफ नहीं बना सकता और जब संवाद मुख्यमंत्री और मुख्य सचिव के बीच में हो तो फिर मुख्यमंत्री के सामने कहे जाने वाले प्रत्येक शब्द बड़े सोच समझकर कहने होंगे, अर्थात जिस तरह से SEIAA में निहायत ईमानदार एवं राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की पसंद से मुख्यमंत्री द्वारा बनाए गए अध्यक्ष शिवनारायण सिंह चौहान के विषय में मुख्य सचिव अनुराग जैन ने मुख्यमंत्री से जो कुछ कह दिया उन सभी शब्दों का अवलोकन करने से पता चलता है कि, मुख्य सचिव ने यह कहकर ठीक नहीं किया कि, SEIAA के अध्यक्ष द्वारा भारत सरकार के पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के सचिव को लिखी गई शिकायतों से मप्र सरकार की बदनामी हुई है। मुख्य सचिव को यह बात बुरी इसलिए भी लगी कि, SEIAA का अध्यक्ष भारत सरकार में शिकायत करने की कोई हैसियत नहीं रखता, लेकिन मुख्य सचिव यह भूल जाते हैं कि, जब पर्यावरण अधिनियम के विरूद्ध कोई भी अधिकारी काम करता है तो एक्ट के अनुसार 5 साल की सजा का प्रावधान है। मुख्य सचिव से यह सवाल भी गैर-वाजिब नहीं होगा कि, क्या कोई आईएएस अधिकारी अथवा प्रमुख सचिव रेरा के फैसले स्वयं ले सकता है, क्या कोई प्रमुख सचिव एनजीटी के अध्यक्ष की गाइड लाइन खुद तय कर सकता है या एनजीटी के अधिनियम के विपरीत जाकर कोई फैसला कर सकता है, इस सवाल का उत्तर है 100 प्रतिशत नहीं। यह मुद्दा इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि, जब मुख्यमंत्री डॉ. यादव मप्र में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के विजन और भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टालरेंस के फार्मूले को लागू करने के लिए अपने मुख्य सचिव पर आंख मूंदकर भरोसा करते हैं तो फिर SEIAA के अध्यक्ष के द्वारा भारत सरकार को SEIAA के सचिव के खिलाफ उनके द्वारा अपनाई गई नियमों के विपरीत अडिय़ल रवैये तथा की गई अनियमितताओं को लेकर भेजे गए शिकायतों को नजरअंदाज करके SEIAA के सचिव उमा माहेश्वरी को बचाने के लिए मुख्यमंत्री को गलत ढंग से समझाया गया बदनामी इसी से हुई है। SEIAA के अध्यक्ष के द्वारा भेजे गए पत्र से तो पूरे विभाग में हड़कंप मचा और 400 से अधिक महीनों से लटकी हुई पर्यावरण की अनुमतियां प्रमुख सचिव पर्यावरण नवनीत कोठारी के अनुमोदन के साथ जारी हो गई, यह फायदा खनिज क्षेत्र के उन व्यवसायियों को आनन-फानन में गैर कानूनी ढंग से SEIAA की बैठक के बिना पहुंचाया गया और कहा गया कि मुख्य सचिव के कड़े निर्देश आए हैं, तुरंत श्वष्ट जारी करने की जरूरत है। मुख्य सचिव अनुराग जैन को भी पता था कि, SEIAA की विधिवत बैठकों के बिना पर्यावरण स्वीकृतियां इस तरह जारी नहीं की जा सकती, क्योंकि SEIAA एक रेरा की तरह संवैधानिक संगठन है। मतलब गलती हो गई है लेकिन बलि का बकरा उसे नहीं बनाया जा सकता जिसने SEIAA के सचिव के खिलाफ एक महीने से लगातार मुख्य सचिव को एक दर्जन से अधिक पत्र लिखे और उन पत्रों की उपेक्षा करते हुए आपने ईमानदार अध्यक्ष को टारगेट कर लिया और मुख्यमंत्री से भी उनकी शिकायत करते हुए यह कह दिया कि, भारत सरकार को पत्र लिखकर SEIAA के अध्यक्ष ने बदनामी कराई है, जो कि सरासर एक कर्मठ और ईमानदार अध्यक्ष को जलील करने के अलावा कुछ और समझ में, मुख्यमंत्री को भी पल्ले नहीं पड़ा। हां 400 से अधिक गैर कानूनी ढंग से पर्यावरण स्वीकृतियों का असर यह हुआ है कि, SEIAA के सचिव ने SEIAA को बदनाम कर दिया है और यह परसेप्शन बना दिया कि, अध्यक्ष का यहां पर रोल नहीं है, इधर नजराने दे दो, उधर पर्यावरण की अनुमति ले जाओ, और इस गैर कानूनी काम के लिए प्रमख सचिव को फंसा दो फिर कोई कुछ नहीं कर सकता। SEIAA में आज कल यही हो रहा है। बस दो काम अच्छे हुए वह यह कि, अध्यक्ष के दबाव में आकर सचिव ने कल मुख्यमंत्री डॉ. यादव के ड्रीम प्रोजेक्ट इंदौर से उज्जैन 8 लेन वाली सड़क के निर्माण के लिए पर्यावरण स्वीकृति नियमों के अंतर्गत 24 घंटे में SEIAA की बैठक आयोजित करने के बाद जारी कर दी गई। बता दें कि उक्त रोड का निर्माण पर्यावरण स्वीकृति की वजह से लंबे समय से अटका हुआ था और अब स्वीकृति मिलते ही आज से मप्र सड़क निगम के प्रबंध संचालक भरत यादव ने उक्त परियोजना पर काम भी शुरू कर दिया है। इस विशेष संपादकीय का लब्बोलुआब यह है कि मप्र के मुख्य सचिव अनुराग जैन एक ईमानदार नौकरशाह हैं इसलिए उनसे यह अपेक्षा करना गलत नहीं होगा कि, वे भविष्य में कभी भी किसी ईमानदार रिटायर्ड आईएएस अधिकारी को टारगेट करते हुए किसी बेईमान अथवा गैर कानूनी ढंग से काम करने वाले एरोगेंट नौकरशाह को बचाने की कोशिश नहीं करेेंगे। इसलिए SEIAA के मामले में एक सप्ताह के भीतर ही मुख्यमंत्री ने सच्चाई और गहराई जानकर SEIAA के ढांचे में परिवर्तन करते हुए SEIAA के आफिस को वेल इक्युव्ड करने अथवा SEIAA के सचिव उमा माहेश्वरी को SEIAA से मुक्त करने तथा गड़बडिय़ों के खिलाफ जांच के भी आदेश पारित कर दें तो चौंकिएगा मत।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *