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मनी लॉन्ड्रिंग का हाईटेक तरीका, ऑनलाइन फॉरेक्स ट्रेडिंग के नाम पर 800 करोड़ ऐंठे; ED ने की छापेमारी

दिल्ली  प्रवर्तन निदेशालय की मुंबई ज़ोनल टीम ने मनी लॉन्ड्रिंग (Money Laundering) के बड़े मामले का खुलासा किया है. ईडी ने अवैध ऑनलाइन फॉरेक्स ट्रेडिंग के खिलाफ 13 जून को देश के चार शहरों मुंबई, दिल्ली, चेन्नई और गुरुग्राम  में एक साथ सात जगहों पर छापेमारी की थी. यह कार्रवाई OctaFX ट्रेडिंग ऐप और वेबसाइट www.octafx.com के ज़रिए की जा रही अवैध ऑनलाइन फॉरेक्स ट्रेडिंग के खिलाफ की गई, जिसमें अब तक 800 करोड़ रुपये से ज़्यादा की मनी लॉन्ड्रिंग का पता चला है.

भारी मुनाफा देने का झांसा देकर ठगी

यह मामला पुणे के शिवाजी नगर पुलिस थाने में दर्ज एक एफआईआर के आधार पर शुरू हुआ, जिसमें कुछ व्यक्तियों पर OctaFX के ज़रिए निवेशकों को भारी मुनाफा देने का झांसा देकर ठगने का आरोप था. जांच में खुलासा हुआ कि OctaFX और  OctaFx India Pvt Ltd भारत में बिना भारतीय रिज़र्व बैंक  की अनुमति के विदेशी मुद्रा कारोबार चला रहे थे.

मनी लॉन्ड्रिंग का हाईटेक तरीका

ED की छापेमारी में पता चला कि इस प्लेटफॉर्म पर जमा कराए गए निवेशकों के पैसे सीधे उनके बैंक खातों में न जाकर पहले फर्जी या ‘म्यूल’ अकाउंट्स में जमा होते थे, फिर वहां से Dinero Payment Services नामक एक ग़ैर-अधिकृत पेमेंट एग्रीगेटर के एस्क्रो अकाउंट में ट्रांसफर कर दिए जाते थे.

इस नेटवर्क ने फर्जी ई-कॉमर्स कंपनियों और फर्जी KYC के ज़रिए पेमेंट गेटवे की सुविधा ली, ताकि इन पैसों को ‘ऑनलाइन खरीदारी’, ‘रिफंड’, ‘चार्जबैक’ या ‘वेंडर पेमेंट’ के नाम पर आगे भेजा जा सके और असली सोर्स को छिपाया जा सके.

URL मास्किंग से बचाई निगाहें

ED की जांच में यह भी सामने आया कि OctaFX ने पेमेंट लिंक की पहचान छिपाने के लिए URL मास्किंग का सहारा लिया, यानी ग्राहकों को जो लिंक भेजे गए, वे इतने सामान्य या भ्रामक थे कि बैंकों और रेगुलेटरी एजेंसियों को यह अंदाज़ा नहीं लग सका कि पैसा अवैध स्रोतों की ओर जा रहा है.

करोड़ों की संपत्ति जब्त

अब तक ED इस मामले में 160.8 करोड़ की संपत्तियों को अटैच और सीज़ कर चुका है, जिनमें स्पेन स्थित संपत्तियां भी शामिल हैं. इस घोटाले में दो चार्जशीट अदालत में दायर की जा चुकी हैं. ED की टीम अब इस रैकेट से जुड़े और लोगों की तलाश में है. इस मामले ने एक बार फिर उजागर कर दिया है कि कैसे टेक्नोलॉजी और फर्जी दस्तावेज़ों के दम पर आर्थिक अपराधी निवेशकों को चूना लगाकर करोड़ों रुपये का अवैध कारोबार चला रहे हैं.

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