शारदीय नवरात्रि 2025 पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा विधि, भोग और प्रिय फूल
भारत की धार्मिक धड़कन को अगर समझना हो, तो नवरात्रि से बेहतर उदाहरण शायद ही कोई हो। जैसे ही शारदीय नवरात्रि का आगाज़ होता है, पूरे देश में उत्साह, भक्ति और उमंग का माहौल बन जाता है। घर-घर में मां दुर्गा की मूर्ति या तस्वीर स्थापित होती है, कलश सजता है और भक्त अपनी आस्था के दीपक जलाते हैं।
शारदीय नवरात्रि 2025 की शुरुआत आज से हो चुकी है। पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा का विधान है। इस दिन भक्त पूरे नियम और श्रद्धा के साथ कलश स्थापना करते हैं और मां को उनका प्रिय भोग व फूल अर्पित करते हैं। आइए जानते हैं इस बार का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और मां के प्रिय भोग-फूल के बारे में विस्तार से।
शारदीय नवरात्रि 2025 की खासियत
नवरात्रि साल में चार बार आती है, लेकिन शारदीय नवरात्रि को सबसे अधिक महत्वपूर्ण माना जाता है। यह पर्व आश्विन मास की शुक्ल प्रतिपदा से शुरू होकर नवमी तक चलता है। इस दौरान मां दुर्गा के नौ रूपों की आराधना की जाती है
2025 में शारदीय नवरात्रि 22 सितंबर से शुरू होकर 30 सितंबर तक मनाई जाएगी। पहले दिन कलश स्थापना और मां शैलपुत्री की पूजा होती है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन सच्चे मन से की गई प्रार्थना और व्रत से जीवन में सुख-समृद्धि आती है और सभी संकट दूर होते हैं।
कलश स्थापना और पूजा विधि
1. कलश स्थापना का महत्व
कलश को हिंदू धर्म में सृष्टि का प्रतीक माना गया है। नवरात्रि के पहले दिन कलश स्थापना करके ही पूजा का शुभारंभ होता है। इसे विधि-विधान से स्थापित करने पर घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
2. शुभ मुहूर्त
पंडितों के अनुसार, शारदीय नवरात्रि 2025 में कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त प्रातःकाल ब्रह्म मुहूर्त और अभिजीत मुहूर्त में रहेगा। सुबह 6:15 से 8:30 बजे तक का समय बेहद शुभ माना गया है।
3. पूजा विधि
- सबसे पहले घर के पूजा स्थल को साफ करें और पवित्र जल छिड़कें।
- लकड़ी की चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर उस पर कलश रखें।
- कलश में गंगाजल, सुपारी, सिक्का, अक्षत और पंचरत्न डालें।
- आम के पत्तों से कलश को सजाएं और ऊपर नारियल रखें।
- देवी दुर्गा की प्रतिमा या तस्वीर के सामने दीप जलाएं और दुर्गा सप्तशती का पाठ करें।
मां शैलपुत्री का प्रिय फूल और भोग
प्रिय फूल
मां शैलपुत्री को सफेद रंग के फूल अत्यंत प्रिय माने जाते हैं। भक्तजन उनकी पूजा के समय सफेद कमल या चमेली के फूल अर्पित करते हैं। यह न केवल पवित्रता और शांति का प्रतीक है, बल्कि मां की कृपा पाने का सरल और प्रभावी माध्यम भी माना जाता है।
प्रिय भोग
मां शैलपुत्री को घी का भोग विशेष रूप से प्रिय है। श्रद्धालु पहले दिन घी से बने प्रसाद का अर्पण करते हैं। मान्यता है कि ऐसा करने से मां प्रसन्न होती हैं और भक्त को दीर्घायु, उत्तम स्वास्थ्य तथा जीवन में समृद्धि का आशीर्वाद प्रदान करती हैं।
महत्व
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, पहले दिन मां को उनका प्रिय फूल और भोग अर्पित करने से पूजा का फल कई गुना बढ़ जाता है। इससे भक्त के जीवन से दरिद्रता और दुख दूर होकर सुख-समृद्धि आती है।
भक्तों के लिए आस्था और संदेश
शारदीय नवरात्रि केवल धार्मिक पर्व ही नहीं, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक एकजुटता का प्रतीक भी है। इस दौरान लोग व्रत-उपवास रखते हैं, गरबा-डांडिया खेलते हैं और मां दुर्गा की भक्ति में लीन हो जाते हैं।
भक्तों के लिए यह समय अपने जीवन को सकारात्मकता से भरने का अवसर है। मां शैलपुत्री शक्ति, धैर्य और समर्पण की प्रतीक हैं। उनकी पूजा से जीवन में नई ऊर्जा और उम्मीद का संचार होता है।
